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बूंदीः छोटी काशी में छठ पूजा की धूम , महिलाओं ने रखा निर्जला व्रत - Chotikashi Bundi news

छोटीकाशी बूंदी में भी छठ महोत्सव की धूम देखने को मिली.जिले में कुछ परिवार हैं जो छठ माता की पूजा कर रहे हैं और इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है.ऐसे में  महिलाओं ने माता के लिए निर्जला व्रत रखा है. जो सुबह सूरज देवता को अर्घ्य देखकर खोला जाएगा.

छोटीकाशी बूंदी खबर,Bundi Chhath Puja
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Published : Nov 2, 2019, 11:53 PM IST

बूंदी. देश के अधिकांश हिस्सों में छठ पूजा की धूम है. हिंदू पंचांग के अनुसार आस्था का यह पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. मुख्य रूप से यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है. हिंदू धर्म में मान्यता है कि कोई भी शुभ कार्य और देवी - देवता की पूजा शुभ मुहूर्त में की जाती है. तभी जातक साधक को उसकी साधना का वास्तविक और शुभ फल प्राप्त होता है. इसलिए छठ पूजा का भी अलग ही महत्व है.

छोटी काशी में छठ पूजा की धूम

बूंदी के देवपुरा में भी छठ माता की पूजा की गई जहां पर विभिन्न परिवारों ने इस पूजा में भाग लिया.जहां पर माता की चौकी को पूजा गया. खासतौर पर इस पूजा में टेकुआ प्रसाद चढ़ाया गया. छठ पूजा के दिन शाम को अर्घ्य से पहले सभी लोग अपने घरों में ठेकुआ का प्रसाद पकवान तैयार करते हैं और माता के घाट पर उसे चढ़ाते हैं. फिर उसी समय से निर्जला व्रत शुरू हो जाता है, जो सुबह तक चलता है.

पढ़ेंः बूंदीः रबी की फसल के लिए नहरों में छोड़ा जा रहा पानी

सुमन ने बताया कि छठ मैया की पूजा करने का बड़ा महत्व है वैसे तो यह पूजा नदी और तालाबों के किनारे घाट पर होती है, लेकिन अगर घाट पर एक बार पूजा कर ली जाए तो हमेशा घाट पर ही पूजा करना होता है. वहीं घर में माता का घाट बनाया जाता है. जहां पर छठ मैया की पूजा कर सभी महिलाओं ने व्रत रखकर माता को खुश करने के प्रयास कर रही हैं.

बूंदी. देश के अधिकांश हिस्सों में छठ पूजा की धूम है. हिंदू पंचांग के अनुसार आस्था का यह पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. मुख्य रूप से यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है. हिंदू धर्म में मान्यता है कि कोई भी शुभ कार्य और देवी - देवता की पूजा शुभ मुहूर्त में की जाती है. तभी जातक साधक को उसकी साधना का वास्तविक और शुभ फल प्राप्त होता है. इसलिए छठ पूजा का भी अलग ही महत्व है.

छोटी काशी में छठ पूजा की धूम

बूंदी के देवपुरा में भी छठ माता की पूजा की गई जहां पर विभिन्न परिवारों ने इस पूजा में भाग लिया.जहां पर माता की चौकी को पूजा गया. खासतौर पर इस पूजा में टेकुआ प्रसाद चढ़ाया गया. छठ पूजा के दिन शाम को अर्घ्य से पहले सभी लोग अपने घरों में ठेकुआ का प्रसाद पकवान तैयार करते हैं और माता के घाट पर उसे चढ़ाते हैं. फिर उसी समय से निर्जला व्रत शुरू हो जाता है, जो सुबह तक चलता है.

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सुमन ने बताया कि छठ मैया की पूजा करने का बड़ा महत्व है वैसे तो यह पूजा नदी और तालाबों के किनारे घाट पर होती है, लेकिन अगर घाट पर एक बार पूजा कर ली जाए तो हमेशा घाट पर ही पूजा करना होता है. वहीं घर में माता का घाट बनाया जाता है. जहां पर छठ मैया की पूजा कर सभी महिलाओं ने व्रत रखकर माता को खुश करने के प्रयास कर रही हैं.

Intro:छोटीकाशी बूंदी में भी छठ महोत्सव की धूम है । यहां पर गिने-चुने परिवार छठ माता की पूजा कर रहे हैं और इस पूरे पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। यहां पर महिलाओं ने माता के लिए निर्जला व्रत रखा है जहां सुबह सूरज देवता को अर्ध्य देखकर व्रत को खोला जाएगा । ऐसा माना जाता है कि आज के दिन व्रत रखने से वह पूजा करने से जो भी मनोकामना माता से श्रद्धालु करता है उसकी मनोकामना माता पूर्ण करती है ।


Body:बूंदी । देश के अधिकांश हिस्सो में छठ पूजा की धूम है । हिंदू पंचांग के अनुसार आस्था का यह पर्व कार्तिक मास में शुल्क पक्ष की पष्टि तिथि को मनाया जाता है । इस पर्व को छठी माई, डाला छठ व अन्य नामों से भी जाना जाता है। मुख्य रूप से यह पर्व सूर्य देव छठी मैया को समर्पित है । हिंदू धर्म में मान्यता है कि कोई भी शुभ कार्य अथवा देवी देवता की पूजा शुभ मुहूर्त में ही की जाती है तभी जातक साधक को उसकी साधना का वास्तविक और शुभ फल प्राप्त होता है । इसलिए छठ पूजा का भी अलग ही महत्व है और शुभ मुहूर्त में ही छत माता की पूजा की जाती है । बूंदी के देवपुरा में भी छठ माता की पूजा की गई जहां पर विभिन्न परिवारों ने इस पूजा में भाग लिया। जहां पर माता को अर्पण किया गया और माता की चौकी को पूजा गया । खासतौर पर इस पूजा में टेकुआ प्रसाद चढ़ाया गया । छठ पूजा का सबसे प्रमुख प्रसाद ठेकुआ माना जाता है जिसमें चावल के आटे व मावे से तैयार करते हैं । शाम को अर्ध्य से पहले सभी लोग अपने घरों में ठेकुआ का प्रसाद पकवान तैयार करते हैं और माता के घाट पर उसे चढ़ाते हैं और उसी समय से निर्जला व्रत शुरू हो जाता है जो सुबह तक चलता है । छठ माता की पूजा में लोकगीत महिलाएं गाती है और बिहारी भाषा में गीतों को गाया जाता है जहां पर धूमधाम से माता की पूजा की जाती है।


Conclusion:निर्जला व्रत रख कर पूजा कर रही ल सुमन ने बताया कि आज के दिन छठ मैया की पूजा करने का बड़ा महत्व है वैसे तो यह पूजा नदी व तालाबों के किनारे घाट पर होती है लेकिन अगर घाट पर एक बार पूजा कर ली जाए तो हमेशा घाट पर ही पूजा करना होता है ऐसी परंपरा है। लेकिन घाट पर न जाए और घर पर ही इस पूजा को कर लिया जाए ऐसा काम हम कर रहे हैं और हमने हमारे घर में माता का घाट बनाया है जहां पर छठ मैया की पूजा की और सभी महिलाओं ने आज के दिन व्रत रखा है और माता को खुश करने के प्रयास किए जा रहे हैं माता सबकी मनोकामना पूर्ण करेंगी

हर साल की तरह इस बार भी बूंदी शहर में और उसके आसपास क्षेत्रों में छठ पर्व की धूम रही। सूर्य का महापर्व डाला छठ उत्सव धूमधाम से मनाया । अब 3 नवंबर को उगते सूरज को यह महिलाएं अर्ध देगी और अपना व्रत समाप्त करेगी ।

बाईट - सुमन , पूजा करने वाली महिला
बाईट- नीरज पांडे , युवक
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