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कोटा में कोचिंग ले रहे 2 स्टूडेंट्स को मिला आईओएए में गोल्ड मेडल, एक को सिल्वर, कहा-कोटा की मदद से मिली सफलता - 2 GOLD AND 1 SILVER IN IOAA JUNIOR

आईओएए जूनियर में भारत के दो स्टूडेंट्स को गोल्ड और एक को सिल्वर मे​डल मिला है. तीनों स्टूडेंट्स कोटा से कोचिंग कर रहे हैं.

2 Gold and 1 Silver in IOAA Junior
कोटा कोचिंग के स्टूडेंट्स ने जीते गोल्ड और सिल्वर (ETV Bharat Kota)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 11, 2024, 8:09 PM IST

कोटा: इंटरनेशनल ओलिंपियाड का एस्टॉनोमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स फॉर जूनियर (आईओएए) का आयोजन इस बार 3 से 10 अक्टूबर के बीच नेपाल की राजधानी काठमांडू में हुआ. इसमें 19 देश की टीमों ने भाग लिया. यहां 8 गोल्ड मेडल में से 2 गोल्ड मेडल व 1 सिल्वर मेडल भारत के स्टूडेंट लेकर आए हैं. तीनों ही स्टूडेंट कोटा की कोचिंग संस्थान से जुड़े हैं. इनमें से दो ने कोटा में रहकर ही ओलंपियाड की तैयारी की थी. शुक्रवार को कोटा पहुंचने पर इनका स्वागत किया गया.

कोटा में पढ़ाई कर तीन भारतीय स्टूडेंट्स ने आईओएए में गाड़े झंडे (ETV Bharat Kota)

दुविधाओं का समाधान होता है तुरंत: मूल रूप से दिल्ली निवासी और गोल्ड मेडल लाने वाले सुमंत गुप्ता का कहना है कि वे बीते 1 साल से कोटा में है और ओलंपियाड की तैयारी कर रहे थे. वर्तमान में अभी जेईई मेन व एडवांस्ड की तैयारी कर रहे हैं. कोटा में काफी अच्छा स्टडी का एनवायरमेंट है. यहां पर फैकल्टी भी काफी अच्छी है. हमें तत्काल मेंटर भी मिल जाते हैं, ताकि कोई भी दुविधा होने पर हम उसे तुरंत सॉल्व कर सकें. कोटा से ऑनलाइन तैयारी कर गोल्ड मेडलिस्ट बने शशांक कौंडिल्य का कहना है कि आईजीएसओ में उनका नंबर नहीं आ पाया. ऐसे में वह परेशान था, लेकिन उन्हें प्लान बी के बारे में पता नहीं था. इसके बाद फैकल्टी ने उन्हें एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोफिजिक्स ओलंपियाड में भेज दिया. जहां पर वह गोल्ड मेडल लाने में सफल हुए हैं.

पढ़ें: International Science Olympiad : कोटा के स्टूडेंट्स ने लहराया परचम, अब तक 34 गोल्ड जीते

फैकल्टी ने दिखाई राह: सिल्वर मेडल लाने वाले प्रांजल दीक्षित का कहना है कि मैं मूल रूप से बिहार के सीतामढ़ी निवासी हूं और बीते 1 साल से कोटा में रहकर ही ओलंपियाड की तैयारी कर रहा था. जूनियर साइंस ओलंपियाड में उनका नंबर नहीं आ पाया था. इससे थोड़ा निराश जरूर हुआ था, लेकिन फैकल्टी ने एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोफिजिक्स की तैयारी में जुटा दिया. इसमें एक नंबर से ही ओलंपियाड में गोल्ड मेडल लेने से चूक गए और उन्हें सिल्वर मेडल मिला है.

पढ़ें: Rajasthan : इंटरनेशनल ओलंपियाड में कोटा कोचिंग के 19 छात्रों का चयन, कुल 29 बच्चे लेंगे भाग

हर तरफ से मिला सपोर्ट: उनका कहना है कि उन्हें कोचिंग का काफी सपोर्ट मिला है. अच्छे से तारों व अंतरिक्ष को रात में देख सकें. इसके लिए उन्हें रामगढ़ क्रेटर ले जाया गया. रात के समय वहां व्यवस्था की गई. ताकि वहां से काफी अंधेरा रहने के चलते अच्छी तरह से अंतरिक्ष के तारों को ऑब्जर्व कर पाएं. दूसरी तरफ दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर से भी उनकी क्लासेस लगवाई गई. कोटा की फैकल्टी ने हमें गाइडेंस दिया और मेंटरशिप की. इसी के चलते हम सफलता तक पहुंचे हैं. अब मेरा गोल आईआईटी जेईई एडवांस्ड को क्रैक करना है. मैं आईआईटी बॉम्बे में एडमिशन लेना चाहता हूं और सीनियर ओलंपियाड में फोकस करना चाहता हूं.

कोटा: इंटरनेशनल ओलिंपियाड का एस्टॉनोमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स फॉर जूनियर (आईओएए) का आयोजन इस बार 3 से 10 अक्टूबर के बीच नेपाल की राजधानी काठमांडू में हुआ. इसमें 19 देश की टीमों ने भाग लिया. यहां 8 गोल्ड मेडल में से 2 गोल्ड मेडल व 1 सिल्वर मेडल भारत के स्टूडेंट लेकर आए हैं. तीनों ही स्टूडेंट कोटा की कोचिंग संस्थान से जुड़े हैं. इनमें से दो ने कोटा में रहकर ही ओलंपियाड की तैयारी की थी. शुक्रवार को कोटा पहुंचने पर इनका स्वागत किया गया.

कोटा में पढ़ाई कर तीन भारतीय स्टूडेंट्स ने आईओएए में गाड़े झंडे (ETV Bharat Kota)

दुविधाओं का समाधान होता है तुरंत: मूल रूप से दिल्ली निवासी और गोल्ड मेडल लाने वाले सुमंत गुप्ता का कहना है कि वे बीते 1 साल से कोटा में है और ओलंपियाड की तैयारी कर रहे थे. वर्तमान में अभी जेईई मेन व एडवांस्ड की तैयारी कर रहे हैं. कोटा में काफी अच्छा स्टडी का एनवायरमेंट है. यहां पर फैकल्टी भी काफी अच्छी है. हमें तत्काल मेंटर भी मिल जाते हैं, ताकि कोई भी दुविधा होने पर हम उसे तुरंत सॉल्व कर सकें. कोटा से ऑनलाइन तैयारी कर गोल्ड मेडलिस्ट बने शशांक कौंडिल्य का कहना है कि आईजीएसओ में उनका नंबर नहीं आ पाया. ऐसे में वह परेशान था, लेकिन उन्हें प्लान बी के बारे में पता नहीं था. इसके बाद फैकल्टी ने उन्हें एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोफिजिक्स ओलंपियाड में भेज दिया. जहां पर वह गोल्ड मेडल लाने में सफल हुए हैं.

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फैकल्टी ने दिखाई राह: सिल्वर मेडल लाने वाले प्रांजल दीक्षित का कहना है कि मैं मूल रूप से बिहार के सीतामढ़ी निवासी हूं और बीते 1 साल से कोटा में रहकर ही ओलंपियाड की तैयारी कर रहा था. जूनियर साइंस ओलंपियाड में उनका नंबर नहीं आ पाया था. इससे थोड़ा निराश जरूर हुआ था, लेकिन फैकल्टी ने एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोफिजिक्स की तैयारी में जुटा दिया. इसमें एक नंबर से ही ओलंपियाड में गोल्ड मेडल लेने से चूक गए और उन्हें सिल्वर मेडल मिला है.

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हर तरफ से मिला सपोर्ट: उनका कहना है कि उन्हें कोचिंग का काफी सपोर्ट मिला है. अच्छे से तारों व अंतरिक्ष को रात में देख सकें. इसके लिए उन्हें रामगढ़ क्रेटर ले जाया गया. रात के समय वहां व्यवस्था की गई. ताकि वहां से काफी अंधेरा रहने के चलते अच्छी तरह से अंतरिक्ष के तारों को ऑब्जर्व कर पाएं. दूसरी तरफ दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर से भी उनकी क्लासेस लगवाई गई. कोटा की फैकल्टी ने हमें गाइडेंस दिया और मेंटरशिप की. इसी के चलते हम सफलता तक पहुंचे हैं. अब मेरा गोल आईआईटी जेईई एडवांस्ड को क्रैक करना है. मैं आईआईटी बॉम्बे में एडमिशन लेना चाहता हूं और सीनियर ओलंपियाड में फोकस करना चाहता हूं.

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