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Special : लाखों खर्च फिर भी सफाई व्यवस्था चौपट, गली-गली में कूड़े का ढेर

दौसा में सफाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है. गली-गली कूड़े का ढेर लगा है. जबकि हर महीने सफाई व्यवस्था पर 25 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं. नगर परिषद की लापरवाही का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहै है. पार्षदों और स्थानीय लोगों की शिकायतों के बाद भी अफसर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

Garbage dump in streets
गली-गली में कूड़े का ढेर
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Published : Aug 1, 2020, 5:56 PM IST

दौसा. जिले में सफाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है. गली-गली कूड़े का ढेर लगा है. जबकि हर महीने सफाई व्यवस्था पर हर महीने 25 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं. नगर परिषद की लापरवाही का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहै है. पार्षदों और स्थानीय लोगों की शिकायतों के बाद भी अफसर की नींद नहीं टूट रही है.

लाखों खर्च फिर भी सफाई व्यवस्था चौपट

आम आदमी से लेकर जिले के प्रशासनिक अधिकारी तक शहर में फैली गंदगी से परेशान हैं. नगर परिषद की ओर से शहर की साफ-सफाई के लिए लगभग हर महीने 25 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं. सफाई कर्मचारी और ठेकेदारों को लगभग 25 लाख रुपये महीने का भुगतान किया जा रहा है, उसके बावजूद शहर के हालात बदतर हैं. नालों में गंदगी भरी होने के साथ जगह-जगह कूड़े का ढेर लगा हुआ है. सफाई कर्मचारी कचरा उठाने के लिए भी नहीं आ रहे हैं. बदबू और गंदगी के कारण लोगों को माेहल्लों की सड़कों पर निकलना मुश्किल हो गया है.

नगर परिषद के आयुक्त सुरेंद्र मीणा का कहना है कि सफाई करने वाले ठेकेदार का टेंडर खत्म हो चुका है. ऐसे में नगर परिषद में स्थाई कर्मचारी ही हैं जिनके भरोसा शहर की सफाई व्यस्था है. जहां से शिकायत आती है, प्राथमिकता से उसका निस्तारण कराया जाता है. लेकिन कम कर्मचारी होने से शहर की साफ-सफाई बरकरार रखने में दिक्कत आ रही है. जल्द ही टेंडर करवाए जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें : SPECIAL: पानी को तरस रहे लोग, लीकेज से बर्बाद हो रहा लाखों लीटर पानी

नालों की सालों से नहीं कराई गई सफाई

नगर परिषद के उपसभापति वीरेंद्र शर्मा ने नगर परिषद सभापति पर निशाना साधते हुए कहा कि 10 वर्षों से शहर की सफाई व्यवस्था बदतर है. नगर परिषद सभापति पर आरोप लगाया कि वे भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और उन्हीं की अनदेखी के कारण शहर की सफाई व्यवस्था चौपट हुई है. दौसा जिला मुख्यालय पर आजादी से पहले नगरपालिका बना दी गई थी. वर्तमान सभापति के पद संभालने के बाद से हालात बिगड़े हैं. महामारी के चलते साफ-सफाई रखना बहुत आवश्यक है लेकिन नालियों में गंदगी, बदबू से आमजन बुरी तरह त्रस्त है. लोगों का कहना है कि नालों की सफाई कभी नहीं होती है. बदबू के कारण रहना भी दुभर हो जाता है.

यह भी पढ़ें : बाड़मेर में कैसे रुकेगा संक्रमण, कोविड केयर सेंटर के बाहर गंदगी का आलम...Video Viral

नगर परिषद के पार्षद बाबूलाल जैमन का कहना है कि पिछले 5 वर्षों से शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट हैं. नगर परिषद सभापति और आयुक्त जनता क्या पार्षदों की भी नहीं सुनते. कई बार आवाज भी उठाई गई, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया. पार्षदों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा है, लेकिन हालात जस के तस हैं.

दौसा. जिले में सफाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है. गली-गली कूड़े का ढेर लगा है. जबकि हर महीने सफाई व्यवस्था पर हर महीने 25 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं. नगर परिषद की लापरवाही का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहै है. पार्षदों और स्थानीय लोगों की शिकायतों के बाद भी अफसर की नींद नहीं टूट रही है.

लाखों खर्च फिर भी सफाई व्यवस्था चौपट

आम आदमी से लेकर जिले के प्रशासनिक अधिकारी तक शहर में फैली गंदगी से परेशान हैं. नगर परिषद की ओर से शहर की साफ-सफाई के लिए लगभग हर महीने 25 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं. सफाई कर्मचारी और ठेकेदारों को लगभग 25 लाख रुपये महीने का भुगतान किया जा रहा है, उसके बावजूद शहर के हालात बदतर हैं. नालों में गंदगी भरी होने के साथ जगह-जगह कूड़े का ढेर लगा हुआ है. सफाई कर्मचारी कचरा उठाने के लिए भी नहीं आ रहे हैं. बदबू और गंदगी के कारण लोगों को माेहल्लों की सड़कों पर निकलना मुश्किल हो गया है.

नगर परिषद के आयुक्त सुरेंद्र मीणा का कहना है कि सफाई करने वाले ठेकेदार का टेंडर खत्म हो चुका है. ऐसे में नगर परिषद में स्थाई कर्मचारी ही हैं जिनके भरोसा शहर की सफाई व्यस्था है. जहां से शिकायत आती है, प्राथमिकता से उसका निस्तारण कराया जाता है. लेकिन कम कर्मचारी होने से शहर की साफ-सफाई बरकरार रखने में दिक्कत आ रही है. जल्द ही टेंडर करवाए जा रहे हैं.

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नालों की सालों से नहीं कराई गई सफाई

नगर परिषद के उपसभापति वीरेंद्र शर्मा ने नगर परिषद सभापति पर निशाना साधते हुए कहा कि 10 वर्षों से शहर की सफाई व्यवस्था बदतर है. नगर परिषद सभापति पर आरोप लगाया कि वे भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और उन्हीं की अनदेखी के कारण शहर की सफाई व्यवस्था चौपट हुई है. दौसा जिला मुख्यालय पर आजादी से पहले नगरपालिका बना दी गई थी. वर्तमान सभापति के पद संभालने के बाद से हालात बिगड़े हैं. महामारी के चलते साफ-सफाई रखना बहुत आवश्यक है लेकिन नालियों में गंदगी, बदबू से आमजन बुरी तरह त्रस्त है. लोगों का कहना है कि नालों की सफाई कभी नहीं होती है. बदबू के कारण रहना भी दुभर हो जाता है.

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नगर परिषद के पार्षद बाबूलाल जैमन का कहना है कि पिछले 5 वर्षों से शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट हैं. नगर परिषद सभापति और आयुक्त जनता क्या पार्षदों की भी नहीं सुनते. कई बार आवाज भी उठाई गई, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया. पार्षदों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा है, लेकिन हालात जस के तस हैं.

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