कोटा. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत नन्हे मुन्ने बच्चों को उपचारित कर बच्चों और इनके माता-पिता को खुशी प्रदान कर रहा है. जी हां, यह एक ऐसा कार्यक्रम है जो नवम्बर, 2014 से लगातार जारी है. इसी कार्यक्रम के तहत मंगलवार को 3 बच्चों के दिल के छेद के निःशुल्क ऑपेरशन किये गए.
इनके हुए ऑपरेशन
- जिगर पुत्र महेंद्र प्रजापति, उम्र 3.6 साल, निवासी- आरके पुरम, व्यवसाय- ऑटो चालक
- कृष्णा पुत्र धर्मेंद्र, उम्र 21 माह, निवासी- प्रेम नगर, व्यवसाय- मजदूरी
- माही पुत्र सतीश, उम्र- 11 माह, निवासी प्रेम नगर, व्यवसाय- बेरोजगार
का सुधा अस्पताल कोटा में ऑपेरशन किये गए. कोटा में पिछले साल 55 दिल में छेद और15 कॉक्लियर इम्प्लांट के ऑपेरशन कर कुल 135 निःशुल्क सर्जरी की गई थी. इस वित्तीय वर्ष में अब तक 14 दिल में छेद और 2 कॉक्लियर इम्प्लांट के निःशुल्क ऑपरेशन कर जिला कोटा प्रदेश में प्रथम चल रहा है.
इस दौरान बच्चों की कुशलक्षेम पूछने पहुंचे जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एम के त्रिपाठी ने RBSK यूनिट को बेहतर काम करने के लिए शुभकामनाएं दी. साथ ही बताया कि जिले में मोबाइल हेल्थ टीम सरकारी स्कूलों, मदरसों और आंगनबाड़ी में माइक्रो प्लान अनुसार बच्चों के स्वास्थ्य की स्क्रीनिंग करती है और 38 तरह की विभिन्न बीमारियों से ग्रसित बच्चों को चिन्हित उच्च संस्थान पर रैफर करती है. इसके बाद जिला स्तर पर आरसीएचओ ऑफिस व DEIC स्टाफ द्वारा जल्द जांच व उपचार कराया जाता है. इस दौरान कुछ बच्चे मेडिसिन के उपचार से स्वस्थ हो जाते है और कुछ बच्चों में जटिल बीमारियां होने के कारण ऑपरेशन के लिए उच्च संस्थान पर भेज कर उनका ऑपरेशन करवाया जाता है.
डॉ त्रिपाठी ने बताया कि गत वर्ष 2017-18 में 1,56,803 और 2018-19 में 1,83,746 बच्चों की स्क्रीनिंग कर करीब 25,095 बच्चों को उपचारित करवाया गया. जिसमें अब तक 128 दिल में छेद,17 कॉक्लियर इम्प्लांट सहित 314 सर्जरी की जा चुकी है. डॉ त्रिपाठी ने बताया कि एक मोबाइल हेल्थ टीम में एक पुरुष और एक महिला आयुष चिकित्सक के साथ एक फार्मासिस्ट होता है. इस प्रकार जिले में करीब 37 आरबीऐसके कर्मचारी माइक्रोप्लान अनुसार 12 मोबाइल हेल्थ टीमें स्वास्थ्य परीक्षण करती है.
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता प्रकोष्ठ प्रदेशाध्यक्ष, पीसीसी सदस्य क्रांति तिवारी ने बताया कि जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एमके त्रिपाठी के विशेष मार्गदर्शन और त्वरित निर्णय,DEIC स्टाफ के शीघ्र जांच -उपचार और सभी आरबीऐसके मोबाइल हेल्थ टीमों के टीम भावना, लगातार फॉलोअप और बेहतर स्क्रीनिंग से यह सफलता जिला कोटा को मिल पाई है.