दौसा. जिले में 4 और 5 मार्च को हुई ओलावृष्टि में किसानों की फसल तबाह हो जाने के बाद अब किसानों को विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का दंश झेलना पड़ रहा है. ओलावृष्टि में किसानों की 90 प्रतिशत से अधिक फसल चौपट हो जाने के बाद सरकार ने किसानों को मुआवजा और फसली बीमा से किसानों को सहायता देने की बात पर कृषि विभाग के अधिकारी पानी फिरते नजर आ रहे हैं.
जिसके चलते मंगलवार को जिले के कई गांव के लोग एकत्रित होकर कृषि उपनिदेशक कार्यालय पहुंचे और ओलावृष्टि में बर्बाद हुई फसल के लिए मुआवजे के लिए आवेदन जमा करवाने के लिए चक्कर लगाते नजर आए. लेकिन विभाग की तरफ से उनके आवेदन जमा करने से साफ शब्दों में इंकार कर दिया है.
पढ़ेंः कांग्रेस के आधा दर्जन से अधिक विधायकों का दावा, राजस्थान में पूरे 5 साल चलेगी सरकार
इस मामले को लेकर किसानों का कहना है कि ओलावृष्टि के बाद कृषि विभाग ने एक टोल फ्री नंबर दिया था. जिससे कि ओलावृष्टि में बर्बाद हुई फसल के मुआवजे के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना था, लेकिन उस टोल फ्री नंबर पर कभी कॉल लगा ही नहीं हमेशा व्यस्त बताता रहा.
विभाग ने 7 दिन के लिए ऑफिस में आवेदन की हार्ड कॉपी जमा करवाने के लिए भी समय दिया था, लेकिन उसकी किसानों को जानकारी ही नहीं थी. जिसके चलते जिले के सैकड़ों किसान ओलावृष्टि में बर्बाद हुई फसल के मुआवजे के लिए आवेदन जमा करवाने के लिए विभाग के कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं.
वहीं मामले को लेकर कृषि उपनिदेशक श्रीकांत अग्निहोत्री का कहना है कि हमने किसानों के लिए टोल फ्री नंबर और 7 दिन में ऑफिस में आवेदन जमा करवाने का समय भी दिया था. हमारे विभाग के अधिकारियों ने गांव-गांव किसानों के पास जाकर इसके लिए लोगों को जागरूक भी कर रहे थे. लेकिन उसके बावजूद किसान अब आवेदन जमा करवाने आए हैं. इसलिए अब लंबा समय निकल जाने के बाद आवेदन जमा नहीं किए जा सकते.
पढ़ेंः कांग्रेस के आधा दर्जन से अधिक विधायकों का दावा, राजस्थान में पूरे 5 साल चलेगी सरकार
वहीं किसानों का कहना है कि ना ही विभाग की तरफ से हमें कोई जानकारी दी गई और ना ही और कोई विभाग का कर्मचारी हमारे पास जानकारी देने पहुंचा. जिसके चलते ओलावृष्टि में बर्बाद हुई फसल का मुआवजा लेने के लिए वह विभाग के कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं.