कोटा : देवउठनी से शादियों का सीजन शुरू होने वाला है और इसकी तैयारी चारों तरफ नजर आ रही है. देवउठनी पर ही कोटा संभाग में करीब 700 से 800 विवाह समारोह आयोजित होने हैं. पूरे शादियों के सीजन में कोटा संभाग में हजारों शादियां चारों जिलों में होने वाली हैं. देवउठनी 2024 से 75 मुहूर्त और इसके बाद 2025 की देवशयनी से दिसंबर 2025 तक 11 मुहूर्त हैं. दोनों को मिलाकर अगले 1 साल में करीब 86 मुहूर्त में शादी समारोह आयोजित होने हैं.
भारत संस्कृत परिषद (विहिप) राजस्थान के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ज्योतिर्विद डॉ. लखन शर्मा का कहना कि पंचांग के अनुसार देवउठनी ग्यारस से विवाह के मुहूर्त शुरू होते हैं. ऐसे में पंचांग के अनुसार अगली देवशयनी एकादशी तक विवाह के 75 मुहूर्त सामने आए हैं. वहीं, साल 2025 में आने वाली देवउठनी ग्यारस से दिसंबर 2025 तक 11 और मुहूर्त सामने आए हैं. ऐसे में कुल मिलाकर अगले साल दिसंबर 2025 तक 86 मुहूर्त विवाह के आ रहे हैं. इनमें सर्वाधिक मुहूर्त फरवरी 2025 में है, जिनमें 16 दिन विवाह हो सकते हैं.
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साल में 5 अवधियों में विवाह होते हैं निषेध : ज्योतिर्विद डॉ. लखन शर्मा ने बताया कि साल में दो बार मलमास लगता है. इसके अलावा तारा अस्त होने पर भी विवाह निषेध होते हैं. साथ ही देवशयनी से देवउठनी तक भी शादियां निषेध होती है. यहां तक की होलाष्टक में भी शादी नहीं होती है. ऐसे में साल में पांच बार विभाग के लिए निषेध अवधि आ रही है. हालांकि, साल में चार बार निश्चित आती है, अगले साल तारा अस्त होने से यह पांच बार हो गई है. इस हिसाब से साल में भले ही 365 दिन होते हैं, लेकिन विवाह अवधि 210 दिन के 235 के बीच निषेध रहती है, जबकि शेष 125 से 155 दिन के आसपास शादी विवाह होते हैं, लेकिन इस समय अवधि में भी शुभ मुहूर्त या फिर सावें कम दिन ही रहते हैं.
इस तरह से तय होते हैं वर वधु के मुहूर्त : विवाह मुहूर्त में भी व्यक्तिगत रूप से जातक का अपना त्रिबल शुद्धि के अंतर्गत मुहूर्त तय होता है, जिनमें उनके लिए कौन सा मुहूर्त सूटेबल है. यह व्यक्तिगत रूप से अलग-अलग रहते हैं, क्योंकि मुहूर्त ज्योतिष शास्त्र के अनुसार निकलते हैं. इसके तीन स्कंध संहिता, तंत्र और होरा माने गए हैं. होरा में फलित और मुर्हूत का प्रकरण आता है. इसमें गणित कार्य के पक्ष और संहिता के नियमों के तहत ही तय होता है, जिसमें गुरु, सूर्य बल और चंद्र बल की शुद्धि के आधार पर मुहूर्त को उपयोग किया जा सकता है.
इन समयावधि में विवाह रहेंगे निषेध :
- धनु राशि में सूर्य आने से 15 दिसंबर 2024 से 14 जनवरी 2025 तक मलमास रहेगा.
- होलाष्टक होने से 7 मार्च 2025 से 13 मार्च 2025 तक 8 दिनों तक शादी विवाह निषेध रहेंगे.
- मीन राशि में सूर्य आने से 15 मार्च 2025 से 13 अप्रैल 2025 तक मलमास रहेगा.
- तारा अस्त यानी गुरु अस्त होने पर 11 जून 2025 से 6 जुलाई 2025 तक विवाह नहीं होंगे.
- इसी तरह से देवशयनी एकादशी से 6 जुलाई 2025 से देवउठनी एकादशी 17 नवंबर 2025 तक विवाह निषेध रहेंगे.