हनुमानगढ़. कार्यालय या कोई संस्थान सरकारी हो या गैर सरकारी उसकी व्यवस्था, कार्य क्षमता और प्रबंधन मुख्यता उसके मुखिया, मानव बल और संसाधनों पर टिकी होती है. अगर किसी सरकारी कार्यालय का मुखिया ही नही हो तो वहां की व्यवस्था का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है. ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है आजकल राजस्थान पथ परिवहन निगम के हनुमानगढ रोडवेज डिपू में.
जहां पिछले चार माह से मुख्य प्रबंधक का पद खाली पड़ा है. हर वो कार्य प्रभावित हो रहा है, जिसका सीधा संबंध मुख्य प्रबंधक से है. सबसे बड़ी बात यह है कि पद खाली होने पर जिसको मुख्य प्रबंधक का कार्य भार सौंपा गया है, वे डिपू के वरिष्ठ अकाउंटेंट है. पूर्व में अकाउंटेंट के कार्य का भार इतना है, कि कार्यवाहक प्रबन्धक की कुर्सी संभालने के बाद छुट्टी के दिन यानिकि शनिवार और रविवार को भी ऑफिस में कार्य करना पड़ रहा है. क्योकि बाकी के पांच दिन उन्हें मुख्य प्रबंधक के कार्य करने पड़ते है, लेकिन इतनी जदोजहद के बावजूद कार्यालय का काम प्रभावित हो रहा है.
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प्रबंधक का कार्य और संबंध सिर्फ डिपू में कार्यरत कर्मचारियों से ही नहीं है. आम जनता को भी हर रोज डिपू से सबंधित काम पड़ता रहता है, चाहे वो मंथली पास बनवाना हो या बसों सबंधी को शिकायत का. अब देखना होगा कि लम्बे समय से बड़े साहिब के आने की बाट जोह रहे कर्मचारियों और आम आदमी का इंतजार कब खत्म होता है और सरकार इस हनुमानगढ डिपू पर अपनी नजरे इनायत करती है और कब यहां की व्यवस्थाएं ढर्रे पर आती है.