चित्तौड़गढ़. जिले में विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग के अलावा कई पर्यटन एवं पिकनिक स्थल हैं. इसमें से अधिकांश पिकनिक स्थल धार्मिक स्थलों के साथ ही जंगलों में हरियाली के बीच झरनों के पास स्थित हैं, और बरसात के दौरान यहां पर हर वर्ष यहां की फिजाओं में चार चांद लग जाते हैं.
यहां चित्तौड़गढ़ जिले ही नहीं अन्य जिलों से भी बड़ी संख्या में लोग झरनों पर पिकनिक का आनंद उठाने के लिए आते हैं. लेकिन इस वर्ष मानसून की बेरुखी के चलते पिकनिक एवं धार्मिकस्थलों स्थलों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. यहां पिकनिक के लिए लोग पहुंच तो रहे हैं, लेकिन पानी नहीं देख कर निराश होकर लौट रहे हैं. जंगलों में स्थित पिकनिक स्थलों का आनंद नहीं उठा पा रहे हैं.
पर्यटन के क्षेत्र में विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग का बड़ा नाम है. लेकिन चित्तौड़ दुर्ग के अतिरिक्त भी जिले में कई पर्यटन, पिकनिक एवं धार्मिक स्थल हैं. यहां हर वर्ष बड़ी संख्या में लोग दर्शन एवं पिकनिक मनाने के लिए आते हैं. बरसात के समय पिकनिक स्थल चमन रहते हैं, और हर वर्ष बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं.
चित्तौड़गढ़ जिले और जिला मुख्यालय के निकट ही कई पिकनिक स्पॉट हैं. मेनाल का झरना जिला मुख्यालय से दूर पड़ता है. लेकिन जिला मुख्यालय के निकट में निलियादेह महादेव, निलिया महादेव, मंगोदड़ा झरना, केल्जर महादेव, बस्सी बांध, झरिया महादेव सहित कई बड़े पर्यटन स्थल हैं. इन पिकनिक स्थलों पर चित्तौड़गढ़ जिले के अलावा प्रतापगढ़, भीलवाड़ा कोटा, बूंदी, झालावाड़, उदयपुर जिले तक के पर्यटक आते हैं.
चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय से ही करीब 25 किलोमीटर दूर निलिया महादेव का स्थान है. यह धार्मिक स्थल होने के साथ ही झरना होने के कारण पिकनिक स्पॉट में भी आता है. पहाड़ों के बीच स्थित निलिया महादेव की अनूठी छटा पर्यटकों को आकर्षित करती है. यहां करीब 30 फीट की ऊंचाई से झरना गिरता है, और यहां एक बड़ा कुंड बना हुआ है. ऐसे में निलिया महादेव को कुंडिया महादेव के नाम से भी जाना जाता है.
पढ़ें- चित्तौड़गढ़ के कपासन में कोरोना की एंट्री, पुलिस और चिकित्सा विभाग की टीमें मुस्तैद
पहले कोरोना, अब कम बरसात का असर
कोरोना वायरस के कारण लोग घरों से बहुत ही कम संख्या में बाहर निकल रहे हैं. साथ ही बरसात नहीं होने के कारण झरने भी बहुत ही कम गति से चल रहे हैं. ऐसे में लोग पर्यटनस्थलों पर नहीं पहुंच रहे हैं. कोई लोग यहां आ भी जाएं तो पिकनिक का आनंद नहीं ले सकते.
बरसात के पानी में झरने के नीचे नहाने की इच्छा पूरी नहीं कर सकते. हर वर्ष जो लोग यहां हर सप्ताह पिकनिक मनाने आते थे वह भी इस वर्ष मन मसोस कर रह रहे हैं. इस वर्ष बहुत ही कम बरसात हुई है. ऐसे में झरना भी बहुत ही कम गति से चल रहा हैं, और अब पिकनिक स्थलों पर रौनक आने की संभावना बहुत ही कम हैं.