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स्पेशल: अनूठा विद्यालय...जहां प्रारंभिक शिक्षा के साथ बच्चों को बना रहे संस्कारी, पढ़ा रहे वेद

कंप्यूटर और इंटरनेट के युग में अनूठा वेद विद्यालय अपनी एक अलग पहचान लिए हुए हैं. जहां बालकों को प्रारंभिक शिक्षा के साथ वेद की शिक्षा भी दी जाती है.

bhilwara special story, भीलवाड़ा न्यूज
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Published : Nov 23, 2019, 12:58 PM IST

भीलवाड़ा. कम्प्यूटर और इंटरनेट के युग में बच्चों के हाथ में गैजेट्स दिखाई देते हैं. छोटी सी उम्र में बच्चों को मोबाइल सबसे अच्छा दोस्त लगता है. लेकिन इन सब के बीच कुछ ऐसे गुरुकुल भी हैं, जो बच्चों को अच्छे संस्कार और हिन्दू संस्कृति का ज्ञान करवाने के लिए निशुल्क वेद शिक्षा दे रहे हैं. ऐसे में गुरुकुल में वेद शिक्षा प्राप्त कर रहे ये बच्चे एक अच्छे समाज का निर्माण करने में तो भूमिका अदा करेंगे ही और साथ ही रोजगार का अच्छा अवसर भी प्राप्त कर पाएंगे.

भीलवाड़ा के आसींद कस्बे का महर्षि परशुराम वेद विद्यालय एक ऐसा गुरूकुल है. जहां वैदिक मंत्रों के उच्चारण से उत्पन्न ध्वनि किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकती है. क्योंकि इन वेद मंत्रों में संस्कृत भाषा के सौन्दर्य के साथ-साथ बच्चों का भोलापन भी झलकता है. ईटीवी भारत की टीम ने भीलवाड़ा जिले के आसींद कस्बे में पहुंचकर, वेद विद्यालय की स्थिति का जायजा लिया. जहां बच्चों ने ईटीवी भारत के कैमरे पर बताया कि संस्कारित बनने के लिए और धर्म की रक्षा के लिए ही वे वेद का अध्ययन कर रहे हैं.

आसींद में वेदपाठी छात्रों का अनोखा गुरुकुल

महर्षि परशुराम वेद विद्यालय के प्रबंधक आचार्य गोपाल शास्त्री ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि इस विद्यालय की शुरुआत 2 साल पहले हुई. यहां बच्चों को निशुल्क शिक्षा, रहना, तमाम खर्चा गुरुकुल परिवार की ओर से वहन किया जाता है. बता दें कि विद्यालय में फिलहाल 5 बच्चों को वर्तमान में वैदिक शिक्षा दी जा रही है.

पढ़ें: गजब! दहेज में न मांगा पैसा...न सोना-चांदी, दूल्हा हुआ एक बछिया पर राजी

शास्त्री ने बताया कि उनका उद्देश्य वेद का संरक्षण करना, वेद को बचाना, संस्कृत को बढ़ावा देने के साथ ही इससे बच्चे संस्कारित समाज का निर्माण करना है. साथ ही ऐसे वेदपाठी बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित बन जाएगा. वर्तमान में भारत सरकार और राजस्थान सरकार भी संस्कृत भाषा पर बहुत अच्छा प्रयास कर रही है. वेद और धर्म-कर्म की शिक्षा के बाद पूजा पाठ करके परिवार का पालन पोषण कर सकते हैं. यहां अध्ययनरत सभी बालक व्यापारिक शिक्षा भी साथ में ग्रहण कर रहे हैं, लेकिन व्यवहारिक शिक्षा के लिए विद्यालय समय में जाने के पश्चात सुबह व शाम वेद का अध्ययन करते है.

भीलवाड़ा. कम्प्यूटर और इंटरनेट के युग में बच्चों के हाथ में गैजेट्स दिखाई देते हैं. छोटी सी उम्र में बच्चों को मोबाइल सबसे अच्छा दोस्त लगता है. लेकिन इन सब के बीच कुछ ऐसे गुरुकुल भी हैं, जो बच्चों को अच्छे संस्कार और हिन्दू संस्कृति का ज्ञान करवाने के लिए निशुल्क वेद शिक्षा दे रहे हैं. ऐसे में गुरुकुल में वेद शिक्षा प्राप्त कर रहे ये बच्चे एक अच्छे समाज का निर्माण करने में तो भूमिका अदा करेंगे ही और साथ ही रोजगार का अच्छा अवसर भी प्राप्त कर पाएंगे.

भीलवाड़ा के आसींद कस्बे का महर्षि परशुराम वेद विद्यालय एक ऐसा गुरूकुल है. जहां वैदिक मंत्रों के उच्चारण से उत्पन्न ध्वनि किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकती है. क्योंकि इन वेद मंत्रों में संस्कृत भाषा के सौन्दर्य के साथ-साथ बच्चों का भोलापन भी झलकता है. ईटीवी भारत की टीम ने भीलवाड़ा जिले के आसींद कस्बे में पहुंचकर, वेद विद्यालय की स्थिति का जायजा लिया. जहां बच्चों ने ईटीवी भारत के कैमरे पर बताया कि संस्कारित बनने के लिए और धर्म की रक्षा के लिए ही वे वेद का अध्ययन कर रहे हैं.

आसींद में वेदपाठी छात्रों का अनोखा गुरुकुल

महर्षि परशुराम वेद विद्यालय के प्रबंधक आचार्य गोपाल शास्त्री ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि इस विद्यालय की शुरुआत 2 साल पहले हुई. यहां बच्चों को निशुल्क शिक्षा, रहना, तमाम खर्चा गुरुकुल परिवार की ओर से वहन किया जाता है. बता दें कि विद्यालय में फिलहाल 5 बच्चों को वर्तमान में वैदिक शिक्षा दी जा रही है.

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शास्त्री ने बताया कि उनका उद्देश्य वेद का संरक्षण करना, वेद को बचाना, संस्कृत को बढ़ावा देने के साथ ही इससे बच्चे संस्कारित समाज का निर्माण करना है. साथ ही ऐसे वेदपाठी बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित बन जाएगा. वर्तमान में भारत सरकार और राजस्थान सरकार भी संस्कृत भाषा पर बहुत अच्छा प्रयास कर रही है. वेद और धर्म-कर्म की शिक्षा के बाद पूजा पाठ करके परिवार का पालन पोषण कर सकते हैं. यहां अध्ययनरत सभी बालक व्यापारिक शिक्षा भी साथ में ग्रहण कर रहे हैं, लेकिन व्यवहारिक शिक्षा के लिए विद्यालय समय में जाने के पश्चात सुबह व शाम वेद का अध्ययन करते है.

Intro:नोट- यह स्पेशल खबर श्री राजेश बालिया जी सर से पुछ कर भेजी गई है।

भीलवाड़ा- कंप्यूटर इंटरनेट युग में भी आज जिले के कई गुरूकलो में धर्म-कर्म व वेद की शिक्षा निशुल्क दी जा रही है जिससे बच्चे संस्कारित बनने के साथ ही भविष्य में रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़े।


Body:आधुनिक युग में शिक्षा ग्रहण करने के बाद बालक बालिकाओं को रोजगार के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। लेकिन जब बच्चा वेद की शिक्षा प्राप्त कर लेता है तो उसे रोजगार के लिए नहीं भटकना पड़े इसी उद्देश्य को लेकर भीलवाड़ा जिले के आसींद कस्बे में महर्षि परशुराम वेद विद्यालय की शुरुआत हुई। जहां बालक व्यावहारिक शिक्षा के साथ-साथ वेद की शिक्षा भी अध्ययन कर रहे हैं। ईटीवी भारत में भीलवाड़ा जिले के आसींद कस्बे में पहुंचकर वेद विद्यालय की स्थिति का जायजा लिया । जहां बच्चों ने ईटीवी भारत पर बयान देते हुए कहा कि हम संस्कारित बनने के लिए और धर्म की रक्षा के लिए ही वेद का अध्ययन कर रहे हैं।

महर्षि परशुराम वेद विद्यालय के प्रबंधक आचार्य गोपाल शास्त्री ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि हमारे इस विद्यालय की शुरुआत 2 वर्ष से हुई है। यहां विज्ञानिक तरीके से गुरुकुल विद्यालय की शुरुआत हुई है । यहां बच्चों को निशुल्क शिक्षा , रहना ,तमाम खर्चा गुरुकुल परिवार की ओर से वहन किया जाता है। यहां 5 बच्चे को वर्तमान में वैदिक शिक्षा दी जा रही है । हमारा उद्देश्य है कि वेद का संरक्षण करना, वेद को बचाना ,संस्कृत को बढ़ावा देने के साथ ही इससे बच्चे संस्कारित बन जाएंगे । अगर वेद का अध्ययन करने के बाद बच्चे संस्कारित बन जाएंगे तो अपने परिवार का अच्छा संरक्षण करते हुए पूरा परिवार संस्कारित बन जाएगा । नई युवा पीढ़ी अच्छी बनकर तैयार हो जाएगी। इससे बच्चों के जीवन का भविष्य भी सुरक्षित बन जाएगा । वर्तमान में भारत सरकार व राजस्थान सरकार भी संस्कृत भाषा पर बहुत अच्छा प्रयास कर रही है । वेद और धर्म कर्म की शिक्षा के बाद पूजा पाठ करके परिवार का पालन पोषण कर सकते हैं। यहा अध्ययनरत सभी बालक व्यापारिक शिक्षा भी साथ में ग्रहण कर रहे हैं । लेकिन व्यवहारिक शिक्षा के लिए विद्यालय समय में जाने के पश्चात सुबह व शाम वेद का अध्ययन करते है। जिससे मेरे को संस्कृत की रक्षा करनी है, पढ़ाई के बाद रोजगार के लिए मेरे को भटकना नही पड़े । यह शिक्षा प्राप्त करने के बाद हमारे को दक्षिणा स्वरूप कुछ पैसे प्राप्त होंगे जिससे हम परिवार का पालन पोषण कर सकें ।
अब देखना यह होगा कि वर्तमान इंटरनेट और कंप्यूटर के युग में और कितने छोटे बच्चे वेद भक्ति की शिक्षा ग्रहण करते हैं जिससे व्यवहारिक शिक्षा के बाद रोजगार के लिए जो भटकना पड़ता है उसी प्रकार वेद की शिक्षा के बाद रोजगार के लिए नहीं भटकना पड़े।

सोमदत्त त्रिपाठी ईटीवी भारत भीलवाड़ा

वॉक थ्रु - पंडित गोपाल शास्त्री व तैयार हो रहा पंडित


Conclusion:
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