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बिरला से छूटे मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाउंगा...मुझे विश्वास है कि जनता मुझे जीता देगी- मीणा

कांग्रेस ने कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से एक बार फिर रामनारायण मीणा को मौका दिया है. रामनारायण मीणा वर्तमान में कोटा के पीपल्दा सीट से विधायक हैं. इससे पहले भी वे बूंदी जिले से चार बार विधायक रह चुके हैं और एक बार कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं. आइए जानते हैं कि किन मुद्दों को लेकर वो ओम बिरला को चुनौती देंगे.

बिरला से छूटे मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाउंगा-मीणा
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Published : Mar 29, 2019, 7:54 PM IST

जानकारी के अनुसार रामनारायण मीणा ने 1998 में भाजपा के दिग्गज नेता रहे रघुवीर सिंह कौशल को लगभग 17 हजार वोटों से हराया था. अगले साल हुए लोकसभा चुनावों में कौशल ने मीणा को लगभग 24 हजार वोटों से हराया था. इससे पहले मीणा को 1996 के लोकसभा चुनावों में भी दाऊ दयाल जोशी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.

जानकारी के अनुसार 1998 के चुनावों में रामनारायण मीणा ने बीजेपी के प्रत्याशी रघुवीर सिंह कौशल को 17 हजार से हराया था. लेकिन उस समय अटल जी की सरकार गिरी तो मीणा केवल 13 महीनों तक ही सांसद रह पाए थे. दरअसल 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार 13 महीने तक चल पाई थी.एक वोट से सरकार गिरने के बाद राजस्थान समेत पूरे देश में वाजपेयी के पक्ष में की लहर थी. 1999 में एक साल बाद हुए आम चुनावों में दोनों दलों द्वारा दोबारा वहीं प्रत्याशी मैदान में थे लेकिन इस बार रामनारायण मीणा की जगह रघुवीर सिंह कौशल ने चुनाव जीता.

रामनारायण मीणा पहली बार नहीं उन्होंने सांसद का चुनाव लड़ने का अनुभव रहा है. अब उनका मुकाबला भाजपा के ओम बिरला से होगा. बिरला 3 बार विधायक रह चुके हैं और अभी इसी सीट से सांसद हैं. उन्होंने पिछला चुनाव लगभग 2 लाख वोटों से जीता था. राम नारायण मीणा को टिकट देने के पीछे लोकसभा क्षेत्र के 19.24 लाख मतदाताओं में से 2.56 लाख मीणा व 4.24 लाख एससी वोट एक बड़ा कारण है. वहीं रामनारायण मीणा ही देखा जाये तो ओम बिरला के सामने टक्कर देने वाले नेता थे और पार्टी ने उन्हीं पर भरोसा जताया है और कोटा बूंदी सीट पर काटें की टक्कर मानी जा रही है.

सांसद ओम बिरला की बात की जाये तो ओम बिरला के सामने कई चुनौतिया हैं. जिस मुद्दों को लेकर बिरला ने चुनाव मैदान में उतरे थे वह मुद्दे कही ना कही बिरला को भारी पड़ सकते हैं. चाहे वह कोटा एयरपोर्ट का मुद्दा हो, चालू उद्योग बंद हुए, कोटा शिक्षा में ट्रिपल आईटी शुरू नहीं हो पाई, बूंदी जिले के कई गांवों को फ्लोराइड मुक्त पानी की बात हो, बूंदी को कई ट्रेनों के जुड़ाव की बात हो, कई ऐसे मुद्दे है जहां जनता के मन में बिरला काम नहीं करवा पाए.

बिरला से छूटे मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाउंगा- मीणा

एयरपोर्ट की बात की जाये तो एयरपोर्ट को सुविधा उक्त एवं उसकी कनेक्टिविटी मुदा था लेकिन वह पूरा नहीं होने पर बीजेपी के बड़े बड़े नेताओं में ओम बिरला के खिलाफ आवाज उठाई थी. तो यह चुनौतियां बिरला के वोट बैंक में सेंधमारी कर सकती है. वहीं कोटा के पूर्व विधायक भवानी सिंह ,पूर्व विधायक प्रह्लाद गुंजल ,पूर्व विधायक विद्याशंकर नंदवाना सहित कई दिग्गजों ने प्रदेश नेतृत्वो को बिरला के खिलाफ ज्ञापन दिया है और संगीन आरोप लगाए है ऐसे में पार्टी के यह नाराज नेता बिरला पर भारी पड़ सकते हुई.

वही बिरला से छूटे मुद्दों को कांग्रेस के प्रत्याशी रामनारायण मीणा ने भुना लिया है. वह चुनावी मुद्दा बनाकर जनता के बीच जाने की बात कह रहे है. उनका कहना है की कोटा से एयरपोर्ट झालावाड़ भेजा गया मेरा कहना है की झालावाड़ में दो एरयपोर्ट बना दो लेकिन कोटा में एयरपोर्ट क्यों नहीं बना क्योंकि वहां के नेताओं को पूंजी से मतलब था विकास वह जानते नहीं थे. चाहे हाड़ौती में नहरी पानी का मामला हो ट्रेनों का जुड़ाव हो ,शिक्षा की बात हो ,नए उद्योग आने थे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ लेकिन मेरे यही चुनावी मुद्दे रहने वाले हैं. मैं जनता के बीच जाऊंगा तो इन्हीं के बारे में बात करूंगा और मुझे विश्वास है कि जनता मुझे जीता देगी.

जानकारी के अनुसार रामनारायण मीणा ने 1998 में भाजपा के दिग्गज नेता रहे रघुवीर सिंह कौशल को लगभग 17 हजार वोटों से हराया था. अगले साल हुए लोकसभा चुनावों में कौशल ने मीणा को लगभग 24 हजार वोटों से हराया था. इससे पहले मीणा को 1996 के लोकसभा चुनावों में भी दाऊ दयाल जोशी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.

जानकारी के अनुसार 1998 के चुनावों में रामनारायण मीणा ने बीजेपी के प्रत्याशी रघुवीर सिंह कौशल को 17 हजार से हराया था. लेकिन उस समय अटल जी की सरकार गिरी तो मीणा केवल 13 महीनों तक ही सांसद रह पाए थे. दरअसल 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार 13 महीने तक चल पाई थी.एक वोट से सरकार गिरने के बाद राजस्थान समेत पूरे देश में वाजपेयी के पक्ष में की लहर थी. 1999 में एक साल बाद हुए आम चुनावों में दोनों दलों द्वारा दोबारा वहीं प्रत्याशी मैदान में थे लेकिन इस बार रामनारायण मीणा की जगह रघुवीर सिंह कौशल ने चुनाव जीता.

रामनारायण मीणा पहली बार नहीं उन्होंने सांसद का चुनाव लड़ने का अनुभव रहा है. अब उनका मुकाबला भाजपा के ओम बिरला से होगा. बिरला 3 बार विधायक रह चुके हैं और अभी इसी सीट से सांसद हैं. उन्होंने पिछला चुनाव लगभग 2 लाख वोटों से जीता था. राम नारायण मीणा को टिकट देने के पीछे लोकसभा क्षेत्र के 19.24 लाख मतदाताओं में से 2.56 लाख मीणा व 4.24 लाख एससी वोट एक बड़ा कारण है. वहीं रामनारायण मीणा ही देखा जाये तो ओम बिरला के सामने टक्कर देने वाले नेता थे और पार्टी ने उन्हीं पर भरोसा जताया है और कोटा बूंदी सीट पर काटें की टक्कर मानी जा रही है.

सांसद ओम बिरला की बात की जाये तो ओम बिरला के सामने कई चुनौतिया हैं. जिस मुद्दों को लेकर बिरला ने चुनाव मैदान में उतरे थे वह मुद्दे कही ना कही बिरला को भारी पड़ सकते हैं. चाहे वह कोटा एयरपोर्ट का मुद्दा हो, चालू उद्योग बंद हुए, कोटा शिक्षा में ट्रिपल आईटी शुरू नहीं हो पाई, बूंदी जिले के कई गांवों को फ्लोराइड मुक्त पानी की बात हो, बूंदी को कई ट्रेनों के जुड़ाव की बात हो, कई ऐसे मुद्दे है जहां जनता के मन में बिरला काम नहीं करवा पाए.

बिरला से छूटे मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाउंगा- मीणा

एयरपोर्ट की बात की जाये तो एयरपोर्ट को सुविधा उक्त एवं उसकी कनेक्टिविटी मुदा था लेकिन वह पूरा नहीं होने पर बीजेपी के बड़े बड़े नेताओं में ओम बिरला के खिलाफ आवाज उठाई थी. तो यह चुनौतियां बिरला के वोट बैंक में सेंधमारी कर सकती है. वहीं कोटा के पूर्व विधायक भवानी सिंह ,पूर्व विधायक प्रह्लाद गुंजल ,पूर्व विधायक विद्याशंकर नंदवाना सहित कई दिग्गजों ने प्रदेश नेतृत्वो को बिरला के खिलाफ ज्ञापन दिया है और संगीन आरोप लगाए है ऐसे में पार्टी के यह नाराज नेता बिरला पर भारी पड़ सकते हुई.

वही बिरला से छूटे मुद्दों को कांग्रेस के प्रत्याशी रामनारायण मीणा ने भुना लिया है. वह चुनावी मुद्दा बनाकर जनता के बीच जाने की बात कह रहे है. उनका कहना है की कोटा से एयरपोर्ट झालावाड़ भेजा गया मेरा कहना है की झालावाड़ में दो एरयपोर्ट बना दो लेकिन कोटा में एयरपोर्ट क्यों नहीं बना क्योंकि वहां के नेताओं को पूंजी से मतलब था विकास वह जानते नहीं थे. चाहे हाड़ौती में नहरी पानी का मामला हो ट्रेनों का जुड़ाव हो ,शिक्षा की बात हो ,नए उद्योग आने थे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ लेकिन मेरे यही चुनावी मुद्दे रहने वाले हैं. मैं जनता के बीच जाऊंगा तो इन्हीं के बारे में बात करूंगा और मुझे विश्वास है कि जनता मुझे जीता देगी.

Intro:कांग्रेस ने कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से एक बार फिर रामनारायण मीणा को मौका दिया है। रामनारायण मीणा वर्तमान में कोटा के पीपल्दा सीट से विधायक हैं। इससे पहले भी वे बूंदी जिले से चार बार विधायक रह चुके हैं। और एक बार कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। जानकारी के अनुसार रामनारायण मीणा ने 1998 में भाजपा के दिग्गज नेता रहे रघुवीर सिंह कौशल को लगभग 17 हजार वोटों से हराया था। अगले साल हुए लोकसभा चुनावों में कौशल ने मीणा को लगभग 24 हजार वोटों से हराया था। इससे पहले मीणा को 1996 के लोकसभा चुनावों में भी दाऊ दयाल जोशी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।

जानकारी के अनुसार सन 1998 के चुनावों में रामनारायण मीणा ने बीजेपी के प्रत्याशी रघुवीर सिंह कौशल को 17 हजार से हराया था । लेकिन उस समय अटल जी सरकार गिरी तो मीणा केवल 13 महीनों तक ही सांसद रह पाए थे। दरअसल 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार 13 महीने तक चल पाई थी। एक वोट से सरकार गिरने के बाद राजस्थान समेत पूरे देश में वाजपेयी के पक्ष में की लहर थी। 1999 में एक साल बाद हुए आम चुनावों में दोनों दलों द्वारा दोबारा वहीं प्रत्याशी मैदान में थे लेकिन इस बार रामनारायण मीणा की जगह रघुवीर सिंह कौशल ने चुनाव जीता।


Body:रामनारायण मीणा पहली बार नहीं उन्होंने सांसद का चुनाव लड़ने का अनुभव् रहा है अब इस उनका मुकाबला भाजपा के ओम बिरला से होगा। बिरला 3 बार विधायक रह चुके हैं और अभी इसी सीट से सांसद हैं। उन्होंने पिछला चुनाव लगभग 2 लाख वोटों से जीता था। राम नारायण मीणा को टिकट देने के पीछे लोकसभा क्षेत्र के 19.24 लाख मतदाताओं में से 2.56 लाख मीणा व 4.24 लाख एससी वोट एक बड़ा कारण है। वही रामनारायण मीणा ही देखा जाये तो ओम बिरला के सामने टक्कर देने वाले नेता थे और पार्टी ने उन्ही पर भरोसा जताया है और कोटा बूंदी सीट पर काटें की टक्कर मानी जा रही है। 


सांसद ओम बिरला की बात की जाये तो ओम बिरला के सामने कई चुनोतिया हैं जिस मुद्दों को लेकर बिरला ने चुनाव मैदान में उतरे थे वह मुद्दे कही ना कही बिरला को भारी पड़ सकते है। चाहे वह कोटा एयरपोर्ट का मुद्दा हो ,चालू उद्योग बंद हुए ,कोटा शिक्षा में ट्रिपल आईटी शुरू नहीं हो पाई , बूंदी जिले के कई गावों को फ्लोराइट मुक्त पानी की बात हो ,बूंदी को कई ट्रेनों के जुडाव की बात हो कही ऐसे मुद्दे है जहां जनता के मन में बिरला काम नहीं करवा पाए। एयरपोर्ट की बात की जाये तो एयरपोर्ट को सुविधा उक्त एवं उसकी कनेक्टिविटी मुदा था लेकिन वह पूरा नहीं होने पर बीजेपी के बड़े बड़े नेताओं में ओम बिरला के खिलाफ आवाज उठाई थी। तो यह चुनोतिया बिरला के वोट बैंक में सेंधमारी कर सकती है। वही कोटा के पूर्व विधायक भवानी सिंह ,पूर्व विधायक प्रह्लाद गुंजल ,पूर्व विधायक विद्याशंकर नंदवाना सहित कई दिग्गजों ने प्रदेश नेतृत्वो को बिरला के खिलाफ ज्ञापन दिया है और संगीन आरोप लगाए है ऐसे में पार्टी के यह नाराज नेता बिरला पर भारी पड़ सकते हुई 



Conclusion:वही बिरला से छूटे मुद्दों को कांग्रेस के प्रत्याशी रामनारायण मीणा ने भुना लिया है वह चुनावी मुद्दा बनाकर जनता के बीच जाने की बात कह रहे है उनका कहना है की कोटा से एयरपोर्ट झालावाड़ भेजा गया मेरा कहना है की झालावाड़ में दो एरयपोर्ट बना दो लेकिन कोटा में एयरपोर्ट क्यों नहीं बना क्योंकि वहां के नेताओं को पूंजी से मतलब था विकास वह जानते नहीं थे। चाहे हाड़ोती में नहरी पानी का मामला हो ट्रेनों का जुड़ाव हो ,शिक्षा की बात हो ,नए उद्योग आने थे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ लेकिन मेरे यही चुनावी मुद्दे रहने वाले है में जनता के बीच जाऊंगा तो इन्ही के बारे में बात करूँगा और मुझे विश्वास है की जनता मुझे जीता देगी। 

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