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कभी गांव की पहचान रहा और आज खुद की ही पहचान को तरस रहा 'तालाब' - Pond Village Dausa

जयपुर से सटे दौसा जिले के जिस गांव को तालाब के कारण पहचान मिली, आज वही तालाब अपनी परंपरागत पहचान के लिए तरसता नजर आ रहा है. हालांकि, गांव के ही एक परिवार ने अब इस तालाब को सहेजने का जिम्मा खुद के कंधों पर लिया है.

Pond Village Dausa
दौसा जिले का तालाब गांव
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Published : Aug 9, 2020, 11:00 PM IST

दौसा. जिले के तालाब गांव में किसी वक्त कपास की खेती हुआ करती थी. तो यहां लगने वाली कपास की मंडी में व्यापार के लिए दूरदराज से लोग आया करते थे. दौसा जिले में एक छोटा सा गांव आज से 8 से 9 दशक पहले अपने यहां मौजूद तालाब और जल संरक्षण के स्रोतों के कारण अपनी अलग पहचान बनाए हुए था. लेकिन वक्त के साथ तालाब पर मिट्टी डाल दी गई और लंबे क्षेत्र में फैला तालाब चंद हजार फीट के क्षेत्र में सिमट कर रह गया.

दौसा जिले का तालाब गांव

इस तालाब के आसपास खेती तो होती रही, लेकिन गांव में जल संरक्षण और जल पुनर्भरण का यह प्रमुख स्रोत गांव में बेतरतीब विकास की भेंट चढ़ गया. आसपास आवासीय कॉलोनियां विकसित हो गई, और गांव के लोग इस परंपरागत स्रोत के होने के बावजूद पानी के लिए तरसने लगे. ऐसे में गांव के प्रमुख परिवारों ने इस साल आपको फिर से सहेजने का जिम्मा उठाया, और सरकारी मदद से इस तालाब के पुनरुद्धार की मुहिम को शुरू किया गया.

Pond Village Dausa
अस्तित्व खो रहा तालाब

इसके बाद तालाब के चारों तरफ पाल बनाई गई. बारिश का पानी आसपास के क्षेत्र से कैसे तालाब तक पहुंचे, इसके लिए पक्के नाले बनाकर पानी को तालाब तक पहुंचाया गया, और तालाब से पानी का रिसाव ज्यादा ना हो इसके लिए सरकार के अनुभवी अफसरों की मदद से मिले सुझाव के आधार पर ऊपरी किनारों पर प्लास्टिक की कोटिंग की गई. इन कोशिशों के कारण ही यह तालाब अब फिर से सजीव रूप धारण करता हुआ नजर आ रहा है, और इसमें 8 से 10 फीट तक पानी इस बरसात में भर गया है.

Pond Village Dausa
गांव को मिली तालाब के कारण पहचान

पढ़ें- बूंदी: सालों से अटकी पड़ी है रामगढ़ टाइगर रिजर्व की फाइल, राजनीतिक रसूखदारों की चढ़ रही भेंट

तालाब गांव का यह परंपरा के तालाब भले ही अब छोटे से हिस्से में सिमटा हुआ है, और इसमें जो पानी है उससे आसपास के 10 से 12 खेतों में सिंचाई हो जाती है. एक बड़ा भूभाग इस पानी से सिंचित होकर गांव की पहचान को कायम करने की कोशिश की साकार होने की मिसाल है.

ईटीवी भारत ऐसे ही प्रयासों को प्रदेश के बाकी हिस्सों तक पहुंचाने की कोशिश करता रहेगा. ताकि लोग भी जल संरक्षण के लिए प्रेरित हो और अपने परंपरागत जल स्रोतों को सहेजने के साथ-साथ उनके संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ते रहें.

दौसा. जिले के तालाब गांव में किसी वक्त कपास की खेती हुआ करती थी. तो यहां लगने वाली कपास की मंडी में व्यापार के लिए दूरदराज से लोग आया करते थे. दौसा जिले में एक छोटा सा गांव आज से 8 से 9 दशक पहले अपने यहां मौजूद तालाब और जल संरक्षण के स्रोतों के कारण अपनी अलग पहचान बनाए हुए था. लेकिन वक्त के साथ तालाब पर मिट्टी डाल दी गई और लंबे क्षेत्र में फैला तालाब चंद हजार फीट के क्षेत्र में सिमट कर रह गया.

दौसा जिले का तालाब गांव

इस तालाब के आसपास खेती तो होती रही, लेकिन गांव में जल संरक्षण और जल पुनर्भरण का यह प्रमुख स्रोत गांव में बेतरतीब विकास की भेंट चढ़ गया. आसपास आवासीय कॉलोनियां विकसित हो गई, और गांव के लोग इस परंपरागत स्रोत के होने के बावजूद पानी के लिए तरसने लगे. ऐसे में गांव के प्रमुख परिवारों ने इस साल आपको फिर से सहेजने का जिम्मा उठाया, और सरकारी मदद से इस तालाब के पुनरुद्धार की मुहिम को शुरू किया गया.

Pond Village Dausa
अस्तित्व खो रहा तालाब

इसके बाद तालाब के चारों तरफ पाल बनाई गई. बारिश का पानी आसपास के क्षेत्र से कैसे तालाब तक पहुंचे, इसके लिए पक्के नाले बनाकर पानी को तालाब तक पहुंचाया गया, और तालाब से पानी का रिसाव ज्यादा ना हो इसके लिए सरकार के अनुभवी अफसरों की मदद से मिले सुझाव के आधार पर ऊपरी किनारों पर प्लास्टिक की कोटिंग की गई. इन कोशिशों के कारण ही यह तालाब अब फिर से सजीव रूप धारण करता हुआ नजर आ रहा है, और इसमें 8 से 10 फीट तक पानी इस बरसात में भर गया है.

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गांव को मिली तालाब के कारण पहचान

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तालाब गांव का यह परंपरा के तालाब भले ही अब छोटे से हिस्से में सिमटा हुआ है, और इसमें जो पानी है उससे आसपास के 10 से 12 खेतों में सिंचाई हो जाती है. एक बड़ा भूभाग इस पानी से सिंचित होकर गांव की पहचान को कायम करने की कोशिश की साकार होने की मिसाल है.

ईटीवी भारत ऐसे ही प्रयासों को प्रदेश के बाकी हिस्सों तक पहुंचाने की कोशिश करता रहेगा. ताकि लोग भी जल संरक्षण के लिए प्रेरित हो और अपने परंपरागत जल स्रोतों को सहेजने के साथ-साथ उनके संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ते रहें.

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