जयपुर. लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस के भीतर चल रही कलह की छाया अब प्रदेश कांग्रेस कमेटी तक पहुंच गई है. प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में शुक्रवार को पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष मुमताज मसीह की नेमप्लेट हटाकर उनका कमरा बदलकर यहां वरिष्ठ उपाध्यक्ष गोपाल सिंह ईड़वा को बैठाया गया.
एक पायलट का खास..तो दूसरा गहलोत का
खास बात यह है कि इस बदलाव की सूचना देना तक मुमताज मसीह को उचित नहीं समझा गया. यहां आपको बता दें कि मुमताज मसीह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीकी नेताओं में शामिल हैं. तो वहीं ईड़वा पीसीसी चीफ सचिन पायलट के करीबी नेता माने जाते हैं. यही कारण है कि इस बदलाव को पार्टी नेताओं के बीच चल रही गुटबाजी से जोड़कर देखा जा रहा है.
मुमताज मसीह लिखी नेमप्लेट हटाकर लगाई वरिष्ठ उपाध्यक्ष की प्लेट
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में जिस रूम के बाहर आज से पहले मुमताज मसीह लिखी नेम प्लेट लगी रहती थी. अब यहां वरिष्ठ उपाध्यक्ष लिखी नेम प्लेट टंगी है. यहां से ना केवल नेम प्लेट हटाई गई. बल्कि सालों से यहां बैठकर पार्टी से जुड़ा कामकाज करने वाले कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष मुमताज मसीह का कमरा भी बदल डाला गया. खास बात यह भी रही कि इस बदलाव की मुमताज मसीह को जानकारी तक नहीं दी गई. शुक्रवार सुबह जब अशोक गहलोत के नजदीकी नेता मुमताज मसीह पीसीसी पहुंचे तो कमरे के बाहर अपनी नेम प्लेट गायब देखकर हैरान रह गए.
रूम बदलने के बाद मुमताज मसीह ने दिया बयान
इतना ही नहीं उस कमरे के भीतर पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गोपाल सिंह ईडवा बैठे हुए नजर आए. ऐसे में मायूस मुमताज मसीह वहां से एक कदम आगे वाले कमरे में पहुंचे और कुर्सी पर बैठ गए. जिस कमरे में मसीह बैठे वो कमरा पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष और सचिव पद पर तैनात नेताओं का कॉमन रूम है. गहलोत के नजदीकी नेता मुमताज मसीह इससे मायूस और परेशान तो है. लेकिन, मीडिया के समक्ष इसे बदलाव को वो पीसीसी चीफ सचिन पायलट का अधिकार क्षेत्र करार दे रहे हैं.
ईड़वा बोले- रूम ही तो बदला है... अधिकार थोड़े ही छीने है
वहीं इस मामले में जब पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गोपाल सिंह ईडवा से बात की गई. तो उन्होंने इसे पार्टी की एक रूटीन प्रक्रिया करार दिया. ईड़वा के अनुसार वह पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष है. इस नाते यह कमरा उन्हें आवंटित किया गया है. लेकिन, इसका मतलब यह नहीं कि मुमताज मसीह से कमरा छीन लिया गया हो. उनके अनुसार यह तो पार्टी की व्यवस्था है. इसे किसी तरह की गुटबाजी से जुड़कर देखा जाना गलत होगा.
अलग-अलग खेमे के हैं दोनों नेता
दरअसल, मुमताज मसीह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीकी है. तो गोपाल सिंह ईड़वा पीसीसी चीफ सचिन पायलट के करीबी नेताओं में शुमार है. हालांकि सामान्यता किसी भी पार्टी कार्यालय में कमरों और बैठक व्यवस्था मैं बदलाव एक सामान्य प्रक्रिया मानी जाती है. लेकिन, लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद जिस तरह इन दोनों ही दिग्गज नेताओं के गुटों से जुड़े नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं. उसके बाद पीसीसी के भीतर कमरों में हुए बदलाव को भी इसी सियासत से जोड़कर देखा जा रहा है.