चित्तौड़गढ़. विश्व पर्यटन के मानचित्र पर चित्तौड़गढ़ का अपना विशेष स्थान है. विश्व के कई देशों से हजारों की संख्या में विदेशी पर्यटक दुर्ग भ्रमण के लिए हर वर्ष आते हैं. इसके अलावा देश के कोने कोने से बड़ी संख्या में पर्यटक चित्तौड़ दुर्ग भ्रमण और तीर्थाटन के लिए आते हैं. लेकिन मार्च में कोरोना संक्रमण फैलने के साथ ही सभी व्यवस्था पर लगभग ग्रहण सा लग गया. चित्तौड़गढ़ भी इसकी चपेट में आ गया. विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर भी चित्तौड़ दुर्ग पर सन्नाटा रहा. पर्यटकों की संख्या न के बराबर नजर आई.
लॉकडाउन लगने के साथ ही दुर्ग पूरी तरह से सन्नाटे के आगोश में आ गया. वहीं अनलॉक में सरकार की ओर से धीरे-धीरे रियायत दी गई. ऐसे में चित्तौड़ दुर्ग पर भी पर्यटन शुरू हो गया था. लेकिन पर्यटन ने गति नहीं पकड़ी है. चित्तौड़ दुर्ग पर ही बड़ी संख्या में गाइड फोटोग्राफर, हैंडीक्राफ्ट और इनसे जुड़े व्यवसाय आदि हैं. जिससे हजारों लोग अपना पेट पाल रहे हैं.
वहीं, इसके अलावा चित्तौड़गढ़ जिले के होटल ढाबे भी इससे चलते हैं, लेकिन जनता कर्फ्यू के साथ ही सभी बेरोजगार हो गए. फिलहाल बाहरी पर्यटक आना शुरू नहीं हुए हैं. बहुत ही कम संख्या में पर्यटक दुर्ग भ्रमण के लिए आ रहे हैं. अब भी लोगों में कोरोना संक्रमण का खौफ है. जिस तरह से प्रतिदिन कोरोना के आंकड़े सामने आ रहे हैं. ऐसे में लोग बाहर पर्यटन के लिए घूमने से डर रहे हैं. यही कारण है कि इस बार का पर्यटन सीजन चित्तौड़गढ़ के लोगों के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं रहा है.
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बता दें कि कुछ लोग जरूर दुर्ग पर जाते हुए दिखाई देते हैं. लेकिन इनमें से भी अधिकांश वे लोग होते हैं, जो धार्मिकस्थलों पर दर्शन के लिए जा रहे हैं. ऐसे में यूं कह सकते हैं कि चित्तौड़गढ़ में पर्यटन व्यवसाय ठप पड़ा हुआ है. सभी पर्यटन को गति पकड़ने का इंतजार कर रहे हैं. हर वर्ष विश्व पर्यटन दिवस पर दुर्ग पर पुरातत्व विभाग के अलावा पुरातत्व संग्रहालय की ओर से आयोजन होते हैं. लेकिन इस बार ऐसा कुछ दिखाई नहीं दिया. पर्यटन विभाग के अलावा यहां व्यवसाय करने वाले लोग मायूस नगर आए.