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चित्तौडगढ़: जिला परिषद में 24 साल से भाजपा का राज, अब तिलिस्म बचाना चुनौती - जिला परिषद में 24 साल भाजपा का राज

प्रदेश में गत दिनों हुए निकाय चुनावों में चित्तौडगढ़ जिले में भाजपा की करारी हार हुई है. यहां तीनों ही निकायों में भाजपा अपनी सीट नहीं बचा पाई, आगामी दिनों में पंचायत राज के चुनाव होने हैं. वर्तमान जिला प्रमुख निकाय चुनाव हो या कई कार्यक्रम सक्रिय नहीं नजर आई तो उप जिला भी काफी समय से नहीं दिखी है. इन पांच सालों तक सक्रिय व फिल्ड में नहीं रहने का खामियाजा आगामी आने वाले चुनाव में भाजपा को भुगतना पड़ सकता है.

प्रदेश में गत दिनों हुए निकाय चुनावों में चित्तौडग़ढ़ जिले में भाजपा की करारी  प्रदेश में इसी माह पंचायत राज चुनावों को लेकर आचार संहिता  आगामी दिनों में पंचायत राज के चुनाव होने है  जिला परिषद में 24 साल भाजपा का राज
चित्तौडगढ़ जिले में भाजपा की करारी हार
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Published : Dec 13, 2019, 2:23 PM IST

चित्तौडगढ़. प्रदेश में इसी माह पंचायत राज चुनावों को लेकर आचार संहिता लगने की संभवना है. जिसमें जिला परिषद के साथ ही 11 पंचायत समितियों के अलावा ग्राम पंचायतों में भी चुनाव होंगे, और अगर बात करें जिला परिषद चित्तौडगढ़ की तो यहां लम्बे समय से भाजपा का कब्जा रहा है. वर्तमान में जो कार्यकाल चल रहा है, उसमें जिला प्रमुख पद पर पांच साल से लीला जाट तो उप जिला प्रमुख के पद पर पिंकी अहीर काबिज हैं. लेकिन दोनों ही काफी समय से पूरी तरह से सक्रिय नहीं हैं.

चित्तौडगढ़ जिले में भाजपा की करारी हार

जानकारी के मुताबिक जिला परिषद में अधिकतम चार माह पर बैठक होने का नियम हैं. ऐसे में कुल 15 बैठक होनी चाहिए थी, लेकिन बोर्ड में 12 बैठक बुलाई गई थी, जिसमें से दो बैठक निरस्त हुई है और कुल 10 बैठकें हुई हैं. इनमें से उप जिला प्रमुख पिंकी अहीर दो बैठक में अपनी उपस्थित दर्ज कराई है.

पढ़ें:नहरी पानी को लेकर दिल्ली में आज जंबो बैठक...

भाजपा नेता इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि जिला प्रमुख और उप जिला प्रमुख के निष्क्रिय रहने से नुकसान तो है. लेकिन चुनाव में भाजपा चेहरा नहीं बल्कि सिम्बोल के आधार पर गांवों में जाएगी. वहीं कांग्रेस ने निकाय चुनाव की तर्ज पर पंचायत राज चुनावों में भी एकजुट होकर चुनाव लड़ने की बात कही है.

चित्तौडगढ़. प्रदेश में इसी माह पंचायत राज चुनावों को लेकर आचार संहिता लगने की संभवना है. जिसमें जिला परिषद के साथ ही 11 पंचायत समितियों के अलावा ग्राम पंचायतों में भी चुनाव होंगे, और अगर बात करें जिला परिषद चित्तौडगढ़ की तो यहां लम्बे समय से भाजपा का कब्जा रहा है. वर्तमान में जो कार्यकाल चल रहा है, उसमें जिला प्रमुख पद पर पांच साल से लीला जाट तो उप जिला प्रमुख के पद पर पिंकी अहीर काबिज हैं. लेकिन दोनों ही काफी समय से पूरी तरह से सक्रिय नहीं हैं.

चित्तौडगढ़ जिले में भाजपा की करारी हार

जानकारी के मुताबिक जिला परिषद में अधिकतम चार माह पर बैठक होने का नियम हैं. ऐसे में कुल 15 बैठक होनी चाहिए थी, लेकिन बोर्ड में 12 बैठक बुलाई गई थी, जिसमें से दो बैठक निरस्त हुई है और कुल 10 बैठकें हुई हैं. इनमें से उप जिला प्रमुख पिंकी अहीर दो बैठक में अपनी उपस्थित दर्ज कराई है.

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भाजपा नेता इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि जिला प्रमुख और उप जिला प्रमुख के निष्क्रिय रहने से नुकसान तो है. लेकिन चुनाव में भाजपा चेहरा नहीं बल्कि सिम्बोल के आधार पर गांवों में जाएगी. वहीं कांग्रेस ने निकाय चुनाव की तर्ज पर पंचायत राज चुनावों में भी एकजुट होकर चुनाव लड़ने की बात कही है.

Intro:चित्तौडग़ढ़। प्रदेश में गत दिनों हुए निकाय चुनावों में चित्तौडग़ढ़ जिले में भाजपा की करारी हार हुई है। यहां तीनों ही निकायों में भाजपा अपनी सीट नहीं बचा पाई। आगामी दिनों में पंचायत राज के चुनाव होने है और इसमें भी जिला परिषद में भाजपा को अपना तिलिस्म बचाना चुनौती होगा। इसका कारण यह है कि वर्तमान जिला प्रमुख निकाय चुनाव हो या कई कार्यक्रम सक्रिय नहीं नजर आई तो उप जिला भी काफी समय से नहीं दिखी है। इनके पांच सालों तक सक्रिय व फिल्ड में नहीं रहने का खामियाजा आगामी चुनावों में भाजपा को उठाना पड़ सकता है।
Body:प्रदेश में इसी माह पंचायत राज चुनावों को लेकर आचार संहिता लगने की संभवना है। इसमें जिला परिषद के साथ ही जिले की 11 पंचायत समितियों के अलावा ग्राम पंचायतों में चुनाव होंगे। बात करें जिला परिषद चित्तौडग़ढ़ की तो यहां लम्बे समय से भाजपा का कब्जा है। वर्तमान में जो कार्यकाल चल रहा है, जिसमें जिला प्रमुख पद पर पांच साल से लीला जाट तो उप जिला प्रमुख के पद पर पिंकी अहीर काबिज है। लेकिन दोनों ही काफी समय से पूरी तरह से सक्रिय नहीं है। जिला परिषद् की बैठक जिला प्रमुख के बिना होना संभव नहीं है लेकिन अधिंकाश बैठकों में उप जिला प्रमुख नदारद ही रही है। साथ ही दोनों जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले कार्यक्रमों, चुनाव, बैठकों, सामाजिक व धार्मिक कार्यक्रम आदि में या तो नहीं दिखी या बहुत कम। गत दिनों ही निकाय चुनाव हुए हैं। इनमें भी ना तो जिला प्रमुख ना ही उप जिला प्रमुख कहीं प्रचार में दिखाई दी है। ऐसे में पंचायत राज के चुनाव में इन दो प्रमुख पदों पर बैठे जनप्रतिनिधियों के सक्रिय नहीं रहने का खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ सकता है।
जानकारी में सामने आया कि जिला परिषद में अधिकतम चार माह पर बैठक होने का नियम है। ऐसे में कुल 15 बैठक होनी चाहिए थी। लेकिन इस बोर्ड में 12 बैठक बुलाई गई थी, जिसमें से दो बैठक निरस्त हुई। कुल 10 बैठकें हुई है, जिनमें से उप जिला प्रमुख पिंकी अहीर दो बैठक में ही रजिस्टर में अपनी उपस्थित दर्ज कराई है। जानकारी मिली है कि जिला परिषद में गत 24 वर्षों में जिला प्रमुख के पद पर भाजपा का कब्जा रहा है। ऐसे में भाजपा को अपना तिलिस्म बचाना चुनोती होगी। भाजपा नेता भी अंदर खाने इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि जिला प्रमुख और उप जिला प्रमुख के निष्क्रिय रहने से नुकसान तो है, लेकिन चुनाव में भाजपा चेहरा नहीं सिम्बोल के आधार पर गांवों में जाएगी। वहीं कांग्रेस ने निकाय चुनाव की तर्ज पर पंचायत राज चुनावों में भी एकजुट होकर चुनाव लड़ने की बात कही है। Conclusion:बाइट - मांगीलाल धाकड़, कांग्रेस जिलाध्यक्ष
- रतनलाल गाडरी, जिलाध्यक्ष भाजपा
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