डूंगरपुर. देश और प्रदेश ही नहीं दुनियाभर में कोरोना के कहर से कोई नहीं बच पाया है. देशभर में 22 मार्च से कोरोना के कारण लॉकडाउन लागू हो गया, जिसके बाद से आज तक हालात नहीं सुधर पाए हैं. इस दौरान हजारों लोग बेरोजगार हो गए तो व्यापारों को भी भारी नुकसान हुआ है.
कोरोना काल में सबसे बड़ा असर व्यापार पर पड़ा है. जिसमें कई ऐसे व्यापार थे जो मुहूर्त, त्योहारों से जुड़े हुए हैं. अब वे पूरी तरह से चौपट हो चुके हैं. ऐसे व्यापार में खासकर टेंट व्यवसाय से जुड़े लोगों को भारी नुकसान हुआ है. साथ ही लाइट, डेकोरेशन, बैंड और कैटरिंग से जुड़े व्यापार भी ठप्प हो चुके हैं. ऐसे में इस कार्य से जुड़े लोग पिछले 6 महीने से बेरोजगार हैं. ईटीवी भारत ने ऐसे ही लोगों से बातचीत की ओर उनके सामने आ रहीं परेशानियों को जानने का प्रयास किया.
टेंट व्यवसाय में 25 करोड़ से ज्यादा का नुकसान
ईटीवी भारत ने टेंट व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि मार्च से लेकर अप्रैल, मई और जून शादियों का सीजन था. इसके बाद जुलाई, अगस्त और सितंबर में त्योहार, मुहूर्त और अन्य कई कार्यक्रम में भी लाइट, टेंट ओर डेकोरेशन का इस्तेमाल होता है. एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष सूर्यप्रकाश ने बताया कि कोरोना काल के कारण इस पूरे सीजन में न तो कहीं टेंट लगे और न ही डेकोरेशन हुआ. जिससे 25 करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार ठप्प हो चुका है. अब भी शादियों और अन्य कार्यक्रम में 50 से ज्यादा लोगों को बुलाने पर सरकार और प्रशासन की ओर से रोक है. ऐसे में उनका बिजनेस चौपट हो गया है. टेंट के व्यापार से करीब 10 से 15 लोग और उनके परिवार जुड़े रहते है. वे लोग भी ऐसे हालात में बेरोजगारी झेल रहे हैं. साथ ही टेंट गोदामों का हजारों रुपए का किराया चुकाना भी उनके लिए मुश्किल हो गया है.
हलवाई और कैटरिंग के कामकाज भी ठप्प
टेंट, लाइट के साथ ही हलवाई और केटरिंग का कार्य भी सीजन और शादियों से जुड़ा हुआ है. रिया कैटरर्स के हलवाई अनिल कुमार ने बताया कि शादी या अन्य किसी कार्यक्रम में सामूहिक भोज का आयोजन होता है तो कई लोगों के लिए खाना बनाना होता है. जिसमें प्रति ऑर्डर 30 से 40 लोगो को रोजगार मिलता है, लेकिन मार्च से लेकर अब तक इनका रोजगार भी कोरोना की भेंट चढ़ गया. न तो अब कोई खाना बनाने के लिए कैटरिंग वालों को ऑर्डर दे रहा है और न ही अन्य कोई रोजगार मिल रहा है.
न बैंड बाजा बजा और न ही दूल्हा घोड़ी चढ़ा
कोरोना का इफैक्ट बैंड बाजे, शहनाई, फोटोग्राफी और घोड़े वालो पर भी पड़ा है. शादियां सीमित दायरे में सिमट जाने से इस बार न तो बैंड बाजा बजा और न ही दूल्हा घोड़ी पर चढ़ा. शादी की सारी रस्में सादगी से पूरी हो गई. बैंड व्यवसाय से जुड़े पूर्वांक शाह ने बताया कि मार्च में लॉकडाउन हुआ, इससे पहले जिन लोगो ने ऑर्डर बुक करवा दिए थे, उनके आर्डर भी कोरोना के कारण कैंसिल हो गए तो पैसे लौटाने पड़े.
वहीं, एक बैंड पर 10 से 15 लोगों की आजीविका चलती है, लेकिन उनकी भी हालत खराब है. 6 माह से कोई काम नही मिलने से रोजी-रोटी का जुगाड़ भी मुश्किल हो गया है. वहीं शादी ब्याह में घोड़े के व्यापारी भी दुगुनी मार झेल रहे है. शादियां में घोड़े की डिमांड नहीं होने से कामाई होना तो दूर घोड़े के खाने के लिए इंतजाम करना भी मुश्किल हो रहा है.