सिकराय में विधायक के लिखित आश्वासन के बाद ग्रामीणों की भूख हड़ताल खत्म, यहां जानें पूरा मामला - भूख हड़ताल
कई बार गुहार लगाने के बाद भी ढाणी के लिए रास्ता नहीं निकालने पर प्रशासन के खिलाफ एसडीएम कार्यालय के बाहर जोध्या गांव के ग्रामीण भूख हड़ताल और धरने पर बैठ गए. विधायक ने लिखित आश्वासन देकर उनकी भूड़ हड़ताल को तुड़वाया.
Published : Jan 15, 2024, 1:35 PM IST
दौसा. जिले के सिकराय में एसडीएम कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल पर बैठे ग्रामीणों को विधायक बंशीवाल और एसडीएम डॉक्टर नवीन कुमार ने कार्रवाई का आश्वासन दिया. इसके बाद उनकी भूख हड़ताल समाप्त करवाई. इस दौरान विधायक और प्रशासनिक अधिकारियों ने ग्रामीणों को 18 जनवरी तक ढाणी के लिए रास्ता निकालने का भरोसा दिलाया.
बता दें कि ग्रामीणों की ओर से की जा रही भूख हड़ताल का मुद्दा ईटीवी भारत पर प्रमुखता से उठाया गया था. खबर प्रकाशित होने के बाद बीजेपी विधायक विक्रम बंशीवाल ने मामले का संज्ञान लिया और वो प्रशासनिक अधिकारियों के साथ भूख हड़ताल पर बैठे ग्रामीणों के पास पहुंचे.
18 जनवरी को निकाला जाएगा रास्ता : इस दौरान भूख हड़ताल कर रहे ग्रामीणों से विधायक ने समझाइश की, लेकिन ग्रामीण रास्ता निकालने की मांग पर अड़े रहे. ऐसे में विधायक ने लिखित में ग्रामीणों को रास्ता निकालने का भरोसा दिया. साथ ही, मौके पर मौजूद एसडीएम नवीन कुमार को 18 जनवरी को ढाणी के लिए रास्ता निकलवाने के सख्त निर्देश दिए. इसके बाद ग्रामीण भूख हड़ताल और धरना समाप्त करने के लिए राजी हुए. ऐसे में विधायक ने भूख हड़ताल पर बैठे ग्रामीणों को फल खिलकार और पानी पिलाकर उनका धरना समाप्त कराया.
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प्रशासन ने ली राहत की सांस : दरअसल, 13 जनवरी से एसडीएम कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल पर ग्रामीणों के बैठे होने से स्थानीय प्रशासन के भी हाथ पांव फूले हुए थे. वहीं, धरनास्थल पर किसी घटना की आशंका को देखते हुए मेहंदीपुर बालाजी और मानपुर थाने का जाब्ता मौजूद कर रखा गया था, लेकिन धरना समाप्त होने के बाद स्थानीय प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है.
ये था मामला : बता दें कि दौसा जिले के सिकराय उपखंड के जोध्या गांव में स्थित जींद की ढाणी में रहने वाले लोगों के लिए रास्ता नहीं है. ऐसे में ग्रामीणों ने रास्ता निकालने के लिए एसडीएम न्यायालय में रास्ता निकालने की मांग की थी. कई वर्षों तक मामला न्यायालय में विचाराधीन था. एक माह पहले एसडीएम कोर्ट ने रास्ता स्वीकृत किया था, जिसकी डीएलसी दर के हिसाब से ग्रामीणों ने राशि भी जमा करवा दी गई थी. साथ ही तहसील कार्यालय से नामांतरण खोलकर रास्ते को राजस्व रिकॉर्ड में भी दर्ज कर लिया गया था.
इस दौरान कोर्ट ने एक महीने पूर्व राजस्व और पुलिस अधिकारियों को रास्ता चालू करवाने के निर्देश दिए थे, लेकिन ग्रामीणों की ओर से बार-बार रास्ता निकालने की गुहार लगाने के बाद भी प्रशासन रास्ता नहीं निकाल रहा था. इससे नाराज ग्रामीण धरने पर बैठे गए.