जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने जिला शिक्षा अधिकारी के बांसवाड़ा स्थित कार्यालय में संस्थापन अधिकारी के पद पर कार्यरत याचिकाकर्ता को शिकायत के आधार पर एपीओ कर कार्यमुक्त करने के आदेश की क्रियांविति पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में प्रमुख स्कूल शिक्षा सचिव व निदेशक माध्यमिक शिक्षा से जवाब देने के लिए कहा है. जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ ने यह आदेश विजय कुमार व्यास की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने बताया कि याचिकाकर्ता जिला शिक्षा अधिकारी के बांसवाड़ा स्थित कार्यालय में संस्थापन अधिकारी के पद पर था. विभाग ने झूठी शिकायत के आधार पर उसे 13 मार्च 2024 को एपीओ कर दिया. वहीं, इसके छह महीने बाद 12 सितंबर 2024 को आदेश जारी कर उसे चित्तौड़गढ़ मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ऑफिस के लिए कार्यमुक्त कर दिया.
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इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि राजस्थान सेवा नियम के नियम 25 ए के तहत किसी भी कर्मचारी को आदेशों की प्रतीक्षा में पदस्थापित किया जा सकता है, लेकिन ऐसा नियम 7 में बताई गई परिस्थतियों में ही हो सकता है. इसके बावजूद विभाग ने नियमों के विपरीत जाकर मनमाने तरीके से प्रार्थी को झूठी शिकायत के आधार पर एपीओ किया और कई महीने बाद कार्यमुक्त किया है. प्रार्थी को एपीओ व कार्यमुक्त करने वाले आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाई जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को एपीओ करने के आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.