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बीकानेर: राजस्थानी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग ने पकड़ा तूल

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Published : Feb 21, 2020, 4:54 PM IST

राजस्थानी भाषा को मान्यता देने और संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर अब आंदोलन तेज होता नजर आ रहा है. शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के मौके पर लोगों ने बीकानेर जिला कलेक्टर कार्यालय पर धरना दिया.

बीकानेर की खबर, Rajasthani language
जिला कलेक्ट्रेट के सामने धरना देते लोग

बीकानेर. राजस्थानी भाषा को मान्यता देने और संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर, राजस्थान मोट्यार परिषद के बैनर तले जिला कलेक्ट्रेट के सामने धरना दिया गया. जिसमें राजस्थानी भाषा के पैरोकार, इतिहास के लेखक, साहित्यकार और विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के लोग मौजूद रहे.

राजस्थानी भाषा को मान्यता देने को लेकर किया गया प्रदर्शन

इस दौरान राजनीतिक रूप से एक दूसरे के धुर-विरोधी कहे जाने वाले राजनेता भी मंच पर आंदोलन का समर्थन करते नजर आए. साथ ही ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला, पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी, नोखा से भाजपा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई और श्रीडूंगरगढ़ से माकपा विधायक गिरधारी महिया भी शामिल रहे. सभी ने एक स्वर में राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा देने और संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग दोहराई.

विधायक बिहारीलाल बिश्नोई ने कहा कि संविधान की 8वीं अनुसूची में राजस्थानी भाषा को शामिल करना जरूरी है. देश में 10 करोड़ से अधिक लोगों की बोलचाल की भाषा राजस्थानी है. राजस्थान देश का सबसे बड़ा प्रदेश है. इसके बावजूद भी राजस्थानी भाषा को आज तक मान्यता नहीं मिल पाई है. उन्होंने कहा कि राजस्थान की विधानसभा में वो इस बात को उठाते रहे हैं और आगे भी उठाएंगे. साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इसे राजस्थान में दूसरी राजभाषा का दर्जा देने की मांग की.

पढ़ें: बीकानेरः राजस्थानी भाषा को मान्यता देने की मांग ने पकड़ा जोर

वहीं ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि 17 साल पहले जब वे भाषा विभाग के मंत्री थे. तब, केंद्र सरकार को राजस्थानी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजा था. लेकिन ये प्रस्ताव अब तक अटका हुआ है. राजस्थान में राजस्थानी भाषा को दूसरी राजभाषा का दर्जा देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वे इस बारे में मुख्यमंत्री तक वार्ता करेंगे और इसे संविधान की अनुसूची में शामिल करने का संपूर्ण प्रयास करेंगे.

बीकानेर. राजस्थानी भाषा को मान्यता देने और संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर, राजस्थान मोट्यार परिषद के बैनर तले जिला कलेक्ट्रेट के सामने धरना दिया गया. जिसमें राजस्थानी भाषा के पैरोकार, इतिहास के लेखक, साहित्यकार और विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के लोग मौजूद रहे.

राजस्थानी भाषा को मान्यता देने को लेकर किया गया प्रदर्शन

इस दौरान राजनीतिक रूप से एक दूसरे के धुर-विरोधी कहे जाने वाले राजनेता भी मंच पर आंदोलन का समर्थन करते नजर आए. साथ ही ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला, पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी, नोखा से भाजपा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई और श्रीडूंगरगढ़ से माकपा विधायक गिरधारी महिया भी शामिल रहे. सभी ने एक स्वर में राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा देने और संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग दोहराई.

विधायक बिहारीलाल बिश्नोई ने कहा कि संविधान की 8वीं अनुसूची में राजस्थानी भाषा को शामिल करना जरूरी है. देश में 10 करोड़ से अधिक लोगों की बोलचाल की भाषा राजस्थानी है. राजस्थान देश का सबसे बड़ा प्रदेश है. इसके बावजूद भी राजस्थानी भाषा को आज तक मान्यता नहीं मिल पाई है. उन्होंने कहा कि राजस्थान की विधानसभा में वो इस बात को उठाते रहे हैं और आगे भी उठाएंगे. साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इसे राजस्थान में दूसरी राजभाषा का दर्जा देने की मांग की.

पढ़ें: बीकानेरः राजस्थानी भाषा को मान्यता देने की मांग ने पकड़ा जोर

वहीं ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि 17 साल पहले जब वे भाषा विभाग के मंत्री थे. तब, केंद्र सरकार को राजस्थानी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजा था. लेकिन ये प्रस्ताव अब तक अटका हुआ है. राजस्थान में राजस्थानी भाषा को दूसरी राजभाषा का दर्जा देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वे इस बारे में मुख्यमंत्री तक वार्ता करेंगे और इसे संविधान की अनुसूची में शामिल करने का संपूर्ण प्रयास करेंगे.

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