हनुमानगढ़. घग्गर नदी के बहाव क्षेत्र में बढ़ रहे पानी के साथ आमजन की चिंता भी बढ़ती जा रही है. सबसे ज्यादा चिंतित नाली बेड क्षेत्र के लोग हैं. नाली बेड में अधिकतम 5 हजार क्यूसेक पानी प्रवाहित किया जा सकता है. इसमें अब तक 45 सौ क्यूसेक पानी छोड़ा जा चुका है. अगर नाली बेड में 500 क्यूसेक पानी और छोड़ा गया तो खतरे की आशंका बढ़ जाएगी. सबसे बड़ी खतरे की आशंका है पानी के साथ आ रही केली की.
घग्गर नदी का उद्गम हिमालय के सिरमौर में करीब 14 से 90 मीटर ऊंची शिवालिक पहाड़ी से होता है. यहां ग्लेशियर पिघलने पर भारी बरसात के कारण नदी में पानी का प्रवाह शुरू होता है, जो पंजाब व हरियाणा होते हुए राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में प्रवेश करता है. यहां से पानी श्रीगंगानगर जिले में प्रवेश करता हुआ आगे पाकिस्तान में चला जाता है. मानसून में चंडीगढ़ पटियाला पंचकूला सहित कई इलाकों में पानी भारी बरसात के कारण घग्गर में छोड़ा जाता है. इस कारण मानसून में भारी मात्रा में पानी आने का अंदेशा रहता है.
हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के घर का कुल 49,978 किलोमीटर के एरिया है. पाकिस्तान तक इसकी लंबाई 646 किलोमीटर है. 70 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र पंजाब और हरियाणा में है. पिछले चार-पांच दिनों से पंजाब और हरियाणा से पानी छोड़ा गया है. साथ ही बड़ी चिंता यह है कि पानी के साथ जो केली आ रही है उसे पानी में दबाव बढ़ता है और जो कच्चे बांध है वह कभी भी टूट सकते हैं. घग्गर बेड में 45 सौ क्यूसेक पानी छोड़े जाने से किसानों की चिंता भी बढ़ रही है. क्योंकि, अगर नदी के साथ साथ जो बांध बनाए गए हैं वह कच्चे हैं और अगर 500 क्यूसेक पानी और आ जाता है तो बाढ़ की आशंका बनी हुई है.