जयपुर. भरतपुर के दो युवकों को हरियाणा में जिंदा जलाने का मामला और राजस्थान पुलिस पर लगे आरोपों पर सीएम अशोक गहलोत ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि कानून अपना काम करे, उन्होंने (हरियाणा) ने कोई एफआईआर दर्ज की है तो जांच के बाद क्लोज भी हो जाएगी. सीएम गहलोत ने यह बात सचिवालय में अधिकारियों की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कही.
उन्होंने कहा कि यह चाहता हूं कि मुलजिम पकड़े जाने चाहिए. यह मार्मिक घटना है, जिसकी जितनी निंदा की जाए उतना कम है. गहलोत ने कहा कि बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के नाम से काम करने वाले यह लफंडर टाइप (बेईमान और असामाजिक तत्व) के लोग हैं. गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 4 साल पहले इन्हें एंटीसोशल एलिमेंट कहा था, अगर प्रधानमंत्री बार-बार यह बात बोलते तो शायद आज यह नौबत ही नहीं आती.
बजट घोषणाओं को लागू करने पर रहेगा ध्यानः सीएम गहलोत ने बजट घोषणा पर बोलते हुए कहा कि बजट बनाना अलग बात होती है और उसे लागू करना अलग. हमारी पिछली बजट घोषणाओं का भी 95 फीसदी के आसपास का क्रियान्वयन हो चुका है. इस बार हमने पहली बार बजट के बारे में पहले ही प्रचार किया. जिससे लोगों ने उसी समय सुना भी, की उनके लिए सरकार की ओर से कौनसी घोषणाएं हुई है. गहलोत ने साफ संकेत दिए हैं कि इस बार सरकार ने जो आम जनता के लिए घोषणा की है, उन्हें लागू करने में यह ध्यान रखा जाएगा कि जिस व्यक्ति के लिए लाभ दिया गया है. उसी को वह लाभ मिले ना कि कोई उसे बेवकूफ बनाकर उसकी योजनाओं के लाभ उठा ले.
गहलोत ने कहा कि महंगाई की मार बहुत ज्यादा है, ऐसे में हम कैंप लगाना चाहते हैं ताकि उसमें प्रशासन गांवों के संग अभियान के साथ ही जो भी योजनाएं पब्लिक के लिए घोषित की गई है. वह उसी परिवार को लाभान्वित करें. जिसके लिए वह घोषित की गई है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे अगर सरकार मोबाइल या 500 में गैस सिलेंडर किसी को देती है, तो वह उसी व्यक्ति के काम आए जिसके नाम पर वो जारी हुई है, न कि कोई गुमराह कर उसे खरीद ले. उन्होंने अधिकारियों को यह निर्देश दिए हैं कि वह योजना बनाकर रिपोर्ट दें.
किसकी गलती से रिफाइनरी 5 साल हुई डिलेः केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को कहा था कि राज्य सरकार अगर उनके हिस्से का 2500 करोड़ जमा नहीं करवाएगी, तो राज्य सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 16 फीसदी कर दी जाएगी. इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि अब चुनाव आ रहे हैं तो भाजपा के लोग ऐसी बात कर रहे हैं, अन्यथा उनको तो इस बात का जवाब देना चाहिए था कि रिफाइनरी 5 साल लेट क्यों हुई?. आधिकारिक रूप से वह बताते कि प्रोजेक्ट 40,000 करोड़ की जगह हमारी गलती से 70,000 करोड़ का हुआ. गहलोत ने कहा कि हो सकता है कि वह उसी का हिस्सा मांग रहे हो और क्योंकि इस मामले में कंपनी बनी हुई है तो हम यह पता कर लेंगे की केंद्र सरकार की क्या मांग है?.
पढ़ें: Mahesh Joshi Big Statement : अडानी मामले को रफा-दफा करना चाहती है भाजपा
जनता सरकार को रिपीट करवाएः मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जनता से एक बार फिर सरकार रिपीट करवाने की बात की. गहलोत ने कहा कि मैंने कहा है कि जनता कांग्रेस सरकार रिपीट करवाए, व्यक्ति तो बदलते रहते हैं. गहलोत ने कहा कि सरकार बदलने का नुकसान यह होता है कि भाजपा सरकार बदलते ही हमारी योजनाओं को बंद कर देती है. जिससे लाखों लोगों को मिल रहा फायदा बंद हो जाता है. उन्होंने कहा कि हमने चाहे ईआरसीपी हो या वसुंधरा राजे के समय में जो अन्य लोगों से जुड़ी योजनाएं रही, उन्हें बंद नहीं किया. गहलोत ने आरोप लगाया कि हमारी जनता से जुड़ी योजनाओं को बंद करते हैं. उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा कि इस बार सरकार रिपीट कराएं, ताकि जो योजनाएं लागू की गई हैं. वह बंद नहीं हो. गहलोत ने दावा किया कि इस बार जो बजट घोषणा उन्होंने की है. वह कई राज्य सरकारें अपने मेनिफेस्टो में शामिल करेंगी. गहलोत ने कहा कि इस बार मुझे सरकार रिपीट करानी है और एक प्रथम सेवक के तौर पर मैंने जो शानदार योजनाएं दी है, यह पहले कभी नहीं आई.
पढ़ें: Gehlot on Shekhawat: SOG की जांच में प्रामाणित हुआ है जुर्म, 2 साल में 5 बार ईडी को लिखा पत्र
पेपर लीक राष्ट्रीय स्तर की बीमारी बनीः मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस दौरान पेपर लीक को एक राष्ट्रीय स्तर की बीमारी बताते हुए कहा कि राजस्थान अन्य राज्यों की तरह इससे जूझ रहा है. लेकिन राजस्थान में कार्रवाई हो रही है और हम किसी भी हालत में पेपर माफियाओं को जेल के शिकंजे में डालकर छोड़ेंगे. गहलोत ने ओपीएस योजना को लेकर कहा कि यह योजना राजस्थान में लागू हो चुकी है और लोगों को इसका लाभ मिलना भी शुरू हो गया है. अगर केंद्र सरकार हमारे हिस्से का पैसा नहीं देगी तो हम सुप्रीम कोर्ट से अपना अधिकार लेकर रहेंगे. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केवल गफलत वाला जवाब दिया, जबकि अगर वह ओपीएस के विरोध में हैं तो उन्हें कहना चाहिए था कि वह ओपीएस लागू नहीं करना चाहती.