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नर्मदा नहर पर नहीं हैं सुरक्षा के इंतजाम...10 साल में 200 से ज्यादा लोगों ने गंवाई जान - Sanchor

जालोर के सांचोर और चितलवाना की जीवनदायिनी कहीं जाने वाली नर्मदा नहर सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने के कारण हादसे हो रहे हैं. जिसमें सेंकडों लोगों की जान चली गई है लेकिन संबंधित विभाग के उच्च अधिकारी कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं.

नर्मदा नहर पर नहीं हैं सुरक्षा के इंतजाम
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Published : Apr 27, 2019, 2:33 PM IST

जालोर. नर्मदा नहर में गिरकर मरने के आंकड़ों में तेजी से इजाफा हो रहा है लेकिन इन हादसों को रोकने के लिए कोई भी गंभीर नहीं है. ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि नर्मदा नहर में गिरने से हो रही मौतों का सिलसिला कब थमेगा. जानकारी के अनुसार 2008 में नर्मदा नहर में गुजरात से राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने उद्घाटन करके पानी छोड़ा था. जिसके बाद लगातार नहर में गिरने से लोगों की मौत हो रही है लेकिन प्रशासन रोकथाम को लेकर कोई कदम नहीं उठा रहा है.

नहर के ऊपर ना तो जाली लगी हुई है, ना ही पास में सुरक्षा दीवार है जिसके चलते लगातार हादसे हो रहे हैं. नहर के किनारे नर्मदा विभाग ने सड़क का निर्माण करवाया है. जिस पर आवागमन करने वाले लोग चलते रहते हैं. कई बार वाहन सहित इंसान नहर में गिर जाता है. 4 दिन पहले सिवाड़ा के पास धनेरिया गांव में से गुजर रही नर्मदा नहर की मुख्य केनाल को क्रॉस करवाने के लिए बनाई गई सड़क को पार करते समय संतुलन खोकर एक बाइक सवार नहर में गिर गया था. जिससे उसकी मौत हो गई. प्रशासन की ओर से नहर पर सुरक्षा के लिए नहर पर जाली लगाई गई होती तो शायद ग्राम सेवक रामखिलावन की मौत नहीं होती.

इंदिरा गांधी नहर की तरह पैक करने की मांग
नर्मदा नहर की छत पूरी खुली है जिसके कारण लगातार हादसे होते रहते है. जिसके कारण लोगों ने अब इंदिरा गांधी नहर की तर्ज पर जाली लगाकर पैक करने की मांग की जा रही है लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इंदिरा गांधी नहर की तरह इस नहर पर भी सुरक्षा को लेकर कड़े इंतजाम किए जाते हैं तो हादसे से होना रुक सकते हैं.

नर्मदा विभाग के पास नहीं है किसी प्रकार का संसाधन
नर्मदा नहर विभाग के पास करोड़ो का बजट आता है लेकिन नहर में गिरने से लोगों को बचाने के लिए एक पैसा भी खर्च नहीं किया गया है. इनके अलावा विभाग के पास किसी प्रकार का संसाधन तक नहीं है जिसके माध्यम से अगर कोई नहर में गिर जाता है तो उसकी सहायता से बचाया जा सके. वहीं कई बार ऐसा हुआ कि संसाधनों के अभाव में नहर में गिरने के बाद लाश को खोजने में 3 से 7 दिन तक का वक़्त लग गया था.

नर्मदा नहर पर नहीं हैं सुरक्षा के इंतजाम

नहर के दोनों तरफ डामरीकरण सड़क, लेकिन सुरक्षा के इंतजाम नहीं
नर्मदा नहर के दोनों तरफ नर्मदा विभाग की ओर से करोड़ों रुपये खर्च करके सड़क का निर्माण करवाया गया है. जिस पर आसपास के लोग चलते है लेकिन नहर और सड़क के बीच में सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने के कारण बाइक चालक या वाहन संतुलन बिगड़ने पर सीधे नहर में जा गिरते है, जिससे उनकी डूबने से मौत हो जाती है. नहर और सड़क के बीच सुरक्षा दीवार नहर की छत पर जाली लगती है तो हादसे होने से रुक सकते है.

जालोर. नर्मदा नहर में गिरकर मरने के आंकड़ों में तेजी से इजाफा हो रहा है लेकिन इन हादसों को रोकने के लिए कोई भी गंभीर नहीं है. ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि नर्मदा नहर में गिरने से हो रही मौतों का सिलसिला कब थमेगा. जानकारी के अनुसार 2008 में नर्मदा नहर में गुजरात से राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने उद्घाटन करके पानी छोड़ा था. जिसके बाद लगातार नहर में गिरने से लोगों की मौत हो रही है लेकिन प्रशासन रोकथाम को लेकर कोई कदम नहीं उठा रहा है.

नहर के ऊपर ना तो जाली लगी हुई है, ना ही पास में सुरक्षा दीवार है जिसके चलते लगातार हादसे हो रहे हैं. नहर के किनारे नर्मदा विभाग ने सड़क का निर्माण करवाया है. जिस पर आवागमन करने वाले लोग चलते रहते हैं. कई बार वाहन सहित इंसान नहर में गिर जाता है. 4 दिन पहले सिवाड़ा के पास धनेरिया गांव में से गुजर रही नर्मदा नहर की मुख्य केनाल को क्रॉस करवाने के लिए बनाई गई सड़क को पार करते समय संतुलन खोकर एक बाइक सवार नहर में गिर गया था. जिससे उसकी मौत हो गई. प्रशासन की ओर से नहर पर सुरक्षा के लिए नहर पर जाली लगाई गई होती तो शायद ग्राम सेवक रामखिलावन की मौत नहीं होती.

इंदिरा गांधी नहर की तरह पैक करने की मांग
नर्मदा नहर की छत पूरी खुली है जिसके कारण लगातार हादसे होते रहते है. जिसके कारण लोगों ने अब इंदिरा गांधी नहर की तर्ज पर जाली लगाकर पैक करने की मांग की जा रही है लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इंदिरा गांधी नहर की तरह इस नहर पर भी सुरक्षा को लेकर कड़े इंतजाम किए जाते हैं तो हादसे से होना रुक सकते हैं.

नर्मदा विभाग के पास नहीं है किसी प्रकार का संसाधन
नर्मदा नहर विभाग के पास करोड़ो का बजट आता है लेकिन नहर में गिरने से लोगों को बचाने के लिए एक पैसा भी खर्च नहीं किया गया है. इनके अलावा विभाग के पास किसी प्रकार का संसाधन तक नहीं है जिसके माध्यम से अगर कोई नहर में गिर जाता है तो उसकी सहायता से बचाया जा सके. वहीं कई बार ऐसा हुआ कि संसाधनों के अभाव में नहर में गिरने के बाद लाश को खोजने में 3 से 7 दिन तक का वक़्त लग गया था.

नर्मदा नहर पर नहीं हैं सुरक्षा के इंतजाम

नहर के दोनों तरफ डामरीकरण सड़क, लेकिन सुरक्षा के इंतजाम नहीं
नर्मदा नहर के दोनों तरफ नर्मदा विभाग की ओर से करोड़ों रुपये खर्च करके सड़क का निर्माण करवाया गया है. जिस पर आसपास के लोग चलते है लेकिन नहर और सड़क के बीच में सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने के कारण बाइक चालक या वाहन संतुलन बिगड़ने पर सीधे नहर में जा गिरते है, जिससे उनकी डूबने से मौत हो जाती है. नहर और सड़क के बीच सुरक्षा दीवार नहर की छत पर जाली लगती है तो हादसे होने से रुक सकते है.

Intro:नर्मदा नहर में सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने के कारण हो रहे है हादसे
- 10 सालों में 200 से ज्यादा लोगों की हो चुकी है मौते
- सुरक्षा के उपकरण की लम्बे समय से की जा रही है मांग, उच्च अधिकारी कर रहे है नजर अंदाज
जालोर
जालोर के सांचोर व चितलवाना की जीवनदायिनी कहीं जाने वाली नर्मदा नहर सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने के कारण हादसे हो रहे है। जिसमें सेंकडों लोगों की जान चली गई है, लेकिन संबंधित विभाग के उच्च अधिकारी कोई ध्यान नहीं दे रहे है। नहर में गिरकर मरने के आंकड़ों में तेजी से इजाफा हो रहा है, लेकिन इन हादसों को रोकने के लिए कोई भी गंभीर नहीं है। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि नर्मदा नहर में गिरने से हो रही मौतों का सिलसिला कब थमेगा। जानकारी के अनुसार 2008 में नर्मदा नहर में गुजरात से राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने उद्घाटन करके पानी छोड़ा था। जिसके बाद लगातार नहर में गिरने से लोगों की मौत हो रही है, लेकिन प्रशासन रोकथाम को लेकर कोई कदम नहीं उठा रहा है। नहर के ऊपर ना तो जाली लगी हुई है, ना ही पास में सुरक्षा दीवार है जिसके चलते लगातार हादसे हो रहे हैं नहर के किनारे नर्मदा विभाग ने सड़क का निर्माण करवाया है जिस पर आवागमन करने वाले लोग चलते रहते हैं कई बार वाहन सहित इंसान नहर में गिर जाता है। 4 दिन पहले सिवाड़ा के पास धनेरिया गांव में से गुजर रही नर्मदा नहर की मुख्य केनाल को क्रॉस करवाने के लिए बनाई गई सड़क को पार करते समय संतुलन खोकर एक बाइक सवार नहर में गिर गया था। जिससे उसकी मौत हो गई। प्रशासन की ओर से नहर पर सुरक्षा के लिए नहर पर जाली लगाई गई होती तो शायद ग्राम सेवक रामखिलावन की मौत नहीं होती।
इंदिरा गांधी नहर की तरह पैक करने की मांग
नर्मदा नहर की छत पूरी खुली है जिसके कारण लगातार हादसे होते रहते है जिसके कारण लोगों ने अब इंदिरा गांधी नहर की तर्ज पर जाली लगाकर पैक करने की मांग की जा रही है लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इंदिरा गांधी नहर की तरह इस नहर पर भी सुरक्षा को लेकर कड़े इंतजाम किए जाते हैं तो हादसे से होना रुक सकते हैं।
नर्मदा विभाग के पास नहीं है किसी प्रकार का संसाधन
नर्मदा नहर विभाग के पास करोड़ो का बजट आता है लेकिन नहर में गिरने से लोगों को बचाने के लिए एक पैसा भी खर्च नहीं किया गया है। इनके अलावा विभाग के पास किसी प्रकार का संसाधन तक नहीं है जिसके माध्यम से अगर कोई नहर में गिर जाता है तो उसकी सहायता से बचाया जा सके। वहीं कई बार ऐसा हुआ कि संसाधनों के अभाव में नहर में गिरने के बाद लाश को खोजने में 3 से 7 दिन तक का वक़्त लग गया था।
नहर के दोनों तरफ डामरीकरण सड़क, लेकिन सुरक्षा के इंतजाम नहीं
नर्मदा नहर के दोनों तरफ नर्मदा विभाग की ओर से करोड़ों रुपये खर्च करके सड़क का निर्माण करवाया गया है, जिस पर आसपास के लोग चलते है, लेकिन नहर व सड़क के बीच में सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने के कारण बाइक चालक या वाहन संतुलन बिगड़ने पर सीधे नहर में जा गिरते है, जिससे उनकी डूबने से मौत हो जाती है। नहर व सड़क के बीच सुरक्षा दीवार नहर की छत पर जाली लगती है तो हादसे होने से रुक सकते है।


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