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हरा-भरा राजस्थान : दौसा में वन विभाग के दावे बहुत बड़े हैं...पर जमीनी हकीकत उन्हें झूठा साबित कर रही हैं

दौसा में वन विभाग की ओर से हर साल पौधारोपण कर लाखों पौधे लगाए जाते हैं. लेकिन उसके बाद विभाग की लापरवाही की वजह से वो पौधे पेड़ बन नहीं पाते और कुछ ही दिनों मे दम तोड़ देते हैं. आइए जानते हैं दौसा में पिछले पांच सालों में विभाग की ओर से की गई वृक्षारोपण की ग्राउंड रिपोर्ट.

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Published : Jul 1, 2019, 6:06 PM IST

Updated : Jul 2, 2019, 7:57 AM IST

दौसा में वन विभाग का बड़ा दावा बहुत बड़े हैं...पर जमीनी हकीकत उन्हें झूठा साबित कर रही हैं

दौसा. जिले में वृक्षारोपण को बढ़ावा देने और वन एवं पौधे लगाने को लेकर वन विभाग बड़े-बड़े दावे करता नजर आता है. जिसके तहत वन विभाग के द्वारा हर वर्ष 5 जून को वन महोत्सव आयोजित कर लोगों को पौधरोपण के लिए प्रेरित भी किया जाता है. विभाग का दावा है कि पिछले 5 वर्षों में पौधरोपण को लेकर जिले में लाखों की तादाद में पौधे लगाए गए हैं व उनका पालन-पोषण किया गया है.

दौसा में वन विभाग का बड़ा दावा बहुत बड़े हैं...पर जमीनी हकीकत उन्हें झूठा साबित कर रही हैं

पिछले 5 वर्ष के आंकड़ों को देखें तो विभाग वन विभाग को वर्ष 2014 में लगभग 7 लाख 80 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य मिला था. जो कि विभाग ने पूरा कर लिया. वर्ष 2015 में वन विभाग दौसा ने जिले में 10 लाख पौधे लगाएं व इसी तरह वर्ष 2016 में 1 लाख 3 हजार और वर्ष 2017 में 1 लाख 63 हजार और 2018 में 1 लाख 62 हजार पौधे लगाकर उनका पालन पोषण किया गया. इस तरह वन विभाग के अधिकारियों का दावा है कि जिले में पिछले 5 वर्षों में तकरीबन 23 लाख पौधे लगाकर उनका पालन पोषण किया गया है. जिससे कि वह पूरी तरह सरवाइव कर रहे हैं. यह कहना है अतिरिक्त जिला वन अधिकारी पीयूष शर्मा का.

ईटीवी भारत की टीम ने जब वन विभाग के लगाए पौधों की जमीनी हकीकत को जानने की कोशिश की तो विभाग द्वारा वर्ष 2018 में सिविल लाइन के पास हरीपुरा राजकीय माध्यमिक विद्यालय में वन महोत्सव मना कर विद्यालय में तकरीबन सौ के आसपास पौधे लगाए थे लेकिन आज उन पौधों में से विद्यालय में 20% पौधे भी जीवित नहीं हैं. पानी की कमी और साल संभार की अनदेखी के चलते विद्यालय में महज खाली गमले बचे हैं. जिनमें बारिश का पानी भरा है.

वर्ष 2016 में वन विभाग ने 5 जून को पर्यावरण दिवस पर गणेशपुरा एनीकट पर बड़ा महोत्सव मनाया था. जिसमें भी एनीकट पर पौधरोपण किया गया लेकिन यहां के हालात उससे भी बदतर हैं. एक भी गमले में पौधा नहीं है. खाली गमले पड़े हैं. विभाग ने ना तो पौधों को लगाने के बाद कभी पानी देने की जिम्मेदारी समझी. जिसके चलते यहां वन विभाग के पैसे और समय दोनों बर्बाद हुए.

सबसे बड़ी खास बात यह है कि हाल ही में पिछले 5 जून 2019 को विभाग ने फिर पर्यावरण दिवस मनाकर जिला कलेक्ट्रेट के पास ग्रामीण हाट बाजार में स्थानीय विधायक की मौजूदगी में पौधरोपण किया लेकिन वह पौधरोपण भी महज खानापूर्ति रहा. 1 माह में उनमें से अधिकांश पौधे सूखने की कगार पर हैं. पौधों के लिए बनाए गए गमलों की सजावट आज भी बरकरार है लेकिन गमलों में लगे पौधे अपनी अंतिम सांसे गिन रहे हैं. इसे विभाग की लापरवाही कहें या गैर जिम्मेदाराना कि विभाग वन महोत्सव मनाने के नाते जिले में पौधरोपण तो कर देता है लेकिन पूरी तरह गैर जिम्मेदारी के साथ.

लोगों को पौधरोपण के लिए प्रोत्साहित करने के लिए वन विभाग की ओर से हर बार 5 जून को वन महोत्सव मनाया जाता है लेकिन दूसरों को प्रोत्साहित करने वाला विभाग खुद पूरी तरह लापरवाह नजर आ रहा है.

दौसा. जिले में वृक्षारोपण को बढ़ावा देने और वन एवं पौधे लगाने को लेकर वन विभाग बड़े-बड़े दावे करता नजर आता है. जिसके तहत वन विभाग के द्वारा हर वर्ष 5 जून को वन महोत्सव आयोजित कर लोगों को पौधरोपण के लिए प्रेरित भी किया जाता है. विभाग का दावा है कि पिछले 5 वर्षों में पौधरोपण को लेकर जिले में लाखों की तादाद में पौधे लगाए गए हैं व उनका पालन-पोषण किया गया है.

दौसा में वन विभाग का बड़ा दावा बहुत बड़े हैं...पर जमीनी हकीकत उन्हें झूठा साबित कर रही हैं

पिछले 5 वर्ष के आंकड़ों को देखें तो विभाग वन विभाग को वर्ष 2014 में लगभग 7 लाख 80 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य मिला था. जो कि विभाग ने पूरा कर लिया. वर्ष 2015 में वन विभाग दौसा ने जिले में 10 लाख पौधे लगाएं व इसी तरह वर्ष 2016 में 1 लाख 3 हजार और वर्ष 2017 में 1 लाख 63 हजार और 2018 में 1 लाख 62 हजार पौधे लगाकर उनका पालन पोषण किया गया. इस तरह वन विभाग के अधिकारियों का दावा है कि जिले में पिछले 5 वर्षों में तकरीबन 23 लाख पौधे लगाकर उनका पालन पोषण किया गया है. जिससे कि वह पूरी तरह सरवाइव कर रहे हैं. यह कहना है अतिरिक्त जिला वन अधिकारी पीयूष शर्मा का.

ईटीवी भारत की टीम ने जब वन विभाग के लगाए पौधों की जमीनी हकीकत को जानने की कोशिश की तो विभाग द्वारा वर्ष 2018 में सिविल लाइन के पास हरीपुरा राजकीय माध्यमिक विद्यालय में वन महोत्सव मना कर विद्यालय में तकरीबन सौ के आसपास पौधे लगाए थे लेकिन आज उन पौधों में से विद्यालय में 20% पौधे भी जीवित नहीं हैं. पानी की कमी और साल संभार की अनदेखी के चलते विद्यालय में महज खाली गमले बचे हैं. जिनमें बारिश का पानी भरा है.

वर्ष 2016 में वन विभाग ने 5 जून को पर्यावरण दिवस पर गणेशपुरा एनीकट पर बड़ा महोत्सव मनाया था. जिसमें भी एनीकट पर पौधरोपण किया गया लेकिन यहां के हालात उससे भी बदतर हैं. एक भी गमले में पौधा नहीं है. खाली गमले पड़े हैं. विभाग ने ना तो पौधों को लगाने के बाद कभी पानी देने की जिम्मेदारी समझी. जिसके चलते यहां वन विभाग के पैसे और समय दोनों बर्बाद हुए.

सबसे बड़ी खास बात यह है कि हाल ही में पिछले 5 जून 2019 को विभाग ने फिर पर्यावरण दिवस मनाकर जिला कलेक्ट्रेट के पास ग्रामीण हाट बाजार में स्थानीय विधायक की मौजूदगी में पौधरोपण किया लेकिन वह पौधरोपण भी महज खानापूर्ति रहा. 1 माह में उनमें से अधिकांश पौधे सूखने की कगार पर हैं. पौधों के लिए बनाए गए गमलों की सजावट आज भी बरकरार है लेकिन गमलों में लगे पौधे अपनी अंतिम सांसे गिन रहे हैं. इसे विभाग की लापरवाही कहें या गैर जिम्मेदाराना कि विभाग वन महोत्सव मनाने के नाते जिले में पौधरोपण तो कर देता है लेकिन पूरी तरह गैर जिम्मेदारी के साथ.

लोगों को पौधरोपण के लिए प्रोत्साहित करने के लिए वन विभाग की ओर से हर बार 5 जून को वन महोत्सव मनाया जाता है लेकिन दूसरों को प्रोत्साहित करने वाला विभाग खुद पूरी तरह लापरवाह नजर आ रहा है.

Intro:दौसा, वन विभाग का दावा खोखला निकला जिले में हर वर्ष साढे चार लाख पौधे लगाकर सरवाइव करवाने का वन विभाग का दावा खोखला निकला ।


Body:दौसा, वन विभाग का दावा खोखला निकला जिले में हर वर्ष साढे चार लाख पौधे लगाकर सरवाइव करवाने का वन विभाग का यह दावा पूरी तरह खोखला निकला । जिले में वृक्षारोपण को बढ़ावा देने व वन एवं पौधे लगाने को लेकर वन विभाग बड़े-बड़े दावे करता नजर आता है । जिसके तहत वन विभाग के द्वारा हर वर्ष 5 जून को वन महोत्सव आयोजित कर लोगों को पौधरोपण के लिए प्रेरित भी किया जाता है । विभाग का दावा है कि पिछले 5 वर्षों में पौधरोपण को लेकर जिले में लाखों की तादाद में पौधे लगाए गए हैं । व उनका पालन-पोषण किया गया है । पिछले 5 वर्ष के आंकड़ों को देखें तो विभाग वन विभाग को वर्ष 2014 में लगभग 7 लाख 80 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य मिला था । जो कि विभाग ने पूरा कर लिया वर्ष 2015 में वन विभाग दौसा ने जिले में 10 लाख पौधे लगाएं ।व इसी तरह वर्ष 16 में 1 लाख 3 हजार व वर्ष 17 में 1 लाख 63 हजार व2018 में 1 लाख 62 हजार पौधे लगाकर उनका पालन पोषण किया गया । इस तरह वन विभाग के अधिकारियों का दावा है कि जिले में पिछले 5 वर्षों में तकरीबन 23 लाख पौधे लगाकर उनका पालन पोषण किया गया है । जिससे कि वह पूरी तरह सरवाइव कर रहे हैं। यह कहना है अतिरिक्त जिला वन अधिकारी पियूष शर्मा का । ईटीवी भारत की टीम ने जब वन विभाग के लगाए पौधों की जमीनी हकीकत को जानने की कोशिश की तो विभाग द्वारा वर्ष 2018 में सिविल लाइन के पास हरीपुरा राजकीय माध्यमिक विद्यालय में वन महोत्सव मना कर विद्यालय में तकरीबन सौ के आसपास पौधे लगाए थे लेकिन आज उन पौधों में से विद्यालय में 20% पौधे भी जीवित नहीं है । पानी की कमी व साल संभार की अनदेखी के चलते विद्यालय में महज खाली गमले बचे हैं जिनमें बारिश का पानी भरा है । वर्ष 2016 में वन विभाग ने 5 जून को पर्यावरण दिवस पर गणेशपुरा एनीकट पर बड़ा महोत्सव मनाया था । जिसमें भी एनीकट पर पौधरोपण किया गया ।लेकिन यहां के हालात उससे भी बदतर हैं एक भी गमले में पौधा नहीं है खाली गमले पड़े हैं विभाग ने ना तो पौधों को लगाने के बाद उनकी साल सभार की ना ही कभी पानी देने की जिम्मेदारी समझी जिसके चलते यहां वन विभाग के पैसे और समय दोनों बर्बाद हुए । सबसे बड़ी खास बात यह है कि हाल ही में पिछले 5 जून 2019 को विभाग ने फिर पर्यावरण दिवस मनाकर जिला कलेक्ट्रेट के पास ग्रामीण हाट बाजार में स्थानीय विधायक की मौजूदगी में पौधरोपण किया लेकिन वह पौधरोपण भी महज खानापूर्ति रहा । 1 माह में उनमें से अधिकांश पौधे सूखने की कगार पर है पौधों के लिए बनाए गए गमलों की सजावट आज भी बरकरार है । लेकिन गमलों में लगे पौधे अपनी अंतिम सांसे गिन रहे हैं । इसे विभाग की लापरवाही कहें या गैर जिम्मेदाराना कि विभाग वन महोत्सव मनाने के नाते जिले में पौधरोपण तो कर देता है । लेकिन पूरी तरह गैर जिम्मेदारी के साथ । लोगों को पौधरोपण के लिए प्रोत्साहित करने के लिए वन विभाग की ओर से हर बार 5 जून को वन महोत्सव मनाया जाता है लेकिन दूसरों को प्रोत्साहित करने वाला विभाग खुद पूरी तरह लापरवाह नजर आ रहा है।

बाइट अतिरिक्त जिला वन अधिकारी पीयूष शर्मा


Conclusion:
Last Updated : Jul 2, 2019, 7:57 AM IST
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