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यहां दशहरे पर रावण नहीं, महिषासुर का होता दहन, इसके पीछे है अनोखी कहानी

राजस्थान के बिजयनगर में रावण नहीं, महिषासुर का होता है दहन. 23 सालों से चली आ रही ये परंपरा.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

DUSSEHRA 2024
महिषासुर दहन की अनोखी परंपरा (Etv Bharat ajmer)

बिजयनगर/ब्यावर : राजस्थान में बिजयनगर के निकट ब्यावर रोड स्थित शक्तीपीठ श्री बाड़ी माता मंदिर में आसोज नवरात्रि में रावण की जगह महिषासुर के दहन की परंपरा है. ये प्रदेश का ऐसा पहला स्थान है, जहां महिषासुर के पुतले का दहन होता है. दरअसल, ये सिलसिला आज से करीब 23 साल पहले शुरू हुआ था. वहीं, कल यानी 11 अक्टूबर को मंदिर परिसर में मां भगवती मर्दिनी 41 फीट के महिषासुर के पुतले का दहन करेंगी.

जानें क्यों होता है महिषासुर का दहन : बिजयनगर के निकट स्थित प्रमुख शक्तिपीठ श्री बाड़ी माता मंदिर टस्ट के प्रमुख कृष्णा टाक ने बताया कि महिषासुर एक राक्षस था. उसका वध करने के लिए भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के तेज से व अन्य देवी-देवताओं ने अस्त्र शस्त्रों से मां भगवती को सुसज्जित किया था. उसके बाद माता शेर पर सवार होकर विकराल रूप धारण कर महिषासुर से युद्ध की और उसका वध किया था.

यहां दशहरे पर रावण नहीं, महिषासुर का होता दहन (Etv Bharat ajmer)

इसे भी पढ़ें - हर कोई रह गया दंग, जब गरबा महोत्सव में 'नारी शक्ति' ने भांजी तलवारें

23 सालों से हो रहा महिषासुर दहन : बाड़ी माता तीर्थ धाम पर गत 23 सालों से महिषासुर का दहन होता आ रहा है. हर वर्ष जगह-जगह दशहरे पर रावण दहन का कार्यक्रम होता है, लेकिन प्रदेश व देश में शायद ये इकलौता ऐसा स्थान है, जहां रावण की जगह महिषासुर का दहन किया जाता है.

बाड़ी माता मंदिर में महिषासुर के दहन का कोई विशेष कारण नहीं बताया जाता है. बस इतना ही बताया जाता है कि वर्षों पहले मां के परम भक्त स्मृतिशेष चुन्नीलाल टांक ने इस परंपरा को शुरू किया था, जिसका तभी से अनुसरण किया जा रहा है. इस दिन यहां मेले के आयोजन के साथ ही भव्य झांकियां लगती हैं, जिसे देखने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.

बाड़ी माता मंदिर के शिखर की ऊंचाई 185 फीट है. मंदिर में भोलेनाथ, मां लक्ष्मी, धर्मराज, श्रीकृष्ण-राधा, श्रीराम दरबार, चारभुजानाथ, गंगा मैया, चित्रगुप्त, सूर्यनारायण भगवान, रामदेव, गायत्री माता, शीतला माता सहित अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं.

बिजयनगर/ब्यावर : राजस्थान में बिजयनगर के निकट ब्यावर रोड स्थित शक्तीपीठ श्री बाड़ी माता मंदिर में आसोज नवरात्रि में रावण की जगह महिषासुर के दहन की परंपरा है. ये प्रदेश का ऐसा पहला स्थान है, जहां महिषासुर के पुतले का दहन होता है. दरअसल, ये सिलसिला आज से करीब 23 साल पहले शुरू हुआ था. वहीं, कल यानी 11 अक्टूबर को मंदिर परिसर में मां भगवती मर्दिनी 41 फीट के महिषासुर के पुतले का दहन करेंगी.

जानें क्यों होता है महिषासुर का दहन : बिजयनगर के निकट स्थित प्रमुख शक्तिपीठ श्री बाड़ी माता मंदिर टस्ट के प्रमुख कृष्णा टाक ने बताया कि महिषासुर एक राक्षस था. उसका वध करने के लिए भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के तेज से व अन्य देवी-देवताओं ने अस्त्र शस्त्रों से मां भगवती को सुसज्जित किया था. उसके बाद माता शेर पर सवार होकर विकराल रूप धारण कर महिषासुर से युद्ध की और उसका वध किया था.

यहां दशहरे पर रावण नहीं, महिषासुर का होता दहन (Etv Bharat ajmer)

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23 सालों से हो रहा महिषासुर दहन : बाड़ी माता तीर्थ धाम पर गत 23 सालों से महिषासुर का दहन होता आ रहा है. हर वर्ष जगह-जगह दशहरे पर रावण दहन का कार्यक्रम होता है, लेकिन प्रदेश व देश में शायद ये इकलौता ऐसा स्थान है, जहां रावण की जगह महिषासुर का दहन किया जाता है.

बाड़ी माता मंदिर में महिषासुर के दहन का कोई विशेष कारण नहीं बताया जाता है. बस इतना ही बताया जाता है कि वर्षों पहले मां के परम भक्त स्मृतिशेष चुन्नीलाल टांक ने इस परंपरा को शुरू किया था, जिसका तभी से अनुसरण किया जा रहा है. इस दिन यहां मेले के आयोजन के साथ ही भव्य झांकियां लगती हैं, जिसे देखने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.

बाड़ी माता मंदिर के शिखर की ऊंचाई 185 फीट है. मंदिर में भोलेनाथ, मां लक्ष्मी, धर्मराज, श्रीकृष्ण-राधा, श्रीराम दरबार, चारभुजानाथ, गंगा मैया, चित्रगुप्त, सूर्यनारायण भगवान, रामदेव, गायत्री माता, शीतला माता सहित अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं.

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