चित्तौड़गढ़. दो कॉन्स्टेबल की हत्या के मामले में भीलवाड़ा पुलिस जिस रमेश विश्नोई की तलाश में जगह-जगह भटक रही थी, आखिरकार उसने एनकाउंटर के डर से पहले ही चित्तौड़गढ़ कोर्ट में सरेंडर कर दिया. भीलवाड़ा के दो थाना इलाकों में हत्या के साथ-साथ एनडीपीएस के मामलों के चलते उसका कानून से बचना मुश्किल था, ऐसे में शातिर रमेश ने चित्तौड़गढ़ जिले के कपासन क्षेत्र में जमानत जब्ती के मामले में चित्तौड़गढ़ कोर्ट में सरेंडर करना ही बेहतर समझा.
हालांकि कोर्ट के आदेश पर उसे न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया है लेकिन अब भीलवाड़ा पुलिस की ओऱ से उसकी गिरफ्तारी सुनिश्चित हो गई है. जोधपुर निवासी रमेश कुख्यात तस्कर राजू फौजी का साथी माना गया है. वह बकायदा अपने वकील दिव्यानंद शर्मा के साथ चित्तौड़गढ़ पहुंचा और कोर्ट स्थित मंदिर में दर्शन के बाद करीब 1 घंटे तक इधर-उधर घूमता रहा.
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वकील के जरिए एक लाख के इनामी अभियुक्त रमेश ने मानवाधिकार आयोग को भी परिवाद भेज कर अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई थी. इसमें उसने उसे जोधपुर के ही एक कॉन्स्टेबल और उसके रिश्तेदार की ओर से गलत तरीके से अपराधिक वारदातों में फंसाए जाने और भीलवाड़ा जिले में दो पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में गलत तरीके से फंसाने का आरोप लगाते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई है. फिलहाल एनडीपीएस कोर्ट के आदेश पर उन्हें जेल भेज दिया गया.
किस प्रकार काटी फरारी
भीलवाड़ा में हुई दो पुलिसकर्मियों की हत्या और एनडीपीएस तथा आर्म्स एक्ट (Arms Act) के मामले के बाद राज्य की पुलिस उसकी सरगर्मी से तलाश कर रही थी. उसे पता था कि कभी भी पुलिस उसे गिरफ्त में ले सकती है, ऐसे में वह राजस्थान से बाहर ऋषिकेश, दिल्ली आदि के आसपास छुपा रहा. फोन से भी दूरी बनाए रखी ताकि पुलिस लोकेशन ट्रेस आउट नहीं कर पाए. फोन के बजाए वह सीधे संबंधित लोगों से खुद मुलाकात करता था. इसी कारण वह राजस्थान पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ सका था.
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3 दिन पहले इनामी राशि बढ़ाई
पुलिस के अनुसार इस मामले में रमेश के साथ उसके साथी कुख्यात तस्कर और अपराधी राजू फौजी सहित 3 अपराधियों पर इनाम की राशि बढ़ाकर ₹100000 कर दी गई थी. इनाम राशि बढ़ाए जाने से रमेश घबरा गया. उसे यह डर सताने लगा कि पुलिस अब कभी भी उसका एनकाउंटर कर सकती है. ऐसे में उसने प्लानिंग के साथ वर्ष 2012 में कपासन पुलिस की ओर से एनडीपीएस मामले में पकड़े जाने के बाद कोर्ट से जमानत पर चला गया लेकिन वापस नहीं लौटा.
ऐसे में जमानत जब्ती के मामले में कपासन पुलिस को भी पहले से उसकी तलाश थी. यहां गिरफ्तारी होने के कारण भीलवाड़ा पुलिस से बचने के लिए उसने चित्तौड़गढ़ में सरेंडर करना उचित समझा.