दौसा. जिले में आशा सहयोगिनीयों ने अपने मानदेय में वृद्धि सहित विभिन्न मांगों को लेकर प्रधानमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. आशा सहयोगिनीयां चिकित्सा एवं महिला बाल विकास विभाग दोनों के अधीनस्थ रहकर काम करती हैं. जिस वजह से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
जिला आशा सहयोगिनी संघ महामंत्री सुमन शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 सितंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आशा वर्कर से वार्तालाप की. जिसमें पीएम ने उन्हें मिलने वाली प्रोत्साहन राशि को दोगुना करने का ऐलान किया था. लेकिन मंत्रालय ने मात्र 1 हजार की वृद्धि की है. उन्होंने कहा कि आशा सहयोगिनी वर्कर के प्रयासों से ही जच्चा-बच्चा मृत्यु दर में भारी कमी आई है. आशा सहयोगिनी के कारण ही समाज में अंतिम असहाय व्यक्तियों तक स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पहुंच पा रहा है.
यह भी पढे़ं. दौसा में पीड़ित महिलाओं को एक ही छत के नीचे मिल सकेगी सभी सुविधाएं
उसके बावजूद आशा सहयोगिनी का जीवनस्तर सुधार करने के लिए सरकार कोई काम नहीं कर रही है. इसलिए शुक्रवार को जिला आशा सहयोगिनी संघ ने अपने 10 सूत्री मांगों को लेकर प्रधानमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है.
आशा सहयोगिनीयों की मांगें-
- न्यूनतम वेतन 18 हजार मासिक किया जाए.
- 20 दिन के बजाय उनका कार्य दिवस 30 किया जाए,
- आशा सहयोगिनियों को राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए
- दुर्घटना मृत्यु होने पर 5 लाख रुपए का मुआवजा
- रिटायरमेंट बेनिफिट में 5 लाख रुपए का भुगतान की जाए
आशा सहयोगिनीयों का कहना है कि महिला एवं बाल विकास विभाग और चिकित्सा विभाग दोनों के अधीनस्थ रहकर आशा सहयोगिनी कार्य करते हैं. जिसके चलते उनके कार्यों का सही तरह से भुगतान नहीं मिल पाता है. साथ ही कार्य करने में भी असुविधा होती है.