दौसा. सावन माह के अंतिम व चौथे सोमवार को लालसोट उपखण्ड के शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ रही. कई वर्षों के बाद उपखंड के डीडवाना में कुंजबिहारी जी बावड़ी मन्दिर पर भगवान शंकर का विशेष कार्यक्रम आयोजित हुआ. शिव भक्तों का मानना है कि सावन माह में भगवान शंकर की पूजा अर्चना करने से, भगवान शिव जल्दी ही प्रसन्न होकर अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं. ऐसे में सावन माह के सोमवार को प्रदोष का संयोग होना बहुत ही शुभ माना जाता है. ऐसे संयोग में भगवान शिव की पूजा अर्चना करके उन्हें जल्द ही प्रसन्न किया जा सकता है. जिसके चलते सोमप्रदोष को सभी शिव मंदिरों में सुबह से शाम तक शिव भक्तों की भीड़ रही.
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ऐसे में शिवजी का अभिषेक व पूजा-अर्चना कर उनकी फूल बंगला झांकी सजाकर भक्त उनको प्रसन्न करते नजर आए. शिवभक्त दीपक शर्मा का कहना है कि सोम प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा करके उन्हें बहुत खुशी मिली.साथ ही उन्हें इस बात की उम्मीद भी है कि सोम प्रदोष के दिन पूजा करने से भगवान शंकर जल्दी प्रसन्न होकर सभी की मनोकामना पूर्ण करेंगें.
कोटा के शिवालयों में भी उमड़ी भक्तों की भारी भीड़
कोटा. जिले के इटावा उपखंड क्षेत्र में सावन मास के आखिरी सोमवार को शिवालयों में भक्तों की भीड़ देखने को मिली. जहां दिनभर महिलाएं भगवान भोले का जलाभिषेक कर बेलपत्र चढ़ाकर "बम्ब बम्ब" भोले की आराधना करती दिखाई दीं. सावन मास में भगवान भोले की आराधना का अलग ही पूण्य मिलता है.
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बता दें कि, मान्यता ऐसी है कि विवाहिता अपने पति की लंबी उम्र की कामना व अपने परिवार की सुख शांति के लिए महादेव की आराधना करती है. तो वहीं युवतियां गोरा पार्वती की तरह अच्छे जीवन साथी की मनोकामना करती हैं.
आपको बता दें कि जब गोरा पार्वती ने शिव की आराधना कर भगवान शिव को वर के रूप में मांगा था तब से भगवान भोले की महिमा अपरंपार है. लोग सावन मास में भगवान भोले की विशेष आराधना करते है.
वहीं बारां में शिव के भक्तों ने निकाली कावड़ यात्रा
बारां. छबड़ा में आज एक विशाल कावड़ यात्रा निकाली गई. कावड़ यात्रा में जहां हजारों की संख्या में महिला व पुरुषों ने बढ़चढ़कर भाग लिया, तो वहीं कावड़ियों की ओर से कावड़ो में लाये गए पवित्र जल से भोलेनाथ का जलाभिषेक किया गया.
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वहीं छबड़ा से 7 किमी दूर गूगोर के बिजासन माता मंदिर में पार्वती नदी है. जहां पूजा अर्चना के बाद हजारों की संख्या में कावड़िये कावड़ो में नदी के पवित्र जल को भरकर रवाना हुऐ. वहीं 7 किमी पैदल पदयात्रा करते हुवे कावड़ यात्रा छबड़ा पहुंची. जिस पर विभिन्न सामाजिक संगठनों व व्यापारियों की ओर से कावड़ियों का जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया. छबड़ा कस्बे की परिक्रमा के बाद कावड़िये नागेश्वर मंदिर तीखी डूंगरी पहुंचे जहां पर कावड़ियों की ओर से लाए गए जल से भोलेनाथ का जलाभिषेक किया गया.