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नाले में तब्दील हो रही द्रव्यवती नदी को एक माह में साफ करने का दावा

जेडीए और टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड के बीच भुगतान विवाद अब खत्म होने के कगार पर है. ऐसे में अब फर्म की ओर से दावा किया गया द्रव्यवती नदी को आगामी (Dravyavati river will be clean) एक माह के भीतर पूरी तरह से साफ कर लिया जाएगा.

Claimed to clean Dravyavati river
Claimed to clean Dravyavati river
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Published : Dec 2, 2022, 8:23 PM IST

जयपुर. जेडीए और टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड के बीच भुगतान का (Payment dispute JDA and Tata Projects Limited) विवाद होने की वजह से द्रव्यवती नदी ने दोबारा नाले का स्वरूप ले लिया था. हालांकि, अब जेडीए बिजली के बकाया 55 करोड़ के बिल का भुगतान फर्म को करेगा. साथ ही मई 2022 से अब तक के रखरखाव का भी भुगतान किया जाएगा. वहीं, इसके बाद अब फर्म ने शुक्रवार को द्रव्यवती नदी की सुध ली और यहां सफाई का काम शुरू किया गया. फर्म ने महारानी फार्म पुलिया, जनपद पुलिया, हसनपुरा पुलिया और आरपीए पुलिया से सफाई के कामों की शुरुआत की. इसके अलावा फर्म की ओर से दावा किया गया कि अगले एक माह के भीतर द्रव्यवती नदी को पूरी तरह से साफ कर लिया जाएगा.

द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट राजधानी का महत्वाकांक्षी (Ambitious Dravyavati River Project) प्रोजेक्ट है, जो शहर के बीच से होकर गुजरती है. 53 किलोमीटर की इस परियोजना में 6 किलोमीटर फॉरेस्ट है. जिसमें प्राकृतिक रूप से पानी चैनेलाइज हो रहा है. वहीं, आगे 47 किलोमीटर में इसे कृत्रिम रूप दिया गया है. हालांकि, अभी भी कुछ एरिया ऐसे हैं, जहां पेच फंसे हुए हैं. कुछ जगह नदी के दोनों तरफ अतिक्रमण की समस्या है, जिसकी वजह से वहां नदी चौड़ी नहीं की जा सकी है.

एक माह में साफ होगी द्रव्यवती नदी

इसे भी पढ़ें - Kota: गेपरनाथ में डूबने से दो कोचिंग छात्रों की मौत, कर रहे थे JEE की तैयारी

इसके अलावा पानी ट्रीटमेंट की भी कुछ समस्या हैं. डेहलावास में एसटीपी प्लांट को अपग्रेड करने का काम किया जा रहा है. जिससे ट्रीटेड वॉटर नदी में नहीं जा रहा है, लिहाजा बदबू और गंदगी बड़ी समस्या बनी हुई है. इन समस्याओं का समाधान करने की बात कहते हुए जेडीसी रवि जैन ने बताया कि द्रव्यवती नदी में सफाई का काम शुरू किया गया है. जल्द द्रव्यवती नदी में सुधार नजर आएगा. पानीपेच, शिप्रा पथ, तरु छाया नगर, बंबाला और गोनेर में बनाए गए एसटीपी प्लांट भी दोबारा शुरू होंगे. वहीं, सुशीलपुरा पुलिया में सीवरेज का पानी द्रव्यवती नदी में मिल रहा है. ऐसे में वहां नया एसटीपी प्लांट के लिए जगह चिह्नित की गई है.

द्रव्यवती नदी के सौंदर्यीकरण का प्रोजेक्ट पूर्वर्ती भाजपा सरकार लेकर आई थी. इस परियोजना का काम एक अगस्त 2016 को शुरू हुआ था. तब इसे पूरा करने की तिथि 10 अक्टूबर, 2018 रखी गई थी. हालांकि, तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अक्टूबर 2018 को इस प्रोजेक्ट के पहले चरण का उद्घाटन कर दिया था. लेकिन प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ ही काम की रफ्तार भी धीमी होते-होते लगभग बंद हो गई.

परियोजना की कुल लागत राशि 1470.85 करोड़ रुपए और 10 साल के रख-रखाव के लिए 206.08 करोड़ शामिल करते हुए 1676.93 करोड़ आंकी गई थी. सरकारी आकड़ों के अनुसार अब तक परियोजना पर 1413.06 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं. बावजूद इसके अब तक द्रव्यवती नदी की सफाई संभव नहीं हो सकी है. इधर, अब जेडीए की बोर्ड से बिजली बिलों और रखरखाव खर्च का भुगतान फर्म को किया जा रहा है. ऐसे में फर्म की ओर से दावा किया गया कि अगले एक माह में द्रव्यवती नदी साफ कर दी जाएगी.

वहीं, हसनपुरा क्षेत्र में करीब 700 मीटर लम्बाई में स्थानीय लोगों का गतिरोध और कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण चैनल के दोनों ओर के विकास कार्य बाधित है. बाकी तीन जगहों पर भी कोर्ट के स्थगन आदेश के कारण लगभग 650 मीटर लम्बाई में कार्य प्रभावित है. इसके अलावा गोनेर गांव के पास किसानों के भूमि के मुआवजे की मांग की भी एक वजह है, जिससे लगभग दो किमी में काम-काज बाधित चल रहा हैं. चूंकि वहां भी जमीन मुआवजे संबंधी प्रकरण हाईकोर्ट में पेंडिग हैं. ऐसे में द्रव्यवती नदी के दूसरे चरण के उद्घाटन का अभी और इंतजार करना होगा.

जयपुर. जेडीए और टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड के बीच भुगतान का (Payment dispute JDA and Tata Projects Limited) विवाद होने की वजह से द्रव्यवती नदी ने दोबारा नाले का स्वरूप ले लिया था. हालांकि, अब जेडीए बिजली के बकाया 55 करोड़ के बिल का भुगतान फर्म को करेगा. साथ ही मई 2022 से अब तक के रखरखाव का भी भुगतान किया जाएगा. वहीं, इसके बाद अब फर्म ने शुक्रवार को द्रव्यवती नदी की सुध ली और यहां सफाई का काम शुरू किया गया. फर्म ने महारानी फार्म पुलिया, जनपद पुलिया, हसनपुरा पुलिया और आरपीए पुलिया से सफाई के कामों की शुरुआत की. इसके अलावा फर्म की ओर से दावा किया गया कि अगले एक माह के भीतर द्रव्यवती नदी को पूरी तरह से साफ कर लिया जाएगा.

द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट राजधानी का महत्वाकांक्षी (Ambitious Dravyavati River Project) प्रोजेक्ट है, जो शहर के बीच से होकर गुजरती है. 53 किलोमीटर की इस परियोजना में 6 किलोमीटर फॉरेस्ट है. जिसमें प्राकृतिक रूप से पानी चैनेलाइज हो रहा है. वहीं, आगे 47 किलोमीटर में इसे कृत्रिम रूप दिया गया है. हालांकि, अभी भी कुछ एरिया ऐसे हैं, जहां पेच फंसे हुए हैं. कुछ जगह नदी के दोनों तरफ अतिक्रमण की समस्या है, जिसकी वजह से वहां नदी चौड़ी नहीं की जा सकी है.

एक माह में साफ होगी द्रव्यवती नदी

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इसके अलावा पानी ट्रीटमेंट की भी कुछ समस्या हैं. डेहलावास में एसटीपी प्लांट को अपग्रेड करने का काम किया जा रहा है. जिससे ट्रीटेड वॉटर नदी में नहीं जा रहा है, लिहाजा बदबू और गंदगी बड़ी समस्या बनी हुई है. इन समस्याओं का समाधान करने की बात कहते हुए जेडीसी रवि जैन ने बताया कि द्रव्यवती नदी में सफाई का काम शुरू किया गया है. जल्द द्रव्यवती नदी में सुधार नजर आएगा. पानीपेच, शिप्रा पथ, तरु छाया नगर, बंबाला और गोनेर में बनाए गए एसटीपी प्लांट भी दोबारा शुरू होंगे. वहीं, सुशीलपुरा पुलिया में सीवरेज का पानी द्रव्यवती नदी में मिल रहा है. ऐसे में वहां नया एसटीपी प्लांट के लिए जगह चिह्नित की गई है.

द्रव्यवती नदी के सौंदर्यीकरण का प्रोजेक्ट पूर्वर्ती भाजपा सरकार लेकर आई थी. इस परियोजना का काम एक अगस्त 2016 को शुरू हुआ था. तब इसे पूरा करने की तिथि 10 अक्टूबर, 2018 रखी गई थी. हालांकि, तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अक्टूबर 2018 को इस प्रोजेक्ट के पहले चरण का उद्घाटन कर दिया था. लेकिन प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ ही काम की रफ्तार भी धीमी होते-होते लगभग बंद हो गई.

परियोजना की कुल लागत राशि 1470.85 करोड़ रुपए और 10 साल के रख-रखाव के लिए 206.08 करोड़ शामिल करते हुए 1676.93 करोड़ आंकी गई थी. सरकारी आकड़ों के अनुसार अब तक परियोजना पर 1413.06 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं. बावजूद इसके अब तक द्रव्यवती नदी की सफाई संभव नहीं हो सकी है. इधर, अब जेडीए की बोर्ड से बिजली बिलों और रखरखाव खर्च का भुगतान फर्म को किया जा रहा है. ऐसे में फर्म की ओर से दावा किया गया कि अगले एक माह में द्रव्यवती नदी साफ कर दी जाएगी.

वहीं, हसनपुरा क्षेत्र में करीब 700 मीटर लम्बाई में स्थानीय लोगों का गतिरोध और कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण चैनल के दोनों ओर के विकास कार्य बाधित है. बाकी तीन जगहों पर भी कोर्ट के स्थगन आदेश के कारण लगभग 650 मीटर लम्बाई में कार्य प्रभावित है. इसके अलावा गोनेर गांव के पास किसानों के भूमि के मुआवजे की मांग की भी एक वजह है, जिससे लगभग दो किमी में काम-काज बाधित चल रहा हैं. चूंकि वहां भी जमीन मुआवजे संबंधी प्रकरण हाईकोर्ट में पेंडिग हैं. ऐसे में द्रव्यवती नदी के दूसरे चरण के उद्घाटन का अभी और इंतजार करना होगा.

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