जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि अनपढ़ वाहन चालक सड़क और हाईवे पर लगे संकेतों को नहीं समझ पाते हैं. ऐसे चालक राहगीरों के लिए खतरा होते हैं. ऐसे में इन्हें लाइसेंस जारी नहीं किया जाना चाहिए. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता सहित अन्य अनपढ़ चालकों को जारी किए गए एलएमवी लाइसेंस वापस लिए जाएं. इसके साथ ही अदालत ने 15 जुलाई को पालना रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश दीपक सिंह की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए दिए.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए जो न केवल लाइसेंस धारकों, बल्कि सड़क का उपयोग करने वाले अन्य लोगों के लिए भी होनी चाहिए. अदालत ने परिवहन प्राधिकारियों को कहा है कि वह इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी करें और उन्हें अनपढ़ वाहन चालकों पर कार्रवाई करनी चाहिए. याचिका में कहा गया है कि उसे वर्ष 2006 में एलएमवी श्रेणी का वाहन लाइसेंस जारी किया गया था. उसने माल वाहन के लाइसेंस के लिए विभाग में आवेदन किया, लेकिन विभाग ने लाइसेंस के लिए आठवीं कक्षा उत्तीर्ण होने की शर्त होने का हवाला देते हुए लाइसेंस जारी करने से इनकार कर दिया. याचिका में गुहार लगाई कि उसे माल वाहन का लाइसेंस जारी किया जाए. अदालत के सामने याचिकाकर्ता के अनपढ़ होने की बात आने पर अदालत ने दिशा-निर्देश जारी करते हुए ऐसे वाहन चालकों के लाइसेंस वापस लेने को कहा है.
रोक होने के बावजूद खुलेआम शराब के विज्ञापन जारी
राजस्थान हाई कोर्ट ने प्रमुख वित्त सचिव, आबकारी विभाग और राजस्थान बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड को नोटिस जारी कर पूछा है कि प्रदेश में शराब बिक्री के लिए विज्ञापन जारी करने पर रोक होने के बावजूद खुलेआम इसके विज्ञापन कैसे हो रहे हैं. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश बीआर शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में कहा गया कि राजस्थान आबकारी अधिनियम और आबकारी नियमों के तहत शराब का विज्ञापन जारी नहीं किया जा सकता. इसके बावजूद कई रेस्तरां, क्लब और बार आदि में खुलेआम शराब के विज्ञापन लगाए जा रहे हैं. याचिका में कहा गया कि सोशल मीडिया पर भी शराब बिक्री के लिए विज्ञापन जारी कर एक के साथ एक फ्री और सप्ताह में किसी एक दिन महिलाओं की एंट्री फ्री जैसे ऑफर दिखाकर शराब की बिक्री बढ़ाई जा रही है. इसके अलावा शहर के अधिकांश रेस्टोरेंट और बार सुबह 4 बजे तक खुले रहते हैं. जिनमें युवाओं को नियमों के विपरीत जाकर शराब पिलाई जा रही है. जिसके चलते वाहन दुर्घटनाएं भी बढ़ गई हैं.
याचिका में कहा गया कि शराब की बिक्री बढ़ाने के लिए विज्ञापन या ऑफर जारी नहीं किया जा सकता. इसके बावजूद भी राज्य सरकार की ओर से इसे रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.