नई दिल्ली: अमेरिका की शोध कंपनी बर्नस्टीन ने कहा है कि अडाणी समूह की वित्तीय स्थिति उस समय की तुलना में अब बेहतर है. जब समूह अमेरिकी शोध एवं निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की प्रतिकूल रिपोर्ट की चपेट में आया था. बर्नस्टीन ने अपनी एक रिपोर्ट में अडाणी समूह के प्रवर्तकों द्वारा गिरवी रखे गए शेयरों में नाटकीय रूप से कमी आने और कम कर्ज जुटाने का हवाला देते हुए यह दावा किया है. इसके साथ ही अमेरिकी कंपनी ने कहा है कि गौतम अडाणी की अगुवाई वाले समूह से जुड़े जोखिम दो साल पहले की तुलना में कम हो गए हैं.
हिंडनबर्ग रिसर्च
हिंडनबर्ग रिसर्च ने जनवरी, 2023 में जारी अपनी रिपोर्ट में समूह पर वित्तीय खातों में धोखाधड़ी और शेयरों के भाव में हेराफेरी करने का आरोप लगाया था. इस रिपोर्ट के बाद दो महीनों में ही समूह की कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में भारी गिरावट आई थी. अडाणी समूह हिंडनबर्ग रिसर्च के झटके से धीरे-धीरे उबरने में सफल रहा. हालांकि बीच में भी उस पर कुछ आरोप लगते रहे.
अडाणी पर अमेरिका में रिश्वत से संबंधित मामले
लेकिन हाल ही में 21 नवंबर को अमेरिका में समूह के चेयरमैन अडाणी और उनके कुछ करीबी सहयोगियों के खिलाफ रिश्वत से संबंधित मामले में अभियोग दायर कर दिया गया है. समूह ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के साथ-साथ पिछले महीने अमेरिकी अधिकारियों द्वारा लगाए गए आरोपों से भी बार-बार इनकार किया है.
लोन चुकाने में अडाणी की मजबूत
बर्नस्टीन ने कहा कि पिछले दो वर्षों में समूह के कर्ज जुटाने, शेयर गिरवी रखने, लोन चुकाने और सापेक्ष मूल्यांकन की स्थिति में आए सुधार पर नजर डालकर उसने जोखिम का आकलन करने की कोशिश की है. बर्नस्टीन ने कहा है कि समूह अब बिना किसी शेयर-गिरवी, कम कर्ज जुटाने, कर्ज भुगतान और बेहतर मूल्यांकन के साथ बहुत मजबूत स्थिति में है.
अडाणी के शेयरों का हाल
बर्नस्टीन ने कहा कि अगर हम समूह के लिए शेयर गिरवी रखने की घटना को देखें, तो इसकी कंपनियों में नाटकीय गिरावट आई है. यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां समूह ने पिछले 1.5 वर्षों में महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं.
- मसलन, अडाणी पावर में शेयर गिरवी रखना 25 फीसदी से घटकर एक प्रतिशत पर आ गया है.
- वहीं अडाणी पोर्ट्स में यह 17 फीसदी से घटकर शून्य हो गया है.
- इसके अलावा अडाणी एनर्जी सॉल्यूशंस को छोड़कर समूह में प्रवर्तक हिस्सेदारी भी बढ़ी है.
साथ ही हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद समूह का कुल लोन भी घट गया है, जो मार्च 2023 में 2.41 लाख करोड़ रुपये से घटकर सितंबर 2023 में 2.38 लाख करोड़ रुपये रह गया है. हालांकि बर्नस्टीन की रिपोर्ट के मुताबिक, उसके बाद से कर्ज थोड़ा बढ़ा है, लेकिन इस दौरान इसका मुनाफा और भी बढ़ गया है. इससे हिंडनबर्ग घटना से पहले समूह का कर्ज जुटाना 3.8 गुना से घटकर 2.5 गुना से भी कम रह गया है.
लोन के बारे में शोध कंपनी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में अडाणी समूह अपने वित्तपोषण स्रोतों में विविधता लेकर आया है. इसने घरेलू बैंकों (सार्वजनिक और निजी दोनों) पर निर्भरता कम की है और बॉन्ड एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों से अधिक पैसे जुटाया है.
रिपोर्ट कहती है कि वित्त वर्ष 2015-16 में समूह के कर्ज में बैंकों की हिस्सेदारी 86 फीसदी थी लेकिन वह घटकर वित्त वर्ष 2023-24 में सिर्फ 15 फीसदी रह गई. इसके अलावा बॉन्ड की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2015-16 के 14 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 31 फीसदी हो गई.
बर्नस्टीन का मानना है कि समूह के नकद भंडार में भी पिछले डेढ़ साल में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. मार्च, 2023 में इसका नकद भंडार 22,300 करोड़ रुपये था जो सितंबर 2024 में 39,000 करोड़ रुपये हो गया.