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पर्यटन की साइट पर सवाई भोज को राजपूत बताने पर आक्रोश, महंत करेंगे सीएम से मुलाकात

पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर सवाई भोज को राजपूत बताने से गुर्जर समाज के लोगों में आक्रोश है. सवाई भोज मंदिर के महंत ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि तथ्यों से छेड़छाड़ से समाज के लोगों में आक्रोश है. उन्होंने कहा कि सवाई भोज गुर्जर थे, उन्हें राजपूत बताना गलत है.

सवाई भोज मंदिर
सवाई भोज मंदिर
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Published : Aug 28, 2022, 5:12 PM IST

भीलवाड़ा. पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर सवाई भोज को राजपूत बताने से गुर्जर समाज में काफी आक्रोश है. सवाई भोज के महंत ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि तथ्य से छेड़छाड़ से गुर्जर समाज में आक्रोश है. इससे हमें ठेस पहुंची है. उन्होंने कहा कि हम जल्द इसमें सुधार के लिए सीएम गहलोत से मुलाकात करेंगे.

गुर्जर समाज के आराध्य देव सवाई भोज मंदिर के बारे में पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर दी गई जानकारी से विवाद गहरा गया है. वेबसाइट पर आसींद कस्बे के पास स्थित सवाई भोज मंदिर के आराध्य देव देवनारायण को राजपूत बताने से गुर्जर समाज के लोगों में भी आक्रोश है. पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर सवाई भोज को राजपूत समाज का बताने के बाद मंदिर परिषद में बैठक का आयोजन किया गया.

सवाई भोज मंदिर पर विवाद

पढ़ें. सवाई भोज राजपूत थे या गुर्जर, पयर्टन विभाग की वेबसाइट पर डाली जानकारी से गुर्जर समाज में रोष

सवाईभोज मंदिर का इतिहास
मंदिर परिसर में मौजूद गुर्जर समाज के लोगों और तीन बार विधायक रहे रामलाल गुर्जर ने सवाईभोज मंदिर का इतिहास बताया. उन्होंने कहा कि सवाई भोज मंदिर के नाम से यह भारत में प्रमुख मंदिर है. यहां काफी संख्या में श्रद्धालु सावन व भादव माह में भगवान के दर्शन करने पहुंचते हैं. उन्होंने कहा कि बगड़ावत 24 भाई थे. उसमें से सबसे बड़े भाई सवाईभोज थे. सवाईभोज ने भगवान रूपनाथ की तपस्या की थी. जिसके कारण सवाईभोज को रूपनाथ ने आशीर्वाद दिया कि जितना आप दान लोगों को देंगे उससे सवाया आपके पास बढ़ता जाएगा. उन्होंने कहा कि हाल में पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर सवाई भोज को राजपूत दर्शाया है जो बिल्कुल गलत है. वह राजपूत नहीं थे, गुर्जर थे. हमारी सरकार से मांग है कि वेबसाइट में सुधार करें और राजपूत की जगह गुर्जर शब्द लिखें.

सवाई भोज को राजपूत बताना गलता
सवाई भोज मंदिर के महंत सुरेश दास महाराज ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि पर्यटन विभाग की वेबसाइट में सवाई भोज को राजपूत बताया है, जो सरासर गलत है. सवाई भोज के पिता बाघराव थे. बाघराव के पिता हरिराम थे, वह अजमेर से यहां आए थे. सवाईभोज गुर्जर समाज की चौहान गोत्र के थे. उन्होंने कहा कि बाघराव के 12 रानियां थी. 12 रानियों में से प्रत्येक रानी के दो -दो पुत्र हुए. जिसमें से सबसे बड़े पुत्र सवाईभोज थे. सवाई भोज की पत्नी साडू माता थी. साडू माता मध्य प्रदेश के देवास की गुर्जर समाज में खटाणी गोत्र की थी.

पढ़ें. SPECIAL : यहां नीम है भगवान देवनारायण का स्वरूप...पेड़ काटना तो दूर, एक टहनी तक तोड़ने पर पाबंदी

साडू माता के पिता का नाम दुधा खटाणा था. उन्होंने बताया कि साडू माता की शादी सवाई भोज से हुई थी. इसीलिए आज यह सवाई भोज मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है. महंत ने कहा कि सरकार ने जो वेबसाइट पर राजपूत लिखा है वह गलत है. इसको सही नहीं किया तो गुर्जर समाज में आक्रोश फैल जाएगा. हमारी सरकार से मांग है कि बेवसाइट पर जल्द से जल्द सुधार किया जाए. महंत ने कहा कि मैंने अब तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. जल्द ही गुर्जर समाज के लोगों के साथ सीएम अशोक गहलोत से मुलाकात करेंगे.

गुर्जर समाज के छोगालाल गुर्जर ने कहा कि सवाई भोज गुर्जर जाति के थे. जिस तरह मांडा राव ने मांडल तालाब बसाया है उसी तरह यहां सवाईभोज प्रसिद्ध है. इतिहास के पन्नों में भी सवाई भोज का नाम प्रसिद्ध है. यहां तक कि प्रतिहार व सवाई भोज के इतिहास में भी सवाई भोज को गुर्जर समाज का बताया है. पूर्व में यहां उदयपुर महाराणा भोपाल सिंह ने भी गुर्जरों के इस सवाई भोज मंदिर को सवाई भोज के नाम से पट्टा दिया था. हम मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इसमें सुधार करवाएंगे.

काफी संख्या में नाचते गाते आते हैं भक्तः सवाई भोज मंदिर में सावन व भादव माह में काफी संख्या में भक्तजन पैदल भगवान सवाई भोज व देवनारायण का झंडा लेकर पैदल नाचते गाते भगवान के दर्शन करने पहुंच रहे हैं.

सवाई भोज के नाम से प्रसिद्ध है गोशालाः सवाई भोज मंदिर के पास सवाई भोज के नाम से प्रसिद्ध गौशाला है. उस गौशाला में 400 देसी गिर नस्ल की गायें हैं. उन गायों का दूध कभी बेचा नहीं जाता है और इस दूध को बिलोकर उससे मक्खन अलग निकाला जाता है. इसके बाद जो छाछ बचती है उसमें मक्की के पीसे हुए दाने मिलाकर भक्तों को पिलाई जाती है.

भीलवाड़ा. पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर सवाई भोज को राजपूत बताने से गुर्जर समाज में काफी आक्रोश है. सवाई भोज के महंत ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि तथ्य से छेड़छाड़ से गुर्जर समाज में आक्रोश है. इससे हमें ठेस पहुंची है. उन्होंने कहा कि हम जल्द इसमें सुधार के लिए सीएम गहलोत से मुलाकात करेंगे.

गुर्जर समाज के आराध्य देव सवाई भोज मंदिर के बारे में पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर दी गई जानकारी से विवाद गहरा गया है. वेबसाइट पर आसींद कस्बे के पास स्थित सवाई भोज मंदिर के आराध्य देव देवनारायण को राजपूत बताने से गुर्जर समाज के लोगों में भी आक्रोश है. पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर सवाई भोज को राजपूत समाज का बताने के बाद मंदिर परिषद में बैठक का आयोजन किया गया.

सवाई भोज मंदिर पर विवाद

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सवाईभोज मंदिर का इतिहास
मंदिर परिसर में मौजूद गुर्जर समाज के लोगों और तीन बार विधायक रहे रामलाल गुर्जर ने सवाईभोज मंदिर का इतिहास बताया. उन्होंने कहा कि सवाई भोज मंदिर के नाम से यह भारत में प्रमुख मंदिर है. यहां काफी संख्या में श्रद्धालु सावन व भादव माह में भगवान के दर्शन करने पहुंचते हैं. उन्होंने कहा कि बगड़ावत 24 भाई थे. उसमें से सबसे बड़े भाई सवाईभोज थे. सवाईभोज ने भगवान रूपनाथ की तपस्या की थी. जिसके कारण सवाईभोज को रूपनाथ ने आशीर्वाद दिया कि जितना आप दान लोगों को देंगे उससे सवाया आपके पास बढ़ता जाएगा. उन्होंने कहा कि हाल में पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर सवाई भोज को राजपूत दर्शाया है जो बिल्कुल गलत है. वह राजपूत नहीं थे, गुर्जर थे. हमारी सरकार से मांग है कि वेबसाइट में सुधार करें और राजपूत की जगह गुर्जर शब्द लिखें.

सवाई भोज को राजपूत बताना गलता
सवाई भोज मंदिर के महंत सुरेश दास महाराज ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि पर्यटन विभाग की वेबसाइट में सवाई भोज को राजपूत बताया है, जो सरासर गलत है. सवाई भोज के पिता बाघराव थे. बाघराव के पिता हरिराम थे, वह अजमेर से यहां आए थे. सवाईभोज गुर्जर समाज की चौहान गोत्र के थे. उन्होंने कहा कि बाघराव के 12 रानियां थी. 12 रानियों में से प्रत्येक रानी के दो -दो पुत्र हुए. जिसमें से सबसे बड़े पुत्र सवाईभोज थे. सवाई भोज की पत्नी साडू माता थी. साडू माता मध्य प्रदेश के देवास की गुर्जर समाज में खटाणी गोत्र की थी.

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साडू माता के पिता का नाम दुधा खटाणा था. उन्होंने बताया कि साडू माता की शादी सवाई भोज से हुई थी. इसीलिए आज यह सवाई भोज मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है. महंत ने कहा कि सरकार ने जो वेबसाइट पर राजपूत लिखा है वह गलत है. इसको सही नहीं किया तो गुर्जर समाज में आक्रोश फैल जाएगा. हमारी सरकार से मांग है कि बेवसाइट पर जल्द से जल्द सुधार किया जाए. महंत ने कहा कि मैंने अब तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. जल्द ही गुर्जर समाज के लोगों के साथ सीएम अशोक गहलोत से मुलाकात करेंगे.

गुर्जर समाज के छोगालाल गुर्जर ने कहा कि सवाई भोज गुर्जर जाति के थे. जिस तरह मांडा राव ने मांडल तालाब बसाया है उसी तरह यहां सवाईभोज प्रसिद्ध है. इतिहास के पन्नों में भी सवाई भोज का नाम प्रसिद्ध है. यहां तक कि प्रतिहार व सवाई भोज के इतिहास में भी सवाई भोज को गुर्जर समाज का बताया है. पूर्व में यहां उदयपुर महाराणा भोपाल सिंह ने भी गुर्जरों के इस सवाई भोज मंदिर को सवाई भोज के नाम से पट्टा दिया था. हम मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इसमें सुधार करवाएंगे.

काफी संख्या में नाचते गाते आते हैं भक्तः सवाई भोज मंदिर में सावन व भादव माह में काफी संख्या में भक्तजन पैदल भगवान सवाई भोज व देवनारायण का झंडा लेकर पैदल नाचते गाते भगवान के दर्शन करने पहुंच रहे हैं.

सवाई भोज के नाम से प्रसिद्ध है गोशालाः सवाई भोज मंदिर के पास सवाई भोज के नाम से प्रसिद्ध गौशाला है. उस गौशाला में 400 देसी गिर नस्ल की गायें हैं. उन गायों का दूध कभी बेचा नहीं जाता है और इस दूध को बिलोकर उससे मक्खन अलग निकाला जाता है. इसके बाद जो छाछ बचती है उसमें मक्की के पीसे हुए दाने मिलाकर भक्तों को पिलाई जाती है.

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