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स्पेशल स्टोरी : मंत्रियों और अफसरों को गार्ड ऑफ ऑनर देने वाले जवान खुद बरामदों में सोने को मजबूर

डूंगरपुर के सर्किट हाऊस में मौजूद गार्ड रूम सिस्टम की तानाशाही और जवानों की लाचारी की एक ऐसी कहानी बयां करता है जो सीधे-सीधे बताती है कि किस तरह वीआईपी को गार्ड ऑफ ऑनर देने वाले जवान सर्दी, गर्मी और बरसात में बरामदों में सोने को मजबूर है.

dungarpur special story, डूंगरपुर सर्किट हाऊस
जवान बरामदों में सोने को मजबूर
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Published : Nov 28, 2019, 4:54 PM IST

डूंगरपुर. मंत्री से लेकर अफसर के आने पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर देकर स्वागत करने वाले पुलिस के जवान खुद सुविधाओं से महरूम है. सर्दी हो या गर्मी, या फिर बारिश का मौसम, उन्हें खुले आसमान के नीचे ही खड़े रहना पड़ता है. गार्ड के रूप में सुरक्षा देने वाले उन पुलिस के जवानों के लिए एक गार्ड रूम तक का इंतजाम नहीं है.

जवान बरामदों में सोने को मजबूर

प्रदेश के समस्त सर्किट हाउस में वीआईपी व्यक्तियों के आगमन एवं उनकी सुरक्षा को लेकर गार्ड लगाए जाते है. यहीं गार्ड वीआईपी का गार्ड ऑफ ऑनर के साथ स्वागत करते है. प्रदेश के सभी जिलों में पुलिस गार्ड के लिए सर्किट हाउस में अलग से गार्ड रूम बने हुए है, लेकिन प्रदेश के डूंगरपुर सर्किट हाउस में गार्ड रूम की कहानी कुछ और है. गार्ड के रूप में ही तैनात हेड कांस्टेबल रामलाल ने बताया कि कभी उनको यदि रूम दिया भी जाता है तो कोई वीआईपी आ गया तो तुरंत वह रूम उनसे छीन लिया जाएगा.

बारिश के मौसम में गार्ड्स को बरामदों में सोने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जो कि सिस्टम की तानाशाही के आगे इन जवानों की लाचारी की कहानी बयां करता है. ऐसे में यहां गार्ड की ड्यूटी पर लगने पुलिस गार्ड को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. मंत्री से लेकर अफसरों तक को गार्ड देने वाले इन पुलिस के जवानों को सुबह से ही सर्किट हाउस में तैनात कर दिया जाता है, लेकिन उनके बैठने या ठहरने के लिए सर्किट हाउस में कोई इंतजाम नहीं होता है. ऐसे में पुलिस गार्ड मंत्री या अफसरों के आने तक सर्किट हाउस में इधर-उधर घूमकर उनका इंतजार करने को मजबूर है. बारिश के मौसम में भी इन गार्ड्स को परेशानी का सामना करना पड़ता है.

पढ़ें: नागौर में निकाय चुनाव हारी भाजपा, लेकिन RLP की कोई जिम्मेदारी नहीं, बेनीवाल का इशारा तो यही है!

पुलिस कर्मियों ने बताया पहले सर्किट हाउस में पुलिस गार्ड के लिए एक रूम की व्यवस्था थी, लेकिन वह जर्जर हो गया और सर्किट हाउस प्रबंधन ने उस रूम को वापस लेते हुए उस कमरे में अपना कबाड़ डाल दिया. गार्ड रूम के अभाव में पुलिस के जवानों को सर्दी, गर्मी व बरसात के मौसम में बरामदो में रुककर अपनी ड्यूटी पूरी करनी पड़ती है. उनके मुताबिक उन्होंने कई बार उच्चाधिकारियों से संपर्क कर समस्या के बारे में अवगत करवाया, फिर भी समस्या वैसी की वैसी बनी हुई है.

डूंगरपुर. मंत्री से लेकर अफसर के आने पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर देकर स्वागत करने वाले पुलिस के जवान खुद सुविधाओं से महरूम है. सर्दी हो या गर्मी, या फिर बारिश का मौसम, उन्हें खुले आसमान के नीचे ही खड़े रहना पड़ता है. गार्ड के रूप में सुरक्षा देने वाले उन पुलिस के जवानों के लिए एक गार्ड रूम तक का इंतजाम नहीं है.

जवान बरामदों में सोने को मजबूर

प्रदेश के समस्त सर्किट हाउस में वीआईपी व्यक्तियों के आगमन एवं उनकी सुरक्षा को लेकर गार्ड लगाए जाते है. यहीं गार्ड वीआईपी का गार्ड ऑफ ऑनर के साथ स्वागत करते है. प्रदेश के सभी जिलों में पुलिस गार्ड के लिए सर्किट हाउस में अलग से गार्ड रूम बने हुए है, लेकिन प्रदेश के डूंगरपुर सर्किट हाउस में गार्ड रूम की कहानी कुछ और है. गार्ड के रूप में ही तैनात हेड कांस्टेबल रामलाल ने बताया कि कभी उनको यदि रूम दिया भी जाता है तो कोई वीआईपी आ गया तो तुरंत वह रूम उनसे छीन लिया जाएगा.

बारिश के मौसम में गार्ड्स को बरामदों में सोने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जो कि सिस्टम की तानाशाही के आगे इन जवानों की लाचारी की कहानी बयां करता है. ऐसे में यहां गार्ड की ड्यूटी पर लगने पुलिस गार्ड को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. मंत्री से लेकर अफसरों तक को गार्ड देने वाले इन पुलिस के जवानों को सुबह से ही सर्किट हाउस में तैनात कर दिया जाता है, लेकिन उनके बैठने या ठहरने के लिए सर्किट हाउस में कोई इंतजाम नहीं होता है. ऐसे में पुलिस गार्ड मंत्री या अफसरों के आने तक सर्किट हाउस में इधर-उधर घूमकर उनका इंतजार करने को मजबूर है. बारिश के मौसम में भी इन गार्ड्स को परेशानी का सामना करना पड़ता है.

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पुलिस कर्मियों ने बताया पहले सर्किट हाउस में पुलिस गार्ड के लिए एक रूम की व्यवस्था थी, लेकिन वह जर्जर हो गया और सर्किट हाउस प्रबंधन ने उस रूम को वापस लेते हुए उस कमरे में अपना कबाड़ डाल दिया. गार्ड रूम के अभाव में पुलिस के जवानों को सर्दी, गर्मी व बरसात के मौसम में बरामदो में रुककर अपनी ड्यूटी पूरी करनी पड़ती है. उनके मुताबिक उन्होंने कई बार उच्चाधिकारियों से संपर्क कर समस्या के बारे में अवगत करवाया, फिर भी समस्या वैसी की वैसी बनी हुई है.

Intro:डूंगरपुर। मंत्री से लेकर अफसर के आने पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर देकर स्वागत करने वाले पुलिस के जवान ही सुविधाओं से महरूम है। सर्दी हो या गर्मी या फिर बारिश किसी भी मौसम में उन्हें खुले आसमान के नीचे ही खड़े रहना पड़ता है। गार्ड के रूप में सुरक्षा देने वाले उन पुलिस के जवानों के लिए एक गार्ड रूम तक का इंतज़ाम नहीं है। Body:प्रदेश के समस्त सर्किट हाउस में वीआईपी व्यक्तियों के आगमन एवं उनकी सुरक्षा को लेकर गार्ड लगाई जाती है। यही गार्ड वीआईपी को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ स्वागत करती है। प्रदेश के सभी जिलों में पुलिस गार्ड के लिए सर्किट हाउस में अलग से गार्ड रूम बने हुए है, लेकिन प्रदेश के डूंगरपुर सर्किट हाउस में गार्ड रूम की सुविधा नहीं है। ऐसे में यहां गार्ड की ड्यूटी पर लगने पुलिस गार्ड को कई असुविधाओ का सामना करना पड़ता है।
मंत्री से लेकर अफसरों तक को गार्ड देने वाले इन पुलिस के जवानों को सुबह से ही सर्किट हाउस में तैनात कर दिया जाता है, लेकिन उनके बैठने या ठहरने के लिए सर्किट हाउस में कोई इंतजाम नहीं होता है। ऐसे में पुलिस गार्ड मंत्री या अफसरों के आने तक सर्किट हाउस में इधर-उधर घूमकर उनका इंतजार करने को मजबूर है। सबसे बड़ी दिक्कत बारिश के मौसम में होती है जब उन्हें गार्ड के लिए तो लगा दिया जाता है लेकिन गार्ड रूम नहीं होने से बारिश से बचाव का जुगाड़ करना पड़ता है।
पुलिस कर्मियों ने बताया पहले सर्किट हाउस में पुलिस गार्ड के लिए एक रूम की व्यवस्था थी, लेकिन वह जर्जर हो गया और सर्किट हाउस प्रबंधन ने उस रूम को वापस लेते हुए उस कमरे में अपना कबाड़ डाल दिया। ऐसे में सर्किट हाउस में गार्ड रूम नहीं होने से वीआईपी के आगमन पर सर्किट हाउस में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर तैनात रहने वाली गार्ड के सदस्यों को काफी दिक्कते होती है। गार्ड रूम के अभाव में पुलिस के जवानों को सर्दी, गर्मी व बरसात में बरामदो में रूककर अपनी ड्यूटी को अंजाम देने पर मजबूर होना पड़ रहा है। वही उनके पास मौजूद हथियार आदि की सुरक्षा को लेकर भी खतरा बना रहता है। इधर गार्ड के सदस्यों ने बताया उन्होंने कई बार इस समस्या से उच्च अधिकारियो को अवगत करवाया लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ है।

बाईट- रामलाल, हेड कांस्टेबल सदस्य गार्डConclusion:
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