धौलपुर. जिले में हुई भारी बारिश ने (Heavy Rain in Dholpur) चंबल नदी के किनारे बसे 40 गांवों को पानी-पानी कर दिया है. बचाव और राहत कार्यों के लिए सेना और एसडीआरएफ की टीम जुट गई है. कोटा बैराज से बीती रात 15 लाख से अधिक क्यूसेक पानी रिलीज किए जाने के बाद चंबल नदी का पुराना पुल डूब चुका है. पानी के तेज बहाव को देखते हुए जिला प्रशासन ने पुल के आसपास चौकसी बढ़ा दी है. नदी की बगल में बना मुक्तिधाम पूरी तरह से डूब चुका है. राजाखेड़ा, सरमथुरा, धौलपुर एवं बाड़ी उपखंड के 40 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं. 40 से अधिक गांवों पर बाढ़ संकट का खतरा मंडरा रहा है.
जिला कलेक्टर अनिल कुमार अग्रवाल ने बताया कि मध्य प्रदेश और हाड़ौती क्षेत्र में हो रही बारिश (Heavy Rain in Dholpur) से कोटा बैराज से लगातार पानी डिस्चार्ज किया जा रहा है. गांधी सागर के कैचमेंट एरिया में पानी की अधिक आवक होने पर कोटा बैराज के गेज को मेंटेन करने के लिए लगातार निकासी (Water discharge from Kota barrage) की जा रही है. उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश के मंदसौर, कोटा और झालावाड़ क्षेत्र में हुई बारिश से चंबल नदी उफान पर है. वर्तमान में चंबल नदी का पुराना पुल पूरी तरह से डूब चुका है. एहतियात के तौर पर आरएसी और पुलिस बल को चंबल पुल के आसपास तैनात किया गया है.
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15 लाख क्यूसेक से अधिक पानी रिलीज- मंगलवार रात को 15 लाख से अधिक क्यूसेक पानी चंबल में रिलीज करने के बाद राजाखेड़ा, धौलपुर, सरमथुरा और बाड़ी उपखंड क्षेत्र के 40 गांव डूबने की हालात में आ चुके हैं. गांवों से लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए सेना की टुकड़ी और एसडीआरएफ की टीम अलग-अलग क्षेत्रों में लगाई गई है. खाद्य सामग्री के साथ मेडिकल टीमें डूब क्षेत्र में तैनात हैं. नदी के निचले इलाकों में फंसे लोगों को सुरक्षित तरीके से रेस्क्यू कर अस्थाई आवास बनाकर पहुंचाया जा रहा है. साथ ही ग्रामीणों की मवेशी भी सुरक्षित रखी जा रही है. मौजूदा वक्त में राजाखेड़ा उपखंड क्षेत्र के गांव छाडियन का पुरा, चीलपुरा, अंडवा पुरैनी, दगरा, बरसला, गढ़ी जाफर समेत डेढ़ दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं. धौलपुर क्षेत्र के मोरोली, बसई नीम, कामरे का पुरा और सरमथुरा उपखंड क्षेत्र के दुर्गशी, झिरी, शंकरपुरा समेत एक दर्जन गांव में पानी घुस चुका है. बाड़ी क्षेत्र के सेवर पाली, सोने का गुर्जा समेत कई गांव दूर डूब क्षेत्र में आ चुके हैं.
स्ट्रीमर की मदद से रेस्क्यू किया जा रहा: प्रशासन की अलग-अलग टीमें डूब क्षेत्र में तैनात की गई हैं. गर्भवती महिला बच्चे और बुजुर्गों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. जिला प्रशासन की ओर से स्ट्रीमर की मदद से रेस्क्यू (Rescue in Dholpur) किया जा रहा है. चारों उपखंड क्षेत्र में 5 दर्जन से अधिक गांव का संपर्क भी कट चुका है. प्रशासन की ओर से ग्रामीणों को पानी के तेज बहाव में रास्ता पर नहीं निकलने की अपील की गई है. बाढ़ आपदा प्रबंधन की टीम लगातार डूब क्षेत्र में नजर बनाए हुए हैं.
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खतरे के निशान के ऊपर पहुंचा जल स्तर: सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता रामअवतार मीणा ने बताया चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 13 मीटर ऊपर पहुंच चुका है. उन्होंने बताया कि कोटा बैराज से 15 लाख से अधिक क्यूसेक पानी चंबल नदी में रिलीज किया है. इसके साथ चंबल की सहायक नदियां, जिसमें कालीसिंध, पार्वती, परवन समेत जंगल का पानी एवं छोटे नदी नालों का भी पानी चंबल में प्रवेश कर रहा है. जिसके कारण चंबल का रौद्र रूप बन गया है.
चंबल नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही: उन्होंने बताया कि चंबल नदी का खतरे का निशान 129.79 मीटर है. 130.79 मीटर से वार्निंग लेवल शुरू हो जाता है. लेकिन वर्तमान में जल स्तर बढ़ कर 142.40 मीटर तक पहुंच चुका है. अर्थात चंबल नदी खतरे के निशान से 13 मीटर ऊपर बह रही है. चंबल के गेज को मेंटेन करने के लिए सिंचाई विभाग की टीम तैनात की है. हर घंटे गेज की लोकेशन लेकर उच्च अधिकारियों को अपडेट किया जा रहा है. अधिशासी अभियंता मीणा ने बताया आगामी 24 घंटे में चंबल नदी में पानी की आवक और अधिक देखी जा सकती है.
सैकड़ों बीघा फसल हुई जलमग्न- चंबल नदी में पानी की लगातार आवक बढ़ने से राजाखेड़ा उपखंड चम्बल तटवर्ती गांव में सैकड़ों बीघा फसल पानी में जलमग्न हो गई है. जिससे यहां के किसानों को भारी नुकसान हुआ है. किसानों ने बताया कि उन्होंने महंगे खाद-बीज खरीद कर जैसे तैसे फसल को उगा तो लिया लेकिन विगत दो साल से लगातार चंबल की बाढ़ का दंश झेल रहे लोगों को इस बार भी चंबल ने रोने पर मजबूर कर दिया है. चंबल के बढ़ते जलस्तर के कारण बीहड़ के दर्रे में से पानी होकर खेतों में पहुंच चुका है, जिससे खेतों में खड़ी बाजरा-तिल आदि फसलें पूरी तरह से जलमग्न होकर पानी में डूब चुकी है.
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विधायक बोहरा और अधिकारियों ने किया दौराः आसमान से बरसी आफत ने जिले को पानी पानी कर दिया है. जिले के राजाखेड़ा, बाड़ी, धौलपुर एवं सरमथुरा उपखंड के लगभग 50 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं. राजाखेड़ा विधायक रोहित बोहरा, जिला कलेक्टर अनिल कुमार अग्रवाल एवं एसपी धर्मेंद्र सिंह ने राजाखेड़ा क्षेत्र में बाढ़ से घिरे गांवों का दौरा किया है. बाढ़ आपदा में फंसे लोगों को राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है. एसडीआरएफ एवं सेना की ओर से लगातार आपदा में फंसे लोगों को रेस्क्यू किया जा रहा है.
कलेक्टर अनिल कुमार अग्रवाल ने बताया चंबल में आई बाढ़ से लगभग 5000 परिवार प्रभावित हुए हैं. बाढ़ के हालातों से मुकाबला करने के लिए जिला प्रशासन मुस्तैदी से काम कर रहा है. वर्तमान में चंबल नदी उफान पर बनी हुई है. नदी के तटवर्ती एवं निचले इलाकों में जलभराव हो गया है. सैकड़ों बीघा किसानों की खरीफ की फसल भी बाढ़ की चपेट में आई है. एसडीआरएफ एवं सेना के साथ प्रशासन के सभी कर्मचारी व अधिकारी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हैं. वर्तमान में चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान से बढ़कर 14 मीटर ऊपर पहुंच चुका है।.मध्य रात्रि तक चंबल के जल स्तर में और इजाफा होने की संभावना दिखाई दे रही है.
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करौली में नदी खतरे के निशान से 5 मीटर ऊपर बह रहीः करौली के मंडरायल उपखंड से होकर गुजर रही चंबल नदी उफान पर है. हालात यह है कि नदी खतरे के निशान से 5 मीटर ऊपर बह रही है. जिसके चलते नदी किनारे बसे गांव टापू में तब्दील हो गए हैं. प्रशासन ने ग्रामीणों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है. जिला कलेक्टर अंकित कुमार ने मोर्चा संभालते हुए बुधवार को आपदा ग्रसित इलाकों में जाकर लोगों से जानकारी लेकर अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं.
भारी पानी की आवक को देखते हुए चंबल नदी का जलस्तर दिनों दिन बढ़ता चला जा रहा है. जिसको लेकर प्रशासनिक अमला अलर्ट पर बना हुआ है. वहीं जिले से लेकर उपखंड तक सभी अधिकारी चाक-चौबंद बने हुए हैं. बुधवार को जिला कलेक्टर अंकित सिंह ने बाढ़ की चपेट में आ रहे सभी गांवों के लोगों को जल्द रेस्क्यू कर सुरक्षित जगह पर पहुंचाने के निर्देश दिए हैं. जिला कलेक्टर ने मंडरायल के कैमकच्छ, राचौली, टोडी, मल्हापुरा, बूडिन बधवारा आदि गांवों का दौरा किया. बाढ़ के पानी ने कई गांवों को चौतरफा घेराव कर लिया है. जिससे लोगों का उपखंड मुख्यालय से संपर्क टूट गया है.