बूंदी. जिले में लगातार बारिश से खरीफ की फसलों में पानी जमा हो गया. जिससे फसलें गलने लगी है. जिलेभर में नदी, नाले उफान पर हैं. ऐसे में ये पानी किसानों पर भी आफत बनकर आया. जिसने खेतों को जलमग्न कर दिया. जिससे उड़द, मक्का, तिल्ली और सोयाबीन की फसल पानी-पानी हो गई. इस कारण हजारों बीघा फसले किसानों की बर्बाद हो गई. वहीं फसल खराबे से पीड़ित किसानों ने ईटीवी भारत के जरिए अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाई है.
इन क्षेत्रों में फसलों को हुआ ज्यादा नुकसान
जिले में पिछले कई दिनों से ग्रामीण क्षेत्र खटकड़, स्थूर, सिलोर, नमाना, बड़ा नया गांव, अलोद, चेता, हनोतिया, अजेता, रायथल, हिंडौली गांव सहित जिले का आधा हिस्सा भारी वर्षा के कारण किसानों की सभी फसल जलमग्न हो गई. बारिश के कारण जान माल का नुकसान होने के साथ-साथ ग्रामीणों को सबसे ज्यादा तिल्ली,मक्का, उड़द की फसल नष्ट हो गई. खेत लाल एवं काले होने के चलते फसल खेत पर नजर नहीं आ रही है. इस बारिश में बर्बाद हुई फसलों से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है.
90 फीसदी फसल तैयार...और फिर पड़ी किसानों पर मार
खेतों में 90 फीसदी मक्का, तिल्ली, उड़द की फसल तैयार हो चुकी थी. लेकिन इस बारिश ने किसानों की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया और लाखों बीघा फसलें पानी में डूब गई. वहीं किसानों का कहना है कि हमने कड़ी मेहनत से इन फसलों को तैयार किया था और हमारी आंखों के सामने ही यह फसलें पानी में बर्बाद हो गई. जिससे उन्हें भारी नुकसान हुआ है. किसानों ने ये भी मांग की रखी है कि सरकार जल्द जो अति वर्षा हुई है, उसका सर्वे करवाए और हमें हमारी फसल का नुकसान दिलवाए.
केंद्र एवं राज्य सरकार से किसानों ने की राहत की मांग
यकीनन बूंदी जिले में इस भारी वर्षा के साथ आमजन और किसानों को भी नुकसान हुआ है. बारिश का दौर पिछले 3 दिनों से थम चुका है. लेकिन फिर भी कई जगह पर आज भी खेत जलमग्न है. गौरतलब है कि साल 2014 में भी इसी तरह प्राकृतिक आपदा आधे हिस्से में आई थी. जिसमें जिले के कई हिस्से तबाह हो गए थे और किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. उस समय तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी क्षेत्र का दौरा कर किसानों को राहत पहुंचाई थी. अब फिर किसानों ने केंद्र एवं राज्य सरकार से राहत की मांग की है.