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कौन हैं यशोदा शर्मा...जिन्होंने पीएम मोदी के प्लास्टिक मुक्त भारत का बेड़ा उठाया है

चूरू की रहने वाली एक सेवानिवृत्त शिक्षिका का ऐसा जुनून की खुद के दम पर 10 हजार कपड़े के थैले बनाकर लोगों को फ्री में बांटा. इतना ही नहीं इस शिक्षिका ने और भी ऐसे कई काम किए हैं, जो शायद 65 साल की उम्र में आमतौर पर संभव नहीं है. पढ़े पूरी खबर...

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चूरू की रिटायर्ड शिक्षिका की ने की यह अनूठी पहल
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Published : Jun 22, 2020, 12:54 PM IST

रतनगढ़ (चूरू). पर्यावरण से लेकर हमारे जीवन तक पर प्लास्टिक का बुरा असर सामने आ रहा है, फिर भी प्लास्टिक का उत्पादन बढ़ता ही जा रहा है. सरकार सिंगल यूस प्लास्टिक को बैन भी कर चुकी हैं. लेकिन किसी न किसी तरीके से हम इसका इस्तेमाल करते ही आ रहे हैं. जो हमारे लिए खरतनाक है. वहीं चूरू की एक रिटायर्ड शिक्षिका ने प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने की दिशा में कदम उठाते हुए 10 हजार कपड़े के थैले बनाए हैं. साथ ही लोगों को मुफ्त में बांटा भी है.

चूरू की रिटायर्ड शिक्षिका की ने की यह अनूठी पहल

65 साल की श्रीमती यशोदा शर्मा रतनगढ़ के वार्ड नंबर 3 में रहती हैं. जो एक सेवानिवृत्त अध्यापिका हैं. यशोदा शर्मा ने बताया कि 15 अगस्त को पीएम मोदी ने प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने का आव्हान किया था. जिसके बाद से उन्होंने कपड़े के थैले बनाने शुरू किए और पीएम के जन्मदिन पर 1100 थैले बनाकर लोगों में बांटा था. इसके साथ ही मोदी जी को उनकी फोटो लगे पांच थैले डाक से भिजवाए थे.

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अब तक बना चुकी हैं 10 हजार थैले

यह भी पढे़ं- कोरोना से ग्रामीणों की जंग: स्पेशल टीम बनी ग्रामीणों के लिए 'कवच', मनरेगा से मिल रहा घर-घर रोजगार

अखबार की गलती की वजह से मिली प्रेरणा

1100 थैले बनाने के की खबर अखबारों में छपी थी. लेकिन प्रिंटिंग मिस्टेक की वजह से 1100 की जगह समाचारवालों ने 10000 लिख दिया था. फिर क्या था योशदा को और भी थैले बनाने की प्रेरणा मिल गई. यशोदा के घरवालों ने टोका भी की आखिर इतनी संख्या में थैले बनाना मुश्किल है वो भी इस उम्र में. लेकिन यशोदा बताती हैं कि उन्होंने हार नहीं मानी और 10000 थैले बनाने का प्रण लिया. थैले बनाने में उनकी बहु वर्षा ने उनकी काफी मदद की. यह काम आज भी जारी है.

वहीं यशोद कहती हैं कि वैश्विक महामारी कोरोना से जीतने के दो ही मार्ग हैं. एक तो सोशल डिस्टेंसिंग और दूसरा फेस कवर करना यानी मास्क पहनना. इस समय जहां बाजारों में फेस कवर महंगे मिल रहे हैं, तो वे कोरोना महामारी के दौर में रामबाण बने मास्क को बनाने का काम कर रही हैं. साथ ही लोगों को फ्री में बांट भी रही हैं.

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कपड़े के बैग सिलती यशोदा और अन्य महिलाएं

पीएम फंड में भी जमा करवाई राशि

यशोदा शर्मा कोरोना महामारी के दौर में एक वॉरियर की भूमिका भी निभा रही हैं. यशोदा ने पीएम केयर फंड में अब तक 1 लाख रुपए की सहायता राशि जमा करवाई है. ताकि जरूरतमंदों को मदद पहुंचा सके.

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मास्क बनाती यशोदा शर्मा

यह भी पढे़ं- कपासन के राशमी में टिड्डी दल ने दी दस्तक, किसानों को भारी नुकसान

यशोदा शर्मा बताती हैं कि उनका जिस समय सिर का ऑपरेशन हुआ था. प्रधानमंत्री मोदी ने उसी वर्ष स्वच्छता अभियान की शुरुआत की थी. सिर का ऑपरेशन होने के बावजूद भी वे अपने छोटे बेटे के साथ स्वच्छ भारत मिशन को साकार करने में लगी रही. हर दिन सुबह के 2-3 घंटे निकालकर उन्होंने नगर की साफ-सफाई की.

परिवार ने किया पूरा सहयोग

यशोदा शर्मा कहती हैं कि उन्होंने अब तक जो भी किया है, सभी कार्यों में उनके पति ने उनकी पूरी मदद की है. कभी कोई शिकायत नहीं की. साथ ही बेटे-बहूओं ने भी पूरा सहयोग किया है. समय-समय पर मोहल्लावासी भी उनका मनोबल बढ़ाते रहे हैं. यशोदा हर देशवासी को देश निर्माण में सहयोग देने के लिए आग्रह करती हैं. साथ ही कोरोना महामारी के दौर में सरकार द्वारा जारी सभी गाइडलाइनों की पालना करने को भी कहती हैं.

रतनगढ़ (चूरू). पर्यावरण से लेकर हमारे जीवन तक पर प्लास्टिक का बुरा असर सामने आ रहा है, फिर भी प्लास्टिक का उत्पादन बढ़ता ही जा रहा है. सरकार सिंगल यूस प्लास्टिक को बैन भी कर चुकी हैं. लेकिन किसी न किसी तरीके से हम इसका इस्तेमाल करते ही आ रहे हैं. जो हमारे लिए खरतनाक है. वहीं चूरू की एक रिटायर्ड शिक्षिका ने प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने की दिशा में कदम उठाते हुए 10 हजार कपड़े के थैले बनाए हैं. साथ ही लोगों को मुफ्त में बांटा भी है.

चूरू की रिटायर्ड शिक्षिका की ने की यह अनूठी पहल

65 साल की श्रीमती यशोदा शर्मा रतनगढ़ के वार्ड नंबर 3 में रहती हैं. जो एक सेवानिवृत्त अध्यापिका हैं. यशोदा शर्मा ने बताया कि 15 अगस्त को पीएम मोदी ने प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने का आव्हान किया था. जिसके बाद से उन्होंने कपड़े के थैले बनाने शुरू किए और पीएम के जन्मदिन पर 1100 थैले बनाकर लोगों में बांटा था. इसके साथ ही मोदी जी को उनकी फोटो लगे पांच थैले डाक से भिजवाए थे.

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अब तक बना चुकी हैं 10 हजार थैले

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अखबार की गलती की वजह से मिली प्रेरणा

1100 थैले बनाने के की खबर अखबारों में छपी थी. लेकिन प्रिंटिंग मिस्टेक की वजह से 1100 की जगह समाचारवालों ने 10000 लिख दिया था. फिर क्या था योशदा को और भी थैले बनाने की प्रेरणा मिल गई. यशोदा के घरवालों ने टोका भी की आखिर इतनी संख्या में थैले बनाना मुश्किल है वो भी इस उम्र में. लेकिन यशोदा बताती हैं कि उन्होंने हार नहीं मानी और 10000 थैले बनाने का प्रण लिया. थैले बनाने में उनकी बहु वर्षा ने उनकी काफी मदद की. यह काम आज भी जारी है.

वहीं यशोद कहती हैं कि वैश्विक महामारी कोरोना से जीतने के दो ही मार्ग हैं. एक तो सोशल डिस्टेंसिंग और दूसरा फेस कवर करना यानी मास्क पहनना. इस समय जहां बाजारों में फेस कवर महंगे मिल रहे हैं, तो वे कोरोना महामारी के दौर में रामबाण बने मास्क को बनाने का काम कर रही हैं. साथ ही लोगों को फ्री में बांट भी रही हैं.

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कपड़े के बैग सिलती यशोदा और अन्य महिलाएं

पीएम फंड में भी जमा करवाई राशि

यशोदा शर्मा कोरोना महामारी के दौर में एक वॉरियर की भूमिका भी निभा रही हैं. यशोदा ने पीएम केयर फंड में अब तक 1 लाख रुपए की सहायता राशि जमा करवाई है. ताकि जरूरतमंदों को मदद पहुंचा सके.

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मास्क बनाती यशोदा शर्मा

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यशोदा शर्मा बताती हैं कि उनका जिस समय सिर का ऑपरेशन हुआ था. प्रधानमंत्री मोदी ने उसी वर्ष स्वच्छता अभियान की शुरुआत की थी. सिर का ऑपरेशन होने के बावजूद भी वे अपने छोटे बेटे के साथ स्वच्छ भारत मिशन को साकार करने में लगी रही. हर दिन सुबह के 2-3 घंटे निकालकर उन्होंने नगर की साफ-सफाई की.

परिवार ने किया पूरा सहयोग

यशोदा शर्मा कहती हैं कि उन्होंने अब तक जो भी किया है, सभी कार्यों में उनके पति ने उनकी पूरी मदद की है. कभी कोई शिकायत नहीं की. साथ ही बेटे-बहूओं ने भी पूरा सहयोग किया है. समय-समय पर मोहल्लावासी भी उनका मनोबल बढ़ाते रहे हैं. यशोदा हर देशवासी को देश निर्माण में सहयोग देने के लिए आग्रह करती हैं. साथ ही कोरोना महामारी के दौर में सरकार द्वारा जारी सभी गाइडलाइनों की पालना करने को भी कहती हैं.

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