जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार संभवत: जनवरी में अपना बजट पेश करके चुनावी मोड में चली जाएगी. चुनावी मैदान में जाने से पहले सरकार अपने 4 साल के बजट की समीक्षा करेगी और इसके लिए खास तौर पर 16 और 17 जनवरी को सरकार की ओर से (Gehlot government chintan shivir) चिंतन शिविर का आयोजन गया है. सरकार के इस चिंतन शिविर के बीच मंत्रियों के प्रभार वाले जिलों के दौरे में बदलाव किया गया है. ऐसे में 15 से 17 जनवरी के बीच होने वाले प्रभारी मंत्रियों के दौरे को अब बदलकर 19 से 20 जनवरी कर दिया गया है.
ये हुआ बदलाव: मंत्रिमंडल सचिवालय के शासन सचिव जितेन्द्र कुमार उपाध्याय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि 15 से 17 जनवरी, 2023 के बीच प्रभारी मंत्रियों को अपने प्रभार वाले जिलों में दो दिवसीय भ्रमण और जिला स्तरीय बैठक आयोजित किए जाने का कार्यक्रम जारी किया गया था. लेकिन जयपुर में होने वाले चिंतर शिविर के बीच अब दो दिवसीय भ्रमण व जिला स्तरीय बैठक कार्यक्रम में बदला किया गया है. नए आदेश के (Changes in visit of ministers in charge) अनुसार 19-20 जनवरी को प्रभारी मंत्री दो दिवसीय भ्रमण कर जिला स्तरीय बैठकों में शामिल होंगे. साथ ही इन दो दिन में होने वाली जिला स्तरीय बैठकों की रिपोर्ट मुख्यमंत्री के साथ ही मंत्रिमंडल सचिवालय को भी देनी होगी.
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दो दिवसीय शिविर में सरकार करेगी मंथन: बता दें कि प्रदेश की गहलोत सरकार बीते चार साल की उपलब्धियों और नाकामियों की समीक्षा करने जा रही है. इसके लिए सीएम अशोक गहलोत ने दो दिवसीय चिंतन शिविर आयोजित करने का फैसला किया है. इस चिंतन (Political preparation of Gehlot government) शिविर में सभी मंत्री अपने-अपने विभागों का लेखाजोखा पेश करेंगे. 16 जनवरी से एचसीएम रीपा में आयोजित हो रहे इस चिंतन शिविर में 2019-20, 2020- 21, 2021-22 और 2022-23 के बजट घोषणाओं और उनपर अमल की समीक्षा होगी.
गहलोत सरकार ने पिछले दिनों दावा किया था कि जन घोषणापत्र में किए गए 75 फीसदी वादों को पूरा कर लिया गया है. इसी के साथ सीएम ने ऐलान किया था कि बाकी 25 फीसदी वादों को भी अंतिम वर्ष में अमलीजामा पहना दिया जाएगा. चिंतन शिविर में सरकार यह भी देखने का प्रयास करेगी कि सरकार की योजनाओं से कौन सा वर्ग लाभांवित हुआ है और कहां लोगों की नाराजगी है.
सुझाव बजट में होंगे शामिल: प्रदेश सरकार अपना अंतिम बजट पेश करने जा रही है. 23 जनवरी से विधानसभा सत्र शुरू होगा. बजट से पहले सरकार पूर्व में पेश किए गए बजट पर मंथन करेगी. इस चिंतन शिविर में कई ऐसे फैसले होने की उम्मीद है, जिनका असर आगामी बजट पर देखने को मिल सकता है. दरअसल, राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने की परिपाटी रही है. लेकिन गहलोत सरकार कोशिश कर रही है कि जन कल्याणकारी योजनाओं के जरिए सत्ता वापसी का इतिहास दोहराया जाए.