चूरू. जिले के किसान फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए दिन रात मेहनत करते हैं. बावजूद इसके किसानों को उनकी मेहनत के हिसाब से बेहद कम लाभ हो रहा है. इसकी वजह है कि जिले की मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की 90 प्रतिशत की कमी है. राजकीय मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला की ओर से जारी किए गए मृदा स्वास्थ्य कार्ड्स से यह खुलासा हुआ है.
प्रयोगशाला की ओर से जिले में दो चरणों में मृदा स्वास्थ्य कार्डों के एक लाख 43 हजार से ज्यादा मिट्टी के नमूने लिए गए. इन मिट्टी के नमूनों में जैविक कार्बन, आयरन और जिंक की 90 प्रतिशत कमी पाई गई है. जबकि अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए यह पोषक तत्व बेहद जरूरी है. यानि की रिपोर्ट से साफ जाहिर हो गया है कि जिले की मिट्टी में अब सूक्ष्म पोषक तत्व बहुत कम है.
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दो चरणों में बने करीब साढ़े पांच लाख सॉयल हेल्थ कार्ड...
कृषि विभाग की ओर से जिले में दो चरणों में किसानों को साढ़े पांच लाख से ज्यादा सॉयल हेल्थ कार्ड वितरित किए गए हैं. इन दो चरणों में मिट्टी के नमूने भी लिए गए. पहले चरण में जहां 68 हजार 517 नमूने लिए गए, वहीं दूसरे चरण में 75 हजार 102 मिट्टी के सैंपल लिए गए. अब इन सैंपल के रिजल्ट के आधार पर जिले के किसानों को विभाग की ओर से सलाह दी जाएगी. किसानों को बताया जाएगा कि अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी उपयोग करें.
तीसरे चरण में सभी तहसीलों से एक-एक गांव का चयन किया गया है. चूरू जिले में ऊंटवालिया, परसनेऊ, मूंदड़ा, नब्बासर, भादासर उतरादा, हमीरवास बड़ा जिगसाना ताल को तीसरे चरण में शामिल किया गया है.
बता दें कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड के जरिए लिए गए मिट्टी के सैंपल में सूक्ष्म पोषक तत्वों की बेहद कमी पाई गई है. जिले की मिट्टी में जैविक कार्बन, आयरन और जिंक की कमी है. जिससे की फसलों की ग्रोथ कम होती है. हालांकि जिले की भूमि में पोटाश और फास्फोरस की मात्रा काफी अच्छी पाई गई है.
अब इसके बारे में किसानों को जानकारी दी जा रही है कि वह सूक्ष्म तत्वों का भी उपयोग करें, ताकि अच्छी पैदावार हो. जिले में जांचे गए कुल सैंपल में से 90 फीसदी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी पाई गई है.
सिर्फ यूरिया और फर्टिलाइजर का उपयोग कर रहे किसान...
किसान देखा-देखी यूरिया और फर्टिलाइजर तो काफी मात्रा में इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन सूक्ष्म तत्वों की ओर उनका कोई ध्यान नहीं है. इस रिपोर्ट के आधार पर अब किसानों को सलाह दी जा रही है, कि वे सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी उपयोग करें. सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से फसलों में ना तो बढ़वार हो रही है और फसल जलने जैसी समस्याएं भी आ रही हैं. इससे लागत ज्यादा लग रही है और उपज कम हो पा रही है.