चूरू. भारत सरकार के प्रयासों से यूक्रेन से (Russia Ukraine News) बच्चों की भारत वापसी जारी है. इसी क्रम में यूक्रेन से तारानगर के भाई-बहन पहुंचे. घर पहुंच कर जहां बच्चों ने चैन की सांस ली वहीं अपने बच्चों को देखकर माता-पिता व परिजनों के चेहरे खुशी से खिल उठे. चूरू में तारानगर तहसील के डॉक्टर दुलाराम जो पशुपालन विभाग में सेवानृवित उपनिदेशक रहे हैं, उनके बेटे नवीन व बेटी रुचि युद्ध के हालातों के बीच घर पहुंचे हैं.
दोनों बच्चे यूक्रेन के इवानो शहर में पढ़ाई कर रहे थे. उन्होंने बताया कि पहले स्थानीय सरकार की ओर से हालात बिल्कुल सामान्य बताए जा रहे थे. इसी बीच अचानक से रूस ने बमबारी शुरू कर दी. युद्ध शुरू होने से हालात खराब होने लग गए. भारत पहुंचने के लिए भारतीय दूतावास के अधिकारियों से सम्पर्क करने पर सकुशल पहुंचाने की बात कही गई. जिसके बाद आनन-फानन में वहां से भागना पड़ा. भारतीय अधिकारी हमें रोमानिया बॉर्डर लेकर पहुंचे. यहां पर राजस्थान के नोडल अधिकारी व भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने अच्छी तरह से खाने-पीने की व्यवस्था कराई.
बाद में एयर इंडिया के विमान से भारत भेजा गया. घर पहुंच कर अब अच्छी महसूस हो रहा है. उन्होंने बताया कि बम बहुत नजदीक (Rajasthan Students Trapped in Ukraine) गिर रहे थे तो हमें भी बहुत चिंता हो रही थी. भारत सरकार के बैकग्राउंड के बारे में हमें मालूम था. पहले भी हमने भारत सरकार के प्रयासों को देखा है, उनका इतिहास देखा है. भारत सरकार, एम्बेसी अधिकारी और मीडिया का धन्यवाद दिया, जिनके प्रयासों से ही वह भारत लौटकर परिजनों के पास पहुंचे.
रूचि ने बताया कि अभी भी यूक्रेन में 16 हजार बच्चे फंसे हुए हैं. हम खुशकिस्मत रहे कि वहां से किसी तरह निकलकर भारत पहुंचे हैं. लेकिन लोग अभी भी तनाव में हैं, स्थितियों में फिलहाल सुधार होता नहीं दिख रहा है. भारत सरकार को फंसे हुए बच्चों को बाहर निकालने के प्रयास करने चाहिए.
नाथद्वारा के गजराज ने क्या कहा...
नाथद्वारा नगर के उठारड़ा गांव के गजराज सिंह चौहान भी आज यूक्रेन से अपने गांव लौट तो गांव-परिवार में खुशी की लहार छा गई. चौहान ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि भारत सरकार ने सभी इंतजाम किए, लेकिन बॉर्डर पर 11 घंटे इंतजार करना सबसे कठिन था. अभी भी एक साथी वहीं फंसा हुआ है. उन्होंने बताया कि यूक्रेन में 20 से 25 हजार भारतीय मेडिकल विद्यार्थी विश्वविद्यालयों में अध्यनरत हैं, जिसमें बड़ी संख्या में राजस्थान के भी छात्र शामिल हैं.