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चूरू: कोर्ट ने नगर पालिका भवन को तोड़ने के दिए आदेश, डेढ़ करोड़ की लागत से बनकर हुआ था तैयार

डेढ़ करोड़ की लागत से बने नगर पालिका भवन को तारानगर सिविल न्यायालय ने तोड़ने के आदेश दिए हैं. नगर पालिका का यह भवन पार्क की जमीन पर बना हुआ है. भवन तोड़ने में जो खर्च आएगा वो नगर पालिका अध्यक्ष और अधिशाषी अधिकारी से वसूला जाएगा.

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कोर्ट ने नगर पालिका भवन को तोड़ने के दिए आदेश
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Published : Jul 24, 2020, 9:53 PM IST

तारानगर (चूरू). डेढ़ करोड़ की लागत से बने नगर पालिका भवन को अब तोड़ा जाएगा. तारानगर सिविल न्यायालय ने आदेश दिया है कि तारानगर नगर पालिका का भवन तोड़ा जाए. 29 सितम्बर 2017 को डेढ़ करोड़ की लागत से बनकर पालिका भवन तैयार हुआ था. मामला पार्क की जमीन पर भवन निर्माण का था. जिसे न्यायालय में चुनौती दी गई थी.

नगर पालिका भवन तोड़ने के आदेश

न्यायालय में वाद संख्या 19/2011 पप्पू सोनी बनाम नगर पालिका केस में न्यायालय ने फैसला दिया है. जिसमें 23 मार्च 2015 को माननीय न्यायालय ने अपने निर्णय में स्पष्ट आदेश दिये थे कि उक्त पार्क की भूमि के स्वरूप में किसी भी प्रकार का परिवर्तन ना किया जाए. लेकिन पालिका अध्यक्ष और अधिशाषी अधिकारी ने गांधी उद्यान की जमीन पर एक विशाल भवन निर्माण के आदेश दे दिए.

पढ़ें: CM गहलोत के आरोपों पर पायलट खेमे के विधायकों की दो टूक, बोले- हमें किसी ने नहीं बनाया बंधक

कोर्ट में परिवादी की तरफ से वकील ने कहा कि पार्क की भूमि पर नगर निगम ने भवन निर्माण कर भूमि का स्वरूप परिवर्तित किया है. इस दलील को आधार मानते हुए कोर्ट ने नगर पालिका भवन को तोड़ने के आदेश दिए हैं. भवन को तोड़ने में आने वाला खर्च नगर पालिका अध्यक्ष और अधिशाषी अधिकारी से वसूला जाएगा.

मामले में पैरवी कर रहे अधिवक्ता रतन कुमार चाचान ने बताया कि नगर पालिका प्रशासन ने न्यायालय के आदेश की अवमानना करते हुए पार्क की भूमि पर विशाल भवन खड़ा कर दिया जो न्यायालय के आदेश दिनांक 23 मार्च 2015 की अवमानना है. इसी अवमानना को लेकर दायर याचिका संख्या 48/2016 पर कोर्ट ने फैसला देते हुए नगरपालिका के नए भवन को तोड़ने के आदेश दिए हैं.

तारानगर (चूरू). डेढ़ करोड़ की लागत से बने नगर पालिका भवन को अब तोड़ा जाएगा. तारानगर सिविल न्यायालय ने आदेश दिया है कि तारानगर नगर पालिका का भवन तोड़ा जाए. 29 सितम्बर 2017 को डेढ़ करोड़ की लागत से बनकर पालिका भवन तैयार हुआ था. मामला पार्क की जमीन पर भवन निर्माण का था. जिसे न्यायालय में चुनौती दी गई थी.

नगर पालिका भवन तोड़ने के आदेश

न्यायालय में वाद संख्या 19/2011 पप्पू सोनी बनाम नगर पालिका केस में न्यायालय ने फैसला दिया है. जिसमें 23 मार्च 2015 को माननीय न्यायालय ने अपने निर्णय में स्पष्ट आदेश दिये थे कि उक्त पार्क की भूमि के स्वरूप में किसी भी प्रकार का परिवर्तन ना किया जाए. लेकिन पालिका अध्यक्ष और अधिशाषी अधिकारी ने गांधी उद्यान की जमीन पर एक विशाल भवन निर्माण के आदेश दे दिए.

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कोर्ट में परिवादी की तरफ से वकील ने कहा कि पार्क की भूमि पर नगर निगम ने भवन निर्माण कर भूमि का स्वरूप परिवर्तित किया है. इस दलील को आधार मानते हुए कोर्ट ने नगर पालिका भवन को तोड़ने के आदेश दिए हैं. भवन को तोड़ने में आने वाला खर्च नगर पालिका अध्यक्ष और अधिशाषी अधिकारी से वसूला जाएगा.

मामले में पैरवी कर रहे अधिवक्ता रतन कुमार चाचान ने बताया कि नगर पालिका प्रशासन ने न्यायालय के आदेश की अवमानना करते हुए पार्क की भूमि पर विशाल भवन खड़ा कर दिया जो न्यायालय के आदेश दिनांक 23 मार्च 2015 की अवमानना है. इसी अवमानना को लेकर दायर याचिका संख्या 48/2016 पर कोर्ट ने फैसला देते हुए नगरपालिका के नए भवन को तोड़ने के आदेश दिए हैं.

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