बूंदी. कहते हैं कि मन में अगर कुछ करने का जज्बा हो तो सब कुछ हासिल किया जा सकता है. ऐसा ही बूंदी के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गरड़दा में कार्यरत प्रिंसिपल मुरलीधर शर्मा ने किया है. प्रिंसिपल ने अपने निजी पूंजी से स्कूल की बदहाल हालत को सुधारते हुए एक नया विद्यालय खड़ा कर दिया.
हुआ यूं कि कोविड-19 में अपनी ड्यूटी के दौरान मिले खाली समय में घर नहीं जाकर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गरड़दा के प्रिंसिपल ने अपने स्कूल की सूरत बदलने का काम शुरू किया. इस स्कूल में कोविड-19 कंट्रोल रूम बनाया गया है. 28 मार्च को प्रिंसिपल मुरलीधर शर्मा की ड्यूटी कंट्रोल रूम में लगी.
अधिकारियों के चैलेंज को स्वीकार कर बदल दी स्कूल की तस्वीर
इस दौरान उच्च अधिकारी इस कंट्रोल रूम का दौरा करने के लिए पहुंचते और स्कूल की हालत देख कर कमेंट भी करते, जिस पर प्रिंसिपल मुरलीधर शर्मा ने अधिकारियों को चैलेंज करते हुए कहा कि आप अगले बार दौरा करने के लिए आएंगे, तो आपको यह बदहाल स्कूल नए रूप में मिलेगा.
पढ़ें- जोधपुर का दीपक अब दीपिका मारवाड़ी बनकर खुश है...
प्रिंसिपल ने पेश की अनूठी मिसाल
फिर क्या था उस दिन से ही प्रिंसिपल शर्मा ने ठान लिया और स्कूल को संवारने में जुट गए. हाथों में कूंची उठाई और रंग रोगन करने में जुट गए. स्कूल बंद था और कंट्रोल रूम में कोरोना का नियंत्रण करने में प्रिंसिपल की ड्यूटी लगाई गई थी. प्रिंसिपल अपनी ड्यूटी के बाद स्कूल में रंग रोगन करना शुरू कर देते. जिसका जल्द ही असर भी दिखने लगा. बदहाल हुआ स्कूल धीरे-धीरे अच्छा लगने लगा. जल्द ही प्रिंसिपल की मेहनत सफल हुई और देखते ही देखते स्कूल ने नया रूप ले लिया. शिक्षक ने अपने ड्यूटी के दौरान स्कूल की हालात को सुधार कर एक अनूठी मिसाल पेश की है.
पिछले 4 साल से बदहाल था गरड़दा का सीनियर सेकेंडरी स्कूल
प्रिंसिपल मुरलीधर ने ईटीवी से बातचीत में बताया कि स्कूल भवन की रंगाई-पुताई 4-5 साल से नहीं हुई थी. परिसर में भी गंदगी फैली हुई थी. शर्मा की ड्यूटी लॉकडाउन के दौरान गांव में बाहर से आने वाले लोगों पर नजर रखना, जांच करना, होम आइसोलेट करना, सर्वे करना और रिपोर्ट भेजने जैसे काम के साथ ही रात में घरों से निकलने वाले लोगों पर नजर रखनी भी थी. 24 घंटे ड्यूटी के कारण यह अपने घर भी नहीं जा पाए.
पढ़ें- विशेष: नागौर के इस गांव में 550 सालों से चली आ रही है पर्यावरण संरक्षण की परंपरा
खुद के पैसों से स्कूल को दिया स्कूल को नया रूप
मुरलीधर ने बताया कि ऐसे में वे खुद के पैसों से रंग के सामान ले आए और रंग रोगन करना शुरू कर दिया. इस दौरान उन्होंने स्कूल में 50 पौधे भी लगा दिए. स्कूल में करीब 350 छात्र हैं और 18 कमरे हैं. लॉकडाउन के दौरान स्कूल की बिल्डिंग पर पेंटिंग और कमरों की पुताई भी पूरी हो गई है और स्कूल के हर कमरे के अंदर छात्रों को जागरूक करने वाले स्लोगन प्रिंसिपल की ओर से लिख दिए गए हैं.
प्रिंसिपल का कहना है कि जुलाई में जब भी सत्र शुरू होगा तो छात्रों को स्कूल का भवन अच्छा लगेगा. उनका कहना है कि स्कूल के भवन के साथ आदिवासी इलाका है, उसमें स्कूल के नामांकन का शत-प्रतिशत भी बढ़ेगा.
प्रिंसिपल की कर रहे सराहना
वहीं, प्रिंसिपल की ग्रामीणों से लेकर छात्र और अध्यापक भी तारीफ करने से नहीं चूक रहे हैं. उनका कहना है कि स्कूल के प्रिंसिपल मुरलीधर शर्मा ने बहुत ही अच्छा कार्य किया है जो किसी ने नहीं सोचा था वह करके दिखाया है. यही नहीं शिक्षा विभाग के अधिकारी भी प्रिंसिपल की इस पहल की तारीफ कर रहे हैं.