श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों ने हमले के जरिए जेड मोड़ टनल के काम को रोकने की कोशिश की थी. उसी सुरंग का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 जनवरी को करेंगे. पीएम मोदी द्वारा इस टनल का उद्घाटन इस उद्देश्य आतंकवादियों को कड़ा संदेश भी देना है. संदेश यह है कि,किसी को भी इस इलाके में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पटरी से उतारने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
जेड मोड़ सुरंग के उद्घाटन कार्यक्रम में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला शामिल होंगे. पिछले साल अक्टूबर में आतंकवादियों ने सुरंग के शिविर स्थल पर हमला किया था. जिसमें बडगाम के एक स्थानीय डॉक्टर सहित सात मजदूरों की मौत हो गई थी.
जेड मोड़ सुरंग का उद्घाटन करेंगे पीएम मोदी
इस सुरंग को प्रधानमंत्री 13 जनवरी को जनता के लिए खोलेंगे. एक अधिकारी ने कहा कि, विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) आज जेड मोड़ सुरंग के सुचारू उद्घाटन और सुरक्षा नियंत्रण के लिए सुरंग स्थल को अपने कब्जे में ले लेगा.
पीएम मोदी का जम्मू कश्मीर दौरा क्यों है खास, जानें
पिछले साल तीसरे कार्यकाल के लिए पद संभालने के बाद पीएम मोदी का यह दूसरा दौरा है, जिसमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के बाद राज्य का दर्जा देने का वादा किया था. अब जब पहली बार जम्मू-कश्मीर की यात्रा उस समय हो रही है जब वहां पहली बार निर्वाचित सरकार बनी है, तो इस बहुप्रतीक्षित वादे पर कुछ अटकलें भी लगाई जा रही हैं, जिसके लिए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने उन्हें कैबिनेट का प्रस्ताव भी सौंपा है.
लश्कर-ए-तैयबा ने जेड मोड़ टनल के काम को रोकने की कोशिश की थी
पुलिस के अनुसार, लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किसी बुनियादी ढांचा परियोजना पर किया गया पहला हमला इस परियोजना को पटरी से उतारने के उद्देश्य से किया गया था. जेड मोड़ सुरंग के खुलने से लद्दाख क्षेत्र के साथ सभी मौसम में संपर्क प्रदान करने की दिशा में एक कदम होगा.
आतंकियों के लिए कड़ा संदेश
कई सरकारी और परियोजना अधिकारियों ने माना कि सुरंग में प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति का उद्देश्य आतंकवादियों को एक कड़ा संदेश भेजना है. एक वरिष्ठ परियोजना अधिकारी ने कहा कि वे सुरंग स्थल शिविर में मारे गए श्रमिकों के परिवारों को उद्घाटन समारोह के लिए आमंत्रित करेंगे.
सीनियर परियोजना अधिकारी ने ईटीवी भारत से कहा, "इन परिवारों को आमंत्रित करने की प्रक्रिया चल रही है." हालांकि सभी नहीं आ सकते हैं, लेकिन कुछ लोगों के कार्यक्रम में शामिल होने की संभावना है. उनमें से कुछ लोगों के पीएम मोदी से मिलने की संभावना जताई जा रही है.
6.5 किलोमीटर से अधिक लंबी जेड मोड़ सुरंग
बता दें कि, 8,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित, 6.5 किलोमीटर से अधिक लंबी रणनीतिक सुरंग को गंदेरबल में श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर बर्फ के हिमस्खलन की आशंका वाले टेढ़े-मेढ़े हिस्से को पार करने में 15 मिनट लगेंगे. यह निर्माणाधीन जोजी-ला सुरंग के साथ-साथ सबसे ठंडे लद्दाख को सभी मौसमों में घूमने लायक जगह बनाने की दिशा में उठाया गया पहला कदम है. सबसे ठंडा रेगिस्तान सर्दियों के महीनों के लिए बंद रहता है और राजमार्ग पर सबसे ऊंचे दर्रे जोजी ला पर पारा शून्य से 30 डिग्री नीचे चला जाता है.
भारत के लिए जेड मोड़ सुरंग कितना महत्वपूर्ण?
यह सुरंग रणनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण होगी. वह इसलिए क्योंकि यह नियंत्रण रेखा के साथ-साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात सुरक्षा बलों को सुचारू और त्वरित सैन्य सहायता प्रदान करेगी, जहां 2020 में भारत और चीन की सेनाएं भिड़ गईं थीं. लद्दाख से सांसद मोहम्मद हनीफा जान ने सुरंग के रणनीतिक और सार्वजनिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका उद्घाटन इस बात को रेखांकित करता है कि, लद्दाख क्षेत्र की कनेक्टिविटी पीएम मोदी के बहुत करीब है.
उन्होंने उम्मीद जताई कि निर्माणाधीन जोजी ला सुरंग जल्द ही पूरी हो जाएगी ताकि क्षेत्र को पूरे साल कनेक्टिविटी मिल सके. राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम के महाप्रबंधक वीके पांडे ने कहा कि वे पीएम के दौरे से पहले तैयारियों की तैयारी कर रहे हैं. एपीसीओ अमरनाथजी टनलवे प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित परियोजना ने पिछले साल 24 जुलाई को सीओडी (वाणिज्यिक संचालन तिथि) हासिल की थी, लेकिन तब से यह सार्वजनिक उद्घाटन की प्रतीक्षा कर रही थी.
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता के कारण देरी हुई और उसके बाद अक्टूबर में सुरंग के साइट कैंप पर आतंकवादी हमला हुआ. 2400 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित जेड-मोड़ सुरंग परियोजना को सुरंग के निर्माण, संचालन और रखरखाव सहित बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (वार्षिकता) के आधार पर दिया गया था. डेवलपर को पूरा होने की तारीख से 15 साल की रखरखाव अवधि दी गई है.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि सुरंग को एक महीने पहले ही संचालन के लिए विद्युत विकास विभाग सहित सभी उपयोगिताओं से मंजूरी मिल गई है. जेड-मोड़ सुरंग परियोजना की कल्पना सबसे पहले 2012 में सीमा सड़क संगठन ने की थी और बाद में इसे राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) को सौंप दिया गया था.
ये भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर से तेलंगाना तक पीएम मोदी ने दी रेल परियोजनाओं की सौगात