सर्दियों के मौसम में यूं तो हर उम्र के व्यक्ति के संक्रमण या बीमारी के प्रभाव में आने की आशंका रहती है, लेकिन इस मौसम में छोटे बच्चों के ज्यादा तथा बार-बार बीमार होने के मामले काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं. सर्दी का मौसम बच्चों के लिए बहुत संवेदनशील समय होता है. इस मौसम में बच्चों के बार-बार सामान्य फ्लू जैसे सर्दी, जुकाम, बुखार के प्रभाव में आने के साथ ही कई अन्य प्रकार की कम या ज्यादा गंभीर समस्याओं के प्रभाव में आने की आशंका भी बढ़ जाती है. बाल रोग विशेषज्ञों की माने इसके लिए मौसम के प्रभाव के साथ बच्चों की कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता- Immunity तथा स्वच्छता व स्वास्थ्य देखभाल में कमी सहित कई कारण जिम्मेदार होते हैं.
जानकारों की माने तो बदलता मौसम, ठंडी हवाओं का प्रभाव और उनके कारण हवा में नमी की कमी सहित कुछ अन्य कारक वातावरण में बैक्टीरिया, वायरस व फंगस के पनपने का कारण बनते हैं, जो हर उम्र के लोगों के संक्रमणों व बीमारियों की चपेट में आने के जोखिम को बढ़ा देते हैं. वहीं चूंकि छोटे बच्चों की Immunity अपेक्षाकृत काफी कमजोर काफी होती है, ऐसे में उनके इन कारकों के कारण होने वाले संक्रमणों के प्रभाव में आने की आशंका बहुत ज्यादा रहती है.
सर्दियों में बच्चों को होने वाली सामान्य समस्याएं और उनके लक्षण
बाल रोग विशेषज्ञ डा सृष्टि चतुर्वेदी (लखनऊ उत्तरप्रदेश) बताती हैं कि सर्दियों के मौसम में छोटे बच्चों के बीमार होने या बार-बार बीमार होने के मामले काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं. इसका सबसे मुख्य कारण छोटे बच्चों की इम्यूनिटी का कमजोर होना है. दरअसल जन्म के समय बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं होती है. बच्चों में उम्र के बढ़ने के साथ यह धीरे-धीरे विकसित होती है. Pediatrician Dr. Srishti Chaturvedi बताती हैं कि सामान्य तौर पर 8 साल तक के बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर रहती है. वहीं ठंड के मौसम में वातावरण में अलग-अलग प्रकार के बैक्टीरिया, फंगस एवं वायरस का प्रभाव ज्यादा बढ़ जाता है. ऐसे में बच्चों की कमजोर इम्यूनिटी उन्हें बैक्टीरिया, फंगस एवं वायरस के प्रभाव में आने से सुरक्षित नहीं रख पाती है, जिसके चलते उनके ना सिर्फ बीमार होने बल्कि बार-बार बीमार होने की आशंका बढ़ जाती है.
इस मौसम में आमतौर पर जो रोग व संक्रमण बच्चों को ज्यादा प्रभावित करते हैं उनमें से कुछ तथा उनके लिए जिम्मेदार कारक इस प्रकार हैं.
कॉमन कोल्ड, बुखार व फ्लू
इस मौसम में ठंड के बढ़ने के साथ बच्चों में कॉमन कोल्ड व बुखार के मामले काफी ज्यादा देखने में आते हैं. वहीं चूंकि इस मौसम में वातावरण में बैक्टीरिया, वायरस या फंगस ज्यादा पनपते हैं ऐसे में उनके कारण होने वाले फ्लू (सर्दी,जुकाम,बुखार व कफ) जैसे संक्रमण व आंखों में संक्रमण के साथ कुछ अन्य प्रकार के संक्रमणों तथा एलर्जी के मामले भी बच्चों में काफी बढ़ जाते हैं. वहीं चूंकि इस प्रकार के संक्रमण एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने या उनके द्वारा इस्तेमाल की गई चीजों के इस्तेमाल से फैलते हैं ऐसे में बच्चों में स्वच्छता के अभाव तथा स्कूल व अन्य स्थानों पर संक्रमित लोगों से दूरी ना बना पाने के कारण इन संक्रमणों के बार-बार प्रभाव में आने के मामले भी ज्यादा देखने में आते हैं.
ब्रोंकाइटिस और निमोनिया
कई बार ज्यादा ठंड के कारण फेफड़ों में संक्रमण व सूजन होने की आशंका भी बढ़ जाती है, जिससे ब्रोंकाइटिस, निमोनिया तथा फेफड़ों व श्वसन तंत्र से जुड़े अन्य संक्रमणो व बीमारियों के प्रभाव में आने की आशंका बढ़ सकती है. ऐसा होने पर कई बार ज्यादा बलगम बनने, उसके कारण नाक बंद होने व छाती में जकड़न व दर्द होने , तेज बुखार होने तथा सांस लेने में कठिनाई की समस्या भी हो सकती है जो बच्चों के लिए काफी परेशानी भरी हो सकती है. वहीं जिन बच्चों को अस्थमा या सांस की समस्या होती है, उनके लक्षण तथा समस्याएं सर्दी में ज्यादा बढ़ सकते हैं.
आंतों का संक्रमण
इस मौसम में बैक्टीरिया या वायरस के प्रभाव के चलते बच्चों में आंतों के संक्रमण की समस्या के मामले भी काफी ज्यादा देखने में आते हैं. ऐसा होने पर बच्चों में दस्त, उल्टी, पेट दर्द, बुखार और शरीर में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
त्वचा संबंधी
सर्दियों में वातावरण में नमी की कमी और कई बार डिहाइड्रेशन के कारण त्वचा संबंधी समस्याएं जैसे स्किन एलर्जी, रैश या त्वचा में शुष्कता की समस्या हो सकती है. वहीं इस मौसम में ऊनी कपड़ों के कारण भी त्वचा पर एलर्जी के मामले काफी देखने में आती है.
प्रबंधन और निदान
Dr. Srishti Chaturvedi, Pediatrician बताती हैं कि बहुत जरूरी है कि इस मौसम में बच्चों के स्वास्थ्य, स्वच्छता व अन्य जरूरी बातों व सावधानियों का विशेष ध्यान रखा जाए. जो बच्चे ज्यादा छोटे हैं और अपनी स्वच्छता का स्वयं ध्यान नहीं रख सकते हैं उनके माता पिता तमाम जरूरी सावधानियों का ध्यान रखें. वहीं बड़े होते बच्चों में स्वच्छता से जुड़ी तथा अन्य जरूरी आदतों को डालने का प्रयास करना बहुत जरूरी है.
Dr. Srishti Chaturvedi बताती हैं कि जिन बातों, सावधानियों व आदतों को अपनाने से संक्रमणों व बीमारियों के प्रभाव में आने से बचा जा सकता है उनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- बच्चों को हमेशा गर्म कपड़े पहनाएं ताकि ठंड से उनकी रक्षा हो सके. खासकर सिर और कानों को ढंक कर रखें.
- बच्चों के खानपान में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाएं. उनके भोजन में विटामिन सी, प्रोटीन, और अन्य आवश्यक पोषक तत्व शामिल करें ताकि उनकी इम्यूनिटी बढ़ सके.
- उन्हें जरूरी मात्रा में पानी भी पिलाएं. जिससे शरीर में पानी की कमी ना हो.
- बच्चों की साफ -सफाई व स्वच्छता का ध्यान रखें. ध्यान रहे कि वे हमेशा साफ व धुले हुए कपड़े पहने.
- उनमें कुछ भी खाने से पहले, शौच के बाद तथा खेल कर या कहीं बाहर से आने के बाद हाथ धोने की आदत भी डालें ताकि वे बैक्टीरिया और वायरस से सुरक्षित रहें.
- बच्चे को बाहर निकलने पर बार-बार अपनी आंखों और मुंह को छूने से बचने के लिए प्रोत्साहित करें. साथ ही उनमें खांसते या छींकते समय मुंह ढकने की आदत डालें.
- बच्चों में हर साल फ्लू वैक्सीन सहित अन्य जरूरी टीकाकरण कराएं.
डॉक्टर से सलाह लें
डॉ सृष्टि बताती हैं ज्यादा छोटे बच्चे आमतौर पर तब तक बीमारी में पस्त महसूस नहीं करते हैं जब तक उनकी स्थिति बहुत खराब ना हो. ऐसे में बहुत जरूरी है कि उनके माता पिता तथा अभिभावक उनकी गतिविधियों व स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहे. ऐसे में यदि बच्चा बार बार बीमार पड़ रहा हो, उसे ज्यादा सर्दी, जुकाम, खांसी या बुखार हो, ज्यादा कफ के कारण उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही हो या वह बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा हो रहा हो तो उसे तत्काल चिकित्सक को दिखाना चाहिए. इसके अलावा ऐसे इलाके जहां हवा में नमी बहुत कम हो और बच्चों में लगातार गला खराब होने या श्वसन तंत्र से जुड़ी समस्याएं देखने में आ रही हों वहां ह्यूमिडिफायर के उपयोग से समस्याओं के प्रभाव को कम करने मदद मिल सकती है.
डिस्कलेमर :- यहां दी गई जानकारी और सुझाव सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप डॉक्टर/एक्सपर्ट की सलाह लें.