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Special: बीकानेर के ऊन उद्योग के लिए कोरोना काल बना संजीवनी, बढ़ी ऊन की डिमांड - राजस्थान हिंदी न्यूज

बीकानेरी भुजिया और रसगुल्ला अपने स्वाद के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है. वहीं अब बीकानेरी ऊन भी अपनी गुणवत्ता के लिए इंटरनेशनल लेवल पर छाप छोड़ रहा है. जब कोरोना काल में सारे उद्योग-धंधे संकट से गुजर रहे हैं. ऐसे में कोरोना पीरियड बीकानेर ऊन उद्योग के लिए संजीवनी साबित हुआ है. पढ़िए ये स्पेशल खबर.....

Bikaner Wool industry, Bikaner news
बीकानेर के ऊन उद्योग के अच्छे दिन आए
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Published : Nov 23, 2020, 1:06 PM IST

बीकानेर. कोरोना के संक्रमण के चलते देश और दुनिया में पूरी तरह से उद्योग-धंधे व्यापार पर बुरा असर हुआ है. यही कारण है कि हर जगह उत्पादन भी कम हो गया है तो वही खपत भी कम हो गई है और उसका कारण कोरोना के चलते हुई मंदी है, लेकिन बीकानेर के उद्योग में कोरोना के अनलॉक के बाद हालात सुधरे हैं और इसका एक बड़ा कारण कोरोना का जनक यानी की चीन माना जा रहा है.

बीकानेर के ऊन उद्योग के अच्छे दिन आए

बीकानेरी भुजिया और रसगुल्ले अपने स्वाद के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं. हर साल भारी मात्रा में बीकानेर से देश और दुनिया भर में भुजिया और रसगुल्ला का निर्यात होता है और उसकी बड़े स्तर पर मांग रहती है लेकिन अब बीकानेरी ऊन धीरे-धीरे अपनी अच्छी क्वालिटी के कारण अपनी छाप छोड़ रहा है.

कोरोना काल ऊन ऊद्योग के लिए संजीवनी

कभी एशिया की सबसे बड़ी ऊन मंडी होने का भी दर्जा बीकानेर को हासिल था लेकिन धीरे-धीरे बीकानेर का उद्योग मंदी की चपेट में गया. पिछले एक दशक में हालात कुछ ज्यादा ही खराब हो गए लेकिन जब कोरोना काल में सारे उद्योग-धंधे ठप हो गए, तब बीकानेरी ऊन के लिए यह काल संजीवनी साबित हो गया.

Bikaner Wool industry, Bikaner news
ऊन की क्वालिटी के कारण मांग बढ़ी

भारतीय ऊन उद्योग का सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी देश चीन और तुर्की है. कोरोना के बाद दुनिया भर के देशों ने चीन से आयात और निर्यात एक तरह से बंद कर दिया और कई मायनों में कम भी कर दिया.

चीन से आयात बंद तो चल पड़ी ऊन उद्योग की गाड़ी

भारत में भी चीन से आयातित कारपेट का उपयोग किया जाता था और चीन भी खुद अपने स्तर पर कारपेट बनाकर दुनियाभर में निर्यात करता था. लेकिन कोरोना के संक्रमण के बाद चीन से आयातित होने वाली भारत में बंद हो गई. ऐसे में भारतीय उद्योग खासतौर से बीकानेर में बनने वाले ऊन के धागे की मांग तेज हो गई है और इस से बनने वाले कारपेट खपत बढ़ गई

Bikaner Wool industry, Bikaner news
हर रोज 1 मशीन से 1000 किलो धागे का निर्माण होता

2500 करोड़ के करीब टर्नओवर रहने की उम्मीद

बता दें कि बीकानेर में ऊन उद्योग (Wool industry in Bikaner) का हर साल करीब पंद्रह सौ करोड़ का टर्नओवर है. जिसमें करीब 100 फैक्ट्रियां हैं. हर फैक्ट्री में 550 से ज्यादा कार्ड मशीन लगी हुई है और हर मशीन में हर रोज 1000 किलो धागे का निर्माण होता है. हालांकि, वर्तमान में आई तेजी के बाद ऊन व्यवसायियों को उम्मीद है कि इस बार ऊन उद्योग का 2500 करोड़ के आसपास का टर्नओवर रह सकता है.

बीकानेरी ऊन का धागा भेजा जाता है भदोही

बीकानेर में यूरोप के कई देशों से ऊन का आयात किया जाता है और मुंबई और मुंद्रा पोर्ट से कंटेनर के जरिए ऊन बीकानेर पहुंचती है और वहां ऊन का धागा बनाया जाता है. फिर बीकानेर से ऊन के धागे को उत्तर प्रदेश के भदोही भेजा जाता है, जहां कारपेट बनाया जाता है.

Bikaner Wool industry, Bikaner news
बीकानेर में ऊन की 100 फैक्ट्रियां

गुणवत्तायुक्त होने के कारण बढ़ी बीकानेरी ऊन की डिमांड

ऊन व्यवसायी राजाराम सारड़ा कहते हैं कि चीन से आने वाली ऊन की क्वालिटी हल्की होती थी लेकिन तब प्रतिस्पर्धी मार्केट में रहने के चलते इसका उपयोग करना जरूरी था लेकिन अब इसका उपयोग पूरी तरह से बंद हो गया है. जिसके चलते क्वालिटी अच्छी हो गई है.

यह भी पढ़ें. SPECIAL : उपभोक्ता अब ऑनलाइन देख सकेंगे अपने मीटर की रीडिंग, रिमोट कंट्रोल के जरिए भी कर सकेंगे मॉनिटर

दुनिया भर के देशों में इस बात की जानकारी है कि भारतीय कारपेट में चीन की उनका उपयोग नहीं हो रहा है. ऐसे में गुणवत्तायुक्त कारपेट होने के चलते डिमांड बढ़ गई है. वहीं चीन का मार्केट पूरी तरह से खत्म हो जाने के चलते भी बीकानेर ऊन उद्योग को राहत मिली है.

Bikaner Wool industry, Bikaner news
चीन की मार्केट खत्म होने से व्यापार हुआ अच्छा

सरकार से पैकेज की डिमांड

ऊन व्यवसायी निर्मल पारख कहते हैं कि पूरी दुनिया में चाइनीज प्रोडक्ट का बायकाट हो रहा है. जिसका सीधा फायदा भारतीय उद्योग को मिल रहा है. राखी साला कहते हैं कि ऐसे में जब डिमांड बढ़ी है तो प्रोडक्शन भी बड़ा है लेकिन लेबर की समस्या होने के चलते मांग अनुसार प्रोडक्शन नहीं हो पा रहा है. ऊन व्यवसायी दिलीप रंगा कहते हैं कि इस बात की भी है कि सरकार उद्योग तेजी से उबारने के लिए कोई पैकेज जारी करें. जिससे इस सेक्टर में भी बूम आ सके.

बीकानेर. कोरोना के संक्रमण के चलते देश और दुनिया में पूरी तरह से उद्योग-धंधे व्यापार पर बुरा असर हुआ है. यही कारण है कि हर जगह उत्पादन भी कम हो गया है तो वही खपत भी कम हो गई है और उसका कारण कोरोना के चलते हुई मंदी है, लेकिन बीकानेर के उद्योग में कोरोना के अनलॉक के बाद हालात सुधरे हैं और इसका एक बड़ा कारण कोरोना का जनक यानी की चीन माना जा रहा है.

बीकानेर के ऊन उद्योग के अच्छे दिन आए

बीकानेरी भुजिया और रसगुल्ले अपने स्वाद के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं. हर साल भारी मात्रा में बीकानेर से देश और दुनिया भर में भुजिया और रसगुल्ला का निर्यात होता है और उसकी बड़े स्तर पर मांग रहती है लेकिन अब बीकानेरी ऊन धीरे-धीरे अपनी अच्छी क्वालिटी के कारण अपनी छाप छोड़ रहा है.

कोरोना काल ऊन ऊद्योग के लिए संजीवनी

कभी एशिया की सबसे बड़ी ऊन मंडी होने का भी दर्जा बीकानेर को हासिल था लेकिन धीरे-धीरे बीकानेर का उद्योग मंदी की चपेट में गया. पिछले एक दशक में हालात कुछ ज्यादा ही खराब हो गए लेकिन जब कोरोना काल में सारे उद्योग-धंधे ठप हो गए, तब बीकानेरी ऊन के लिए यह काल संजीवनी साबित हो गया.

Bikaner Wool industry, Bikaner news
ऊन की क्वालिटी के कारण मांग बढ़ी

भारतीय ऊन उद्योग का सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी देश चीन और तुर्की है. कोरोना के बाद दुनिया भर के देशों ने चीन से आयात और निर्यात एक तरह से बंद कर दिया और कई मायनों में कम भी कर दिया.

चीन से आयात बंद तो चल पड़ी ऊन उद्योग की गाड़ी

भारत में भी चीन से आयातित कारपेट का उपयोग किया जाता था और चीन भी खुद अपने स्तर पर कारपेट बनाकर दुनियाभर में निर्यात करता था. लेकिन कोरोना के संक्रमण के बाद चीन से आयातित होने वाली भारत में बंद हो गई. ऐसे में भारतीय उद्योग खासतौर से बीकानेर में बनने वाले ऊन के धागे की मांग तेज हो गई है और इस से बनने वाले कारपेट खपत बढ़ गई

Bikaner Wool industry, Bikaner news
हर रोज 1 मशीन से 1000 किलो धागे का निर्माण होता

2500 करोड़ के करीब टर्नओवर रहने की उम्मीद

बता दें कि बीकानेर में ऊन उद्योग (Wool industry in Bikaner) का हर साल करीब पंद्रह सौ करोड़ का टर्नओवर है. जिसमें करीब 100 फैक्ट्रियां हैं. हर फैक्ट्री में 550 से ज्यादा कार्ड मशीन लगी हुई है और हर मशीन में हर रोज 1000 किलो धागे का निर्माण होता है. हालांकि, वर्तमान में आई तेजी के बाद ऊन व्यवसायियों को उम्मीद है कि इस बार ऊन उद्योग का 2500 करोड़ के आसपास का टर्नओवर रह सकता है.

बीकानेरी ऊन का धागा भेजा जाता है भदोही

बीकानेर में यूरोप के कई देशों से ऊन का आयात किया जाता है और मुंबई और मुंद्रा पोर्ट से कंटेनर के जरिए ऊन बीकानेर पहुंचती है और वहां ऊन का धागा बनाया जाता है. फिर बीकानेर से ऊन के धागे को उत्तर प्रदेश के भदोही भेजा जाता है, जहां कारपेट बनाया जाता है.

Bikaner Wool industry, Bikaner news
बीकानेर में ऊन की 100 फैक्ट्रियां

गुणवत्तायुक्त होने के कारण बढ़ी बीकानेरी ऊन की डिमांड

ऊन व्यवसायी राजाराम सारड़ा कहते हैं कि चीन से आने वाली ऊन की क्वालिटी हल्की होती थी लेकिन तब प्रतिस्पर्धी मार्केट में रहने के चलते इसका उपयोग करना जरूरी था लेकिन अब इसका उपयोग पूरी तरह से बंद हो गया है. जिसके चलते क्वालिटी अच्छी हो गई है.

यह भी पढ़ें. SPECIAL : उपभोक्ता अब ऑनलाइन देख सकेंगे अपने मीटर की रीडिंग, रिमोट कंट्रोल के जरिए भी कर सकेंगे मॉनिटर

दुनिया भर के देशों में इस बात की जानकारी है कि भारतीय कारपेट में चीन की उनका उपयोग नहीं हो रहा है. ऐसे में गुणवत्तायुक्त कारपेट होने के चलते डिमांड बढ़ गई है. वहीं चीन का मार्केट पूरी तरह से खत्म हो जाने के चलते भी बीकानेर ऊन उद्योग को राहत मिली है.

Bikaner Wool industry, Bikaner news
चीन की मार्केट खत्म होने से व्यापार हुआ अच्छा

सरकार से पैकेज की डिमांड

ऊन व्यवसायी निर्मल पारख कहते हैं कि पूरी दुनिया में चाइनीज प्रोडक्ट का बायकाट हो रहा है. जिसका सीधा फायदा भारतीय उद्योग को मिल रहा है. राखी साला कहते हैं कि ऐसे में जब डिमांड बढ़ी है तो प्रोडक्शन भी बड़ा है लेकिन लेबर की समस्या होने के चलते मांग अनुसार प्रोडक्शन नहीं हो पा रहा है. ऊन व्यवसायी दिलीप रंगा कहते हैं कि इस बात की भी है कि सरकार उद्योग तेजी से उबारने के लिए कोई पैकेज जारी करें. जिससे इस सेक्टर में भी बूम आ सके.

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