जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों में छात्राओं के लिए साइकिल खरीद के टेंडर की शर्तों में बदलाव व टेंडर प्रक्रिया को चुनौती देने वाली पीआईएल को कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग मानकर खारिज कर दिया. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए का हर्जाना लगाते हुए इस राशि को दो माह में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने को कहा है. सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश इशाक की जनहित याचिका पर दिए.
अदालत ने कहा कि ना तो साइकिल निर्माता और ना ही साइकिल बिक्री का व्यापार करने वालों ने टेंडर के नियम व शर्तो मे हुए बदलाव को चुनौती दी है. एक आम आदमी ने साइकिल के टेंडर की प्रक्रिया को चुनौती दी है और यह नहीं कहा जा सकता कि टेंडर की शर्तों में बदलाव जनहित के खिलाफ है. यह जनहित याचिका पूरी तरह से न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने वाली है, इसलिए इसे खारिज किया जाना उचित होगा.
जनहित याचिका अधिवक्ता अभिनव मुखर्जी ने बताया कि राज्य सरकार ने 22 जुलाई 2024 को 9 वीं कक्षा में पढ़ने वाली बालिकाओं के लिए 3,90,000 साइकिल खरीदने के लिए टेंडर निकाला था. पिछले चार साल से उन कंपनियों को ही टेंडर दिया जा रहा था, जिनका टर्नओवर 250 करोड़ रुपए हो और 15 लाख साइकिल निर्माण की क्षमता है. ऐसे में इन चार सालों में हीरो, एटलस व एवन कंपनी की साइकिलों की खरीद हो रही थी और इन कंपनियों को ही टेंडर दिया जा रहा था. वहीं, इस बार राज्य सरकार ने टेंडर की नियम व शर्तों में बदलाव करके टर्नओवर को घटाकर 80 करोड़ व साइकिल निर्माण क्षमता को घटाकर 10 लाख कर दी है. वहीं, 17 अगस्त 2024 को यह टेंडर कोहिनूर कंपनी के पक्ष में दे दिया. इससे बालिकाओं के लिए खरीद होने वाली साइकिलों की गुणवत्ता प्रभावित होगी. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने जनहित याचिका को एक लाख रुपए के हर्जाने के साथ खारिज कर दिया है.