जयपुर : सोशल मीडिया हर किसी की आदत ही नहीं, बल्कि जरूरत भी हो गई है. इस बीच अब ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने 16 साल के कम उम्र के बच्चों के फेसबुक, एक्स, टिकटॉक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने प्रस्तावित विधेयक के बारे में जानकारी दी है, जिसे अगले सप्ताह संसद में पेश किया जाना है. ऑस्ट्रेलिया सरकार के इस फैसले के बाद दुनिया भर में चर्चा तेज हो गई है. अलग-अलग प्रतिक्रियाओं के बीच राजधानी जयपुर में प्रदेशवासी खास कर पेरेंट्स क्या सोचते हैं, उसको लेकर Etv भारत ने कुछ पेरेंट्स और एक्सपर्ट से राय जाना. सभी ने मिलाजुला जवाब दिया. साथ ही निश्चित उम्र के बच्चों पर सोशल मीडिया के उपयोग पर नियम बनाने की इच्छा जाहिर की.
स्वागत योग्य कदम : डॉक्टर अनिता गौतम कहती हैं कि जो 14 से 16 साल की उम्र होती है यह एक परिवर्तन वाला दौर होता है, जिसके अंदर बच्चे पूरी तरीके से परिपक्व भी नहीं होते हैं. उनके अंदर हार्मोनल, इमोशनल, फिजिकल काफी सारे चेंज आ जाते हैं. इस दौरान सही-गलत का आंकलन नहीं कर पाते. बच्चे मौजूदा दौर में सोशल मीडिया का उपयोग ज्यादा करते हैं. अगर उनके ऊपर कोई चेक नहीं होता तो कई बार वह अपनी पर्सनल चीज पोस्ट कर देते हैं या कुछ गलत कंटेंट में चले जाते हैं, जो उनके लिए गलत होता है. ऐसे में सरकार के स्तर पर निणर्य लिया जाना सही है. इस तरह के फैसलों का स्वागत किया जाना चाहिए और भारत मे इसका लागू करने पर विचार होना चाहिए.
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बच्चों को लेकर नियम जरूरी : बच्चों को लेकर कार्य करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. मनीषा सिंह ने भी फैसले को बच्चों के हित में बताते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलिया का जो प्रस्ताव है, उससे प्रेरणा लेकर भारत में भी इसको लागू किया जाना चाहिए. सोशल मीडिया पर 16 वर्ष से जो कम उम्र के बच्चे हैं, उनके उपयोग के लिए बैन कर देना चाहिए या सीमित कर देना चाहिए. कई बार सोशल मीडिया पर बच्चों के लिए अश्लील कंटेंट दिखाए जाते हैं, बच्चों को भ्रमित करने वाले वीडियो दिखाए जाते, जिससे बच्चे एंजायटी के शिकार हो रहे हैं. बच्चों को मानसिक तौर पर प्रभावित किया जा रहा है. मनीषा ने कहा कि पिछले दिनों हमारी ओर से किए गए सर्वे में यह भी सामने आया था कि 16 साल से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया की वजह से न केवल पढ़ाई से दूर हो रहे हैं, बल्कि पारिवारिक संस्कार और फिजिकल ग्रोथ भी डाउन हो गई है. इतना ही नहीं मौजूदा वक्त में तो बच्चियों के सामने सोशल मीडिया की वजह से गुड-टच, बैड-टच के साथ-साथ में वर्चुअल टच का भी एक बड़ा खतरा सामने दिखाई दे रहा है. ऐसे में सोशल मीडिया के नियम बनना आवश्यक है.
प्रस्ताव का अनुसरण होना चाहिए : पूर्व मिसेज एशिया इंटरनेशनल और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की पूर्व ब्रांड एंबेसडर डॉ. अनुपम सोनी ने भी इस फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन करने के प्रस्ताव का समर्थन किया जाना चाहिए. इस प्रस्ताव के दूरगामी भी बहुत अच्छे रिजल्ट होने चाहिए. आज की जनरेशन सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित हो गई है. जब सोशल मीडिया नहीं हुआ करता था तो फिजिकल ग्रोथ अच्छी होती थी, लेकिन अब वो बच्चों में दिखाई नहीं देती. बच्चों को देखें तो सोशल मीडिया पर उनका ऑनलाइन स्क्रीन टाइम बहुत ज्यादा होता है, उसन उनकी पढ़ाई का बहुत ज्यादा लॉस होता है. आउटडोर एक्टिविटीज उनकी खत्म हो चुकी है. ऐसे में इस तरह के फैसले का स्वागत करते हुए अन्य देशों को इसका अनुसरण करना चाहिए.
सोशल मीडिया बैन हो : अंडर 16 बच्चे की मां सिद्धि रांका कहती हैं कि ऑस्ट्रेलिया से इंस्पायर होकर इंडिया में भी सोशल मीडिया को बैन करना चाहिए. आज के दौर में हम देख रहे हैं कि बच्चे पढ़ाई छोड़ कर इंस्टाग्राम, फेसबुक या अन्य प्लेटफार्म पर लगे रहते हैं. उनके पास बैठे हुए से बात नहीं कर सकते, लेकिन सैकड़ों मिलों दूर वालों से चैटिंग कर सकते हैं. बच्चे परिवार और अपने मूल लक्ष्य से इस सोशल मीडिया की वजह से दूर होते जा रहे हैं. ऐसे में भारत में भी सरकार को सोशल मीडिया को लेकर कुछ कठोर नियम बनाने चाहिए, ताकि हम हमारे देश के युवा भविष्य को सुरक्षित रख सके.