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चूरू: महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र ने विधवा महिला और दंपती को दिलवाया उसका हक

चूरू का महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र एक विधवा महिला और एक दंपती को उसका हक दिलवाया है. केंद्र ने काउंसलिंग कर दोनों को मिलाने का काम किया है.

Churu Women Safety & Advice Center,  Women Safety and Advice Center
चूरू महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र
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Published : Oct 31, 2020, 8:43 PM IST

चूरू. जिले का महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र ना सिर्फ घरेलू हिंसा का शिकार हो रही महिलाओं को न्याय दिला रहा है, बल्कि महिलाओं को उनका हक भी दिला रहा है. दो अलग-अलग मामलों में केंद्र ने दो साल से अलग-अलग रह रहे पति-पत्नी को मिलवाया है और फिर से दंपती का घर बसाया है. वहीं, दूसरे मामले में पति की मौत के बाद ससुराल पक्ष से अपने हक को लेकर लड़ रही महिला को दो महीने की काउंसलिंग कर उसे उसका हक दिलवाया है.

चूरू महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र

पढ़ें- गुर्जर आरक्षण आंदोलन : करौली जिला प्रशासन अलर्ट मोड पर, धारा 144 और रासुका लागू

दरअसल, तारानगर की आशा को उसके पति की मौत के बाद ससुराल पक्ष ने दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया था. विधवा बहू अपनी बेटी के साथ न्याय के लिए लंबे समय से गुहार लगा रही थी तो 2 महीने पहले महिला ने अपने हक और न्याय के लिए महिला सुरक्षा और सलाह केंद्र में गुहार लगाई. इसके बाद 2 महीने की काउंसलिंग और समझाइश के बाद आखिरकार सास ने विधवा बहू को अपनाया. साथ ही उसे उसका हक देने के लिए भी राजी हुई.

वहीं, दूसरे मामले में 2 साल से घरेलू विवाद के बाद अलग-अलग रह रहे पति-पत्नी को भी केंद्र ने काउंसलिंग कर मिलाने का काम किया है.

चूरू. जिले का महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र ना सिर्फ घरेलू हिंसा का शिकार हो रही महिलाओं को न्याय दिला रहा है, बल्कि महिलाओं को उनका हक भी दिला रहा है. दो अलग-अलग मामलों में केंद्र ने दो साल से अलग-अलग रह रहे पति-पत्नी को मिलवाया है और फिर से दंपती का घर बसाया है. वहीं, दूसरे मामले में पति की मौत के बाद ससुराल पक्ष से अपने हक को लेकर लड़ रही महिला को दो महीने की काउंसलिंग कर उसे उसका हक दिलवाया है.

चूरू महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र

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दरअसल, तारानगर की आशा को उसके पति की मौत के बाद ससुराल पक्ष ने दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया था. विधवा बहू अपनी बेटी के साथ न्याय के लिए लंबे समय से गुहार लगा रही थी तो 2 महीने पहले महिला ने अपने हक और न्याय के लिए महिला सुरक्षा और सलाह केंद्र में गुहार लगाई. इसके बाद 2 महीने की काउंसलिंग और समझाइश के बाद आखिरकार सास ने विधवा बहू को अपनाया. साथ ही उसे उसका हक देने के लिए भी राजी हुई.

वहीं, दूसरे मामले में 2 साल से घरेलू विवाद के बाद अलग-अलग रह रहे पति-पत्नी को भी केंद्र ने काउंसलिंग कर मिलाने का काम किया है.

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