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चूरू: आशा सहयोगिनियों ने गहलोत सरकार को दिया पांच दिन का अल्टीमेटम, मांगों को लेकर 46 दिनों से हैं धरने पर - स्थायीकरण और न्यूनतम मजदूरी

स्थायीकरण और न्यूनतम मजदूरी सहित विभिन्न मांगों को लेकर चूरू जिला कलेक्ट्रेट के सामने 46 दिनों से धरने पर बैठी आशा सह्योगिनियों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है. इस दौरान आशाओं ने प्रदेश की गहलोत सरकार को पांच दिनों का अल्टीमेटम दिया है. साथ ही मांगें नहीं मानने पर उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी है.

ultimatum to gehlot government in churu
चूरू 46 दिनों से धरने पर बैठी आशा सहयोगिनियों ने गहलोत सरकार को दिया पांच दिनों का अल्टीमेटम
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Published : Dec 12, 2020, 6:53 PM IST

चूरू. स्थायीकरण और न्यूनतम मजदूरी सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जिला कलेक्ट्रेट के सामने 46 दिनों से धरने पर बैठी आशा सह्योगिनियों के सब्र का बांध अब टूटता जा रहा है. कार्य बहिष्कार कर धरने पर बैठी आशाओं ने अब प्रदेश की गहलोत सरकार को पांच दिनों का अल्टीमेटम दिया है. चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें जल्द नहीं पूरी की जाती है, तो वे भूख हड़ताल के साथ सड़कें जाम कर उग्र प्रदर्शन करेंगी. आशा सह्योगिनियों ने कहा कि इसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी.

चूरू 46 दिनों से धरने पर बैठी आशा सहयोगिनियों ने गहलोत सरकार को दिया पांच दिनों का अल्टीमेटम

राजस्थान आशा सहयोगिनी यूनियन के बैनर तले धरने पर बैठी है. आशाओं ने कहा कि 2004 से वह कार्यरत हैं. सरकार द्वारा उन्हें मानदेय श्रेणी में रखा गया है. इतने समय बाद भी उन्हें ना तो स्थाई किया गया और ना ही संविदा श्रेणी में रखा गया है. धरने पर बैठी आशाओं की मांग है कि दो विभाग से उन्हें एक विभाग में नियुक्त किया जाए. आशा सह्योगिनियों ने कहा कि उन्हें केंद्र सूची जोड़ा जाए और आशाओं को राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए.

यह भी पढ़ें- सीकर: दुल्हन लेकर लौट रहे दूल्हे पर बाइक सवार बदमाशों ने की फायरिंग, हालत गंभीर

जिला कलेक्ट्रेट के आगे धरने पर बैठी आशाओं ने कहा कि कोरोना काल में उन्होंने विभाग द्वारा दिए काम में कोई कमी नहीं रखी है. चाहे वो सर्वे का काम हो या फिर अन्य कोई कार्य. बावजूद इसके वह अपनी मांगों के समर्थन में पिछले 46 दिनों से धरना दे रही है और सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है.

चूरू. स्थायीकरण और न्यूनतम मजदूरी सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जिला कलेक्ट्रेट के सामने 46 दिनों से धरने पर बैठी आशा सह्योगिनियों के सब्र का बांध अब टूटता जा रहा है. कार्य बहिष्कार कर धरने पर बैठी आशाओं ने अब प्रदेश की गहलोत सरकार को पांच दिनों का अल्टीमेटम दिया है. चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें जल्द नहीं पूरी की जाती है, तो वे भूख हड़ताल के साथ सड़कें जाम कर उग्र प्रदर्शन करेंगी. आशा सह्योगिनियों ने कहा कि इसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी.

चूरू 46 दिनों से धरने पर बैठी आशा सहयोगिनियों ने गहलोत सरकार को दिया पांच दिनों का अल्टीमेटम

राजस्थान आशा सहयोगिनी यूनियन के बैनर तले धरने पर बैठी है. आशाओं ने कहा कि 2004 से वह कार्यरत हैं. सरकार द्वारा उन्हें मानदेय श्रेणी में रखा गया है. इतने समय बाद भी उन्हें ना तो स्थाई किया गया और ना ही संविदा श्रेणी में रखा गया है. धरने पर बैठी आशाओं की मांग है कि दो विभाग से उन्हें एक विभाग में नियुक्त किया जाए. आशा सह्योगिनियों ने कहा कि उन्हें केंद्र सूची जोड़ा जाए और आशाओं को राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए.

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जिला कलेक्ट्रेट के आगे धरने पर बैठी आशाओं ने कहा कि कोरोना काल में उन्होंने विभाग द्वारा दिए काम में कोई कमी नहीं रखी है. चाहे वो सर्वे का काम हो या फिर अन्य कोई कार्य. बावजूद इसके वह अपनी मांगों के समर्थन में पिछले 46 दिनों से धरना दे रही है और सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है.

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