बीकानेर: यह कांग्रेस के एक ऐसे जिलाध्यक्ष यशपाल गहलोत के राजनीतिक बैड लक की कहानी है, जो पिछले 10 साल से बीकानेर में कांग्रेस का झंडा थामे हुए हैं. कांग्रेस के निचले स्तर के कार्यकर्ता से धीरे-धीरे जिलाध्यक्ष तक पहुंचे इस कार्यकर्ता को नाम मिला, शोहरत मिली लेकिन एक ऐसा राजनीतिक बैडलक भी, जो हमेशा इसके राजनीतिक जीवन से जुड़ गया.
चुनाव के दौरान अक्सर नेताओं की घोषित टिकट कट जाती है और दूसरे नेता को दे दी जाती है. लेकिन राजनीति में ऐसा उदाहरण बिरला ही मिलता है, जब एक ही चुनाव में एक ही व्यक्ति को दोबारा अलग-अलग जगह से टिकट दी जाए और दोनों जगह से उसकी टिकट को काट भी दिया जाए.
साल 2018.....
यह बात है साल 2018 के विधानसभा चुनाव की. राजस्थान में भाजपा की सरकार थी. कांग्रेस फिर से राजस्थान में सत्ता में आने के लिए जी-तोड़ मेहनत में जुटी थी. कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी राजनीति में अपने पॉलिटिकल एक्सपिरिमेंट (Political Experiment) और फॉर्मूले के लिए जाने जाते हैं.
विधानसभा चुनाव के वक्त राहुल गांधी ने यह फार्मूला कांग्रेस में लागू किया कि कोई भी नेता दो बार लगातार विधानसभा का चुनाव हारा है, तो उसे टिकट नहीं दिया जाएगा. यहीं से शुरू होती है यशपाल गहलोत 'बैडलक' की कहानी.
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2 बार चुनाव हार चुके थे कल्ला
दरअसल इस चुनाव में प्रदेश कांग्रेस के कई बड़े नेताओं के साथ कद्दावर नेता बीडी कल्ला (BD Kalla) का भी नाम शामिल था, जो दो बार चुनाव हारे थे. 2008 में हुए परिसीमन के बाद नई बनी बीकानेर पश्चिम से लगातार दो बार कल्ला चुनाव हार गए.
कल्ला का भी टिकट काटा गया लेकिन.....
ऐसे में राहुल गांधी के फार्मूले को लागू करते हुए पार्टी आलाकमान ने प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेताओं जुबेर खान, हरेंद्र मिर्धा के साथ ही कल्ला का भी टिकट काट दिया.
यशपाल गहलोत के मुताबिक बीकानेर पश्चिम विधानसभा सीट से पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की कांग्रेस के चुनाव पर्यवेक्षक की मौजूदगी में एक बार फिर बीडी कल्ला को ही पार्टी का उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव बनाया गया और आलाकमान को भेजा गया.
पहले यशपाल को दे दिया टिकट
यशपाल भी दिल्ली में कल्ला की टिकट की पैरवी के लिए कैंप किए हुए थे, लेकिन आलाकमान ने एक बड़ा उलटफेर करते हुए यशपाल को ही बीकानेर पश्चिम से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दी थी.
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विरोध के बाद कटा टिकट
दरअसल जातिगत बाहुल्य को दरकिनार कर पार्टी ने यशपाल को टिकट दिया. इसके बाद शुरू हुआ बीकानेर में कल्ला समर्थकों का विरोध प्रदर्शन. इस बात की जानकारी कांग्रेस के आलाकमान सोनिया गांधी तक पहुंची. उनके दखल के बाद यशपाल का टिकट काटकर फिर से एक बार राहुल गांधी के फार्मूले से इतर कल्ला को टिकट दिया गया.
दो बार हारने के बाद भी कल्ला को मिला टिकट
अब तक राजस्थान में राहुल गांधी के फॉर्मूले के मुताबिक दो बार हारे बड़े नेताओं की टिकट कट चुकी थी. उनके परिवारजनों को पार्टी ने टिकट दिया था. लेकिन पूरे प्रदेश में कल्ला ही एकमात्र ऐसे नेता थे, जिन्हें दो बार हारने के बावजूद भी टिकट मिला. ऐसे में बीकानेर पश्चिम से यशपाल को दिया गया टिकट कट गया.
यशपाल को दोबारा टिकट, फिर हुआ विरोध
पार्टी आलाकमान ने यशपाल को बीकानेर पूर्व विधानसभा सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया. पूर्व में घोषित प्रत्याशी कन्हैयालाल झंवर की टिकट को काट दिया. लेकिन उस वक्त के नेता प्रतिपक्ष अनोखा से पार्टी के उम्मीदवार रामेश्वर डूडी ने इसको लेकर विरोध किया. झंवर की टिकट बहाल नहीं करने पर चुनाव नहीं लड़ने की भी घोषणा कर दी.
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डूडी के विरोध के बाद फिर कटा यशपाल का टिकट
दरअसल कन्हैया लाल झंवर नोखा से विधायक रह चुके हैं. विधानसभा चुनाव के वक्त रामेश्वर डूडी उन्हें कांग्रेस में लेकर आए थे और बीकानेर पूर्व से टिकट दिलवाई थी. लेकिन पार्टी आलाकमान ने झंवर का टिकट काटा तो डूडी ने विरोध किया. ऐसे में आनन-फानन में डूडी के विरोध को देखते हुए बड़े नेताओं ने समझाइश का प्रयास किया लेकिन डूडी नहीं माने और महज कुछ ही घंटों में एक बार फिर यशपाल का बीकानेर पूर्व से टिकट काटकर पहले से घोषित कन्हैया लाल झंवर को फिर से टिकट दे दिया गया. खैर यह सब चुनाव तक की बात थी. इसके बाद हुए चुनाव में कल्ला बीकानेर पश्चिम से चुनाव जीत गए और झंवर नजदीकी मुकाबले में चुनाव हार गए.
अशोक गहलोत ने किया वादा
उस वक्त चुनावी दौरे पर आए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और अब के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गंगाशहर में आयोजित एक चुनावी सभा में इस बात का जिक्र किया. उन्होंने समय आने पर यशपाल गहलोत को एडजस्ट करने का भी वादा किया.
वासनिक और शुक्ला ने भी दिया भरोसा
इतना ही नहीं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव मुकुल वासनिक और राजीव शुक्ला बीकानेर के दौरे पर आए और पार्टी के लिए डैमेज कंट्रोल करते हुए यशपाल के लिए भविष्य में बेहतर राजनीतिक संभावनाओं का भरोसा दिया.दिवंगत नेता गुरुदास कामत ने भी लगातार यशपाल से बात की और पार्टी के हित में काम करने की सलाह देते हुए भविष्य में बेहतर संभावनाओं का वादा किया.
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ढाई साल बाद फिर चर्चा शुरू
यशपाल के साथ हुए घटनाक्रम की पिछले ढाई साल से कोई चर्चा नहीं थी, लेकिन अब जब राजनीतिक नियुक्तियों और कांग्रेस के संगठन के विस्तार की कवायद शुरू हो गई है तो एक बार फिर यह चर्चा तेज हो गई है. इस पूरे घटनाक्रम पर यशपाल गहलोत ने किसी मीडिया से कोई बात भी नहीं की.
'पार्टी का सच्चा सिपाही'
ईटीवी भारत से खास बातचीत में यशपाल ने कहा कि वे पार्टी के सच्चे सिपाही हैं. तब जो घटनाक्रम हुआ, वह एक चुनावी घटनाक्रम था. उसके बावजूद मैं पार्टी के साथ रहा. पिछले 10 साल से कांग्रेस के शहर अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहा हूं.
पिछली भाजपा सरकार के समय लगातार पार्टी के लिए काम किया और डंडे भी खाए. आमजन तक पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की योजनाओं और भाजपा सरकार की नीतियों को लेकर गए. यही वजह रही कि बीकानेर पश्चिम में कल्ला चुनाव जीते. बीकानेर पूर्व में कांग्रेस की हार का अंतर बहुत कम रह गया.
'पार्टी दे तो ठीक नहीं तो मैं संतुष्ट'
यशपाल ने कहा कि मुझे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी आलाकमान पर पूरा भरोसा है. यदि मेरे संघर्ष को देखते हुए पार्टी मेरे लिए कुछ सोचती है तो ठीक, नहीं तो मैं कार्यकर्ता के रूप में पार्टी का काम करते हुए संतुष्ट हूं.
'कल्ला से नहीं है दूरी'
बीकानेर शहर कांग्रेस में यशपाल गहलोत कभी कल्ला कैंप के सबसे नजदीकी लोगों में शुमार थे लेकिन बताया जा रहा है कि चुनाव के वक्त हुई उस उथल-पुथल के बाद दोनों के बीच दूरियां बढ़ गई है. आज भी राजनीतिक रुप से दोनों एक दूसरे के साथ होने का दिखावा करते हैं लेकिन अंदरखाने दूरियां बनी हुई है. हालांकि खुद यशपाल इस तरह की बात से साफ इनकार करते हैं.
यूआईटी चेयरमैन के रूप में माना जा रहा दावेदार
कांग्रेस में पायलट को हटाकर गोविंद डोटासरा के अध्यक्ष बनाने के बीच जिलों की इकाइयों को भंग कर दिया गया. लेकिन आज तक नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है. ऐसे में यशपाल ही जिला अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि बीकानेर नगर विकास न्यास के चेयरमैन के लिए यशपाल ने लॉबिंग की है. पार्टी के बड़े नेताओं से भी मुलाकात की है. हालांकि यशपाल के अलावा कई कांग्रेसियों ने भी दावेदारी जताई है.