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Corona Effect: 700 साल में पहली बार नवरात्र में नहीं हुए आसावरा माता जी के दर्शन

चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित आसावरा माताजी शक्ति पीठ में चैत्र नवरात्रि पर घट की स्थापना की गई. लेकिन कोरोना वायरस के रोकथाम को लेकर मंदिर बंद किया गया है. ऐसें में श्रद्धालु माता के दर्शन नहीं कर पाए, साथ ही यहां भरने वाला मेला भी नहीं भरा. वहीं यहां आने वाले लकवा ग्रस्त मरीज भी इस वार नहीं आए है.

चित्तौड़गढ़ लॉकडाउन, आसावरामताजी शक्ति पीठ,  Asavaramata temple
सात सौ साल में पहली बार नवरात्रा में नहीं हुए आसावरा माता के दर्शन
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Published : Mar 25, 2020, 6:21 PM IST

चितौड़गढ़. जिले के प्रमुख शक्ति पीठ आसावरा माताजी में चैत्र नवरात्र पर घट स्थापना बुधवार को विधि विधान से हुई, लेकिन कोरोना वायरस का खौफ यहां भी दिखाई दिया. आसावरा माताजी में कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते मेला भी नहीं लगेगा.

सात सौ साल में पहली बार नवरात्रा में नहीं हुए आसावरा माता के दर्शन

700 साल में पहली बार ऐसा हुआ

वहीं, 700 साल के बाद पहली बार चैत्र नवरात्री के अवसर पर श्रद्धालु माता के दर्शन नहीं कर पाए. कोरोना के संक्रमण से फैलने से रोकने के लिए दर्शन पहले ही बंद कर दिए थे. लेकिन फिर भी आगामी नौ दिनों तक नवरात्री के सभी धार्मिक अनुष्ठान होंगे. इस बार हजारों श्रद्धालुओं के साथ लकवा पीड़ित भी यहां उपचार के लिए नहीं आ पाएंगे, लकवा पीड़ित हर नवरात्र में यहां नौ ही दिनों तक रात रुकते हैं.

यह भी पढ़ें : COVID-19: राजस्थान में कोरोना के 4 नए मरीज आए सामने, पॉजिटिव मरीजों की संख्या हुई 36

जानकारी के अनुसार जिले में भदेसर उपखंड मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर दूर आसावरामताजी का धार्मिक स्थान है. इस आसावरामताजी का मंदिर आज भी मेवाड़ राजघराने के एकलिंग ट्रस्ट की और से व्यवस्थाएं की जाती है. मंदिर में दर्शन से लेकर अंदर के सभी कार्य मेवाड़ राज परिवार की ओर से होते हैं.

यह है मान्यता

बता दें कि आसावरा माताजी मेवाड़ की आराध्य देवी भी है. यहां पूरा मेवाड़ जिसमें उदयपुर संभाग के सभी जिलों के अलावा मालवा से भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं. इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां आने से लकवाग्रस्त (पेरेलिसिस) के रोगी ठीक हो जाते हैं. यहां साल भर लकवााग्रस्त मरीज अपने ठीक होने की उम्मीद लेकर आते है. लेकिन इस साल कोरोना वायरस को लेकर किए गए लॉक डाउन के कारण भक्त यहां नहीं आ पा रहें है.

इस वर्ष कोरोना वायरस संक्रमण के चलते आसावरा माता जी में दर्शन ही बंद है. बुधवार सुबह शुभ मुहूर्त में नवरात्र महोत्सव को लेकर घट स्थापना की गई. इस साल अनुष्ठान में एकलिंग ट्रष्ट और मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोग ही रहे. यहां मंदिर के द्वार पर ताला जड़ा हुवा है और बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है. मंदिर प्रबंधक रामसिंह चौहान और मंदिर समन्वयक शंभू व्यास आदि की मौजूदगी में घट स्थापना हुई. वहीं मेला ग्राम पंचायत की ओर से तैयारियां की जाती है लेकिन जब दर्शन ही नहीं हो रहे तो मेले का तो सवाल ही नहीं बनता.

यह भी पढ़ें- लॉक डाउनः जोधपुर में आवश्यक सामाग्री की दुकानों को पुलिस दे रही परमिशन

ग्राम पंचायत आसावरा माताजी के पूर्व सरपंच और सरपंच प्रतिनिधि अशोक रायका का कहना है कि कोरोना संक्रमण के डर से सन्नाटा पसरा हुआ है. राज्य सरकार की और से जारी एडवाइजरी की पूरी तरह से पालना की जा रही है. इधर, बुधवार सुबह नवरात्रि पर घट स्थापना पंडित आशीष आचार्य के निर्देशन में सुबह 8.15 बजे हुई. इस दौरान माता के पूजा अर्चना के कार्यक्रम पूरे नवरात्र में विधिवत रूप से होंगे.

चितौड़गढ़. जिले के प्रमुख शक्ति पीठ आसावरा माताजी में चैत्र नवरात्र पर घट स्थापना बुधवार को विधि विधान से हुई, लेकिन कोरोना वायरस का खौफ यहां भी दिखाई दिया. आसावरा माताजी में कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते मेला भी नहीं लगेगा.

सात सौ साल में पहली बार नवरात्रा में नहीं हुए आसावरा माता के दर्शन

700 साल में पहली बार ऐसा हुआ

वहीं, 700 साल के बाद पहली बार चैत्र नवरात्री के अवसर पर श्रद्धालु माता के दर्शन नहीं कर पाए. कोरोना के संक्रमण से फैलने से रोकने के लिए दर्शन पहले ही बंद कर दिए थे. लेकिन फिर भी आगामी नौ दिनों तक नवरात्री के सभी धार्मिक अनुष्ठान होंगे. इस बार हजारों श्रद्धालुओं के साथ लकवा पीड़ित भी यहां उपचार के लिए नहीं आ पाएंगे, लकवा पीड़ित हर नवरात्र में यहां नौ ही दिनों तक रात रुकते हैं.

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जानकारी के अनुसार जिले में भदेसर उपखंड मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर दूर आसावरामताजी का धार्मिक स्थान है. इस आसावरामताजी का मंदिर आज भी मेवाड़ राजघराने के एकलिंग ट्रस्ट की और से व्यवस्थाएं की जाती है. मंदिर में दर्शन से लेकर अंदर के सभी कार्य मेवाड़ राज परिवार की ओर से होते हैं.

यह है मान्यता

बता दें कि आसावरा माताजी मेवाड़ की आराध्य देवी भी है. यहां पूरा मेवाड़ जिसमें उदयपुर संभाग के सभी जिलों के अलावा मालवा से भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं. इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां आने से लकवाग्रस्त (पेरेलिसिस) के रोगी ठीक हो जाते हैं. यहां साल भर लकवााग्रस्त मरीज अपने ठीक होने की उम्मीद लेकर आते है. लेकिन इस साल कोरोना वायरस को लेकर किए गए लॉक डाउन के कारण भक्त यहां नहीं आ पा रहें है.

इस वर्ष कोरोना वायरस संक्रमण के चलते आसावरा माता जी में दर्शन ही बंद है. बुधवार सुबह शुभ मुहूर्त में नवरात्र महोत्सव को लेकर घट स्थापना की गई. इस साल अनुष्ठान में एकलिंग ट्रष्ट और मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोग ही रहे. यहां मंदिर के द्वार पर ताला जड़ा हुवा है और बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है. मंदिर प्रबंधक रामसिंह चौहान और मंदिर समन्वयक शंभू व्यास आदि की मौजूदगी में घट स्थापना हुई. वहीं मेला ग्राम पंचायत की ओर से तैयारियां की जाती है लेकिन जब दर्शन ही नहीं हो रहे तो मेले का तो सवाल ही नहीं बनता.

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ग्राम पंचायत आसावरा माताजी के पूर्व सरपंच और सरपंच प्रतिनिधि अशोक रायका का कहना है कि कोरोना संक्रमण के डर से सन्नाटा पसरा हुआ है. राज्य सरकार की और से जारी एडवाइजरी की पूरी तरह से पालना की जा रही है. इधर, बुधवार सुबह नवरात्रि पर घट स्थापना पंडित आशीष आचार्य के निर्देशन में सुबह 8.15 बजे हुई. इस दौरान माता के पूजा अर्चना के कार्यक्रम पूरे नवरात्र में विधिवत रूप से होंगे.

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