बूंदी. नगर परिषद सभापति मधु नुवाल द्वारा शहर में इन दिनों आवारा नंदी को सड़कों से उठाने का अभियान चलाया हुआ है. लेकिन जिस तरीके से गौशाला एवं नगर परिषद के कर्मचारी आवारा नंदी को पकड़ने के लिए जिस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं. उससे पशु क्रूरता मानते हुए आहत होकर गौ भक्तों ने नगर परिषद सभापति व आयुक्त के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मामला दर्ज करवाने की मांग की है. विरोध करने पहुंचे तो गौ भक्तों के विरुद्ध नगर परिषद आयुक्त ने राजकार्य में बाधा का मुकदमा भी दर्ज करवाने के साथ ही मामला आमने-सामने का हो गया है.
मधु नुवाल इन दिनों एक्टिव मोड में नजर आ रही हैं. सभापति ने शहर की सड़कों पर घूमने वाले आवारा गोवंश से होने वाले नुकसान को देखते हुए गोवंश को नैनवा रोड स्थित बड़ा रामद्वारा गौशाला में शिफ्ट करने का बीड़ा उठा रखा है. इन गोवंशो को गौशालाओं में जिन में पहले से ही क्षमता से अधिक गोवंश भरे हुए हैं. उनमें छोड़ने की जगह इनके स्थाई समाधान की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा. बूंदी में वन विभाग के कार्यालय के सामने कायन हाउस के लिए भूमि आवंटित हो रखी है. जिस पर कायन हाउस या सरकारी गौशाला बनाई जाकर शहर के गोवंश को वहां शिफ्ट कर इस समस्या का स्थाई समाधान किया जा सकता है.
वहीं 2016 में तत्कालीन जिला ने अस्तौली के निकट 30 बीघा जमीन सरकारी गौशाला के लिए आवंटन का प्रस्ताव भी राजस्व विभाग भेजा जा चुका है. जिस पर भी नगर परिषद सभापति ध्यान दें तो 30 बीघा जमीन में बड़ी मात्रा में शहर के गोवंश को शिफ्ट किया जा सकता है. इन दोनों ही जमीनों के लिए गौ भक्त गोपाल माहेश्वरी एवं उनकी टीम ने लंबी जंग लड़ी है. जिसे भुलाया नहीं जा सकता. बहरहाल शहर से गोवंश को नैनवां रोड स्थित बड़ा रामद्वारा गौशाला में शिफ्ट करने का कार्य नगर परिषद द्वारा करवाया जा रहा है. लेकिन गत रात्रि रात को एक घायल नंदी को नगर परिषद के ठेकेदार जबरन वाहन में चढ़ा रहे थे जिसका कुछ गो भक्तों ने विरोध किया तो यह ठेकेदार व कुछ अन्य लोग गौ भक्तों से उलझ पड़े.
गो भक्तों का घायल नंदी को अन्यत्र कहीं नहीं ले जाने की बात कहना नगर परिषद के कार्मिकों एवं ठेकेदार को इतना नागवार गुजरा कि वह उन गो भक्तों से उलझ पड़े और हद तो तब हो गई जब बिना किसी स्वार्थ के बूंदी में घायल एवं बीमार गौवंश की सेवा करने वाले गौ भक्त गोपाल माहेश्वरी एवं गोपाल गो सेवा संस्थान से जुड़े कुछ लोगों के खिलाफ नगर परिषद आयुक्त द्वारा बूंदी कोतवाली में राजकार्य में बाधा का मुकदमा दर्ज करवा दिया गया.
बूंदी नगर परिषद द्वारा शहर से गोवंश के परिवहन के लिए चयनित ठेकेदार भी गो भक्तों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने तक काम नहीं करने पर अड़ गया। गोपाल गो सेवा संस्थान की ओर से भी जिला पुलिस अधीक्षक को रिपोर्ट सौंपकर नगर परिषद सभापति एवं आयुक्त तथा गोवंश को एक से दूसरे स्थान पर परिवहन करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ राजस्थान गोवंश अधिनियम 1995, मोटर वाहन अधिनियम एवं पशु क्रूरता अधिनियम 1960 की धारा 11 के तहत अपराध कारित करने पर मुकदमा दर्ज कर नियमानुसार कार्रवाई करने की मांग की है.
जगह 200 की एवं 500 गोवंश होने के बावजूद जबरन और गोवंश को छोड़ा जा रहा बड़ा रामद्वारा गौशाला
नगर परिषद द्वारा शहर से एकत्रित कर नैनवां रोड बड़ा रामद्वारा गौशाला में गोवंश को छोड़ा जा रहा है. यह बड़ा रामद्वारा गौशाला कुल 12 बीघा 8 बिस्वा जमीन में स्थित है. गौशालाओं के नियमानुसार राजस्थान भू राजस्व (गौशाला भूमि आवंटन नियम 1957) के नियम 7(1) के तहत 1 हेक्टेयर भूमि में 100 गोवंश को रखे जाने का नियम है तो इस गौशाला में करीब 2 हेक्टेयर बीघा जमीन है. यहां 200 गोवंश को ही रखा जा सकता है. जबकि करीब 500 गोवंश इस गौशाला में पूर्व में ही है. ऊपर से बूंदी नगर परिषद द्वारा शहर से गोवंश को एकत्रित कर इस गौशाला में छोड़ा जा रहा है जो नियमानुसार सही नहीं है.
सभापति मधु नुवाल का क्या कहना है
नगर परिषद सभापति मधु नुवाल की मानें तो शहर के सभी प्रमुख चौराहे, कॉलोनियों में इन वाहनों के माध्यम से आवारा सांड को रेस्क्यू किया जाएगा और गौशालाओं में छोड़ा जाएगा. ताकि लोगों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. आए दिन सांडों की लड़ाई में लोगों को अपनी जान से हाथ धोना तक पड़ता है. साथ में लोगों को जान माल की हानि भी होती है. लेकिन नगर परिषद का प्रयास यही है कि आप इन सड़कों पर बैठने वाले आवारा सांडों को जल्द उठाने का काम किया जाएगा ताकि जनता को राहत मिल सके.
इन सभी पकड़े गए सांडों को शहर की विभिन्न गौशालाओं में छुड़वाया जाएगा जिसकी संख्या नगर परिषद द्वारा तय कर ली गई है. उधर नगर परिषद सभापति मधु नुवाल ने लोगों को चेतावनी दी है कि जिनके भी आवारा सांड हो या मवेशी घूम रहे हैं. वह उन्हें अपनी देखरेख में रखें यदि वह बाहर घूमने गए तो उन्हें इसी तरह रेस्क्यू कर लिया जाएगा बाद में कोई आपत्ति होती है तो गौशाला से छुड़वाने के बदले उसका शुल्क जमा कराना होगा तब जाकर उन्हें उनका पशु मिल पाएगा.
फिलहाल इस मामले में कोतवाली थाना पुलिस द्वारा गो भक्तों के खिलाफ राजकार्य में बाधा दर्ज कर लिया है और गौ भक्तों ने भी नगर परिषद सभापति और आयुक्त के विरुद्ध गोवंश अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है. ऐसे में नगर परिषद के कर्मचारी व गौशाला की कर्मचारी तथा गौ भक्त अब आमने-सामने हो गए हैं जो भी हो लेकिन गौ भक्त का भी कहना सही है. शिफ्टिंग करने को लेकर सब के अलग-अलग नियम है तो क्यों ना नगर परिषद उन नियमों को मानकर आवारा नंदी को गौशाला में शिफ्ट करें और गौशाला की भूमि को आवंटित करें.