चूरू. लॉकडाउन के बाद देश और प्रदेश में बेरोजगार लोगों की संख्या बढ़ गई है. प्रदेश सरकार भी इस बात से वाकिफ थी कि, लॉकडाउन में जो पलायन कर आने वाले अधिकांश प्रवासी महानगरों में नौकरी मजदूरी करते थे. अब तक मजदूरी कर अपना जीवन यापन कर रहे थे. लेकिन अब सब प्रवासी बेरोजगारों की कतार में खड़े है. इसे देखते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश में मनरेगा का दायरा और इसका बजट बढ़ाया. जिससे लॉकडाउन के बाद ग्रामीण तबके के लोगों को और घर वापस आए प्रवासियों को भी रोजगार मिल सके.
लेकिन राज्य सरकार की इस योजना में अब लगातार धांधली और भ्रष्टाचार की खबरें आ रही है. कहीं मजदूरी नहीं मिली रही, कहीं अधिकारी और कर्मचारी कमीशन मांग रहे हैं. प्रदेश भर से मनरेगा मजदूरों की लगातार शिकायतें आ रही हैं. वहीं चूरू जिला मुख्यालय से 24 किलोमीटर दूर नाकरासर गांव में चल रहे मनरेगा के कार्य में अधिकारियों और कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप लगे हैं. मनरेगा श्रमिकों ने जिला कलेक्ट्रेट पहुंचकर अतिरिक्त जिला कलेक्टर रामरतन सोकरिया को मामले की पूरी जानकारी दी. साथ ही जल्द कारवाई की मांग की है.
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ग्रामीणों ने बताया कि, उन्हें पिछले दो तीन हफ्तों से उन्हें मात्र 50 रुपए दिन की मजदूरी दी जा रही है. साथ ही बताया कि मनरेगा में कार्यरत अधिकारी कहता है कि, कमीशन दो तब अधिक मजदूरी मिलेगी, वरना नहीं मिलेगी. ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि, अधिकारियों और कर्मचारियों ने मस्टरोल में उन लोगों के नाम अंकित कर रखे हैं, जो यहां हैं ही नहीं. उनका जो भी पैसा बनता है उसे अलग अलग हिस्सों में बाट लिया जाता है. पूरे मामले को लेकर ग्रामीणों ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर से गुहार लहाई है.